पहलवानी में दुनिया जीतने वाले भारत के रुस्तम-ए-हिंद ने कभी नहीं हारी फाइट जानिए उनकी 8 बड़ी उपलब्धियां।
12 सौ किलो का पत्थर उठाने वाले इस पहलवान के खुराक का खर्चा उठाते थे MP के एक राजा।
भारत देश की धरती पर ऐसे कई वीरों ने जन्म लिया है जिन्होंने अपनी मेहनत और कला से भारत देश ही नहीं पूरे विश्व में अपनी विधा में नंबर एक होने का गौरव प्राप्त किया है ऐसे ही एक महान विभूति भारत देश के पहलवान गामा का नाम आता है जिन्हें सदियों तक लोग उनकी फाइट के लिए सदैव याद रखेंगे गामा पहलवान ने अपने जीवन में एक भी फाइट नहीं हारी और पहलवानी के क्षेत्र में विश्व में भारत देश का नाम दर्ज कराया था इसी कारण से गामा पहलवान, को “द ग्रेट गामा” के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय कुश्ती के इतिहास के गामा पहलवान सबसे महान पहलवानों में से एक थे। यहाँ उनके बारे में कुछ रोचक तथ्य हैं जो उनके महान होने और विश्व कीर्तिमान बनाने का गौरव प्रदान करते हैं, विश्व के किसी भी पहलवान से नहीं हारने वाले गामा पहलवान का जन्म 22 मई 1878 में अमृतसर में हुआ था और उनकी मृत्यु पाकिस्तान के लाहौर में 23 मई 1960 को हुई थी देश के बंटवारे के बाद ही गामा पहलवान पाकिस्तान चले गए थे।
बताया जाता है कि गामा पहलवान की डेली खुराक में छह देसी चिकन, 10 लीटर दूध, आधा किलो देसी घी और बादाम का शर्बत लेते थे, दूध को उबालकर आधा किया जाता था और सवा किलो बादाम अलग से उन्हें खुराक में दिया जाता था उस समय गामा पहलवान के खुराक का खर्चा दतिया के तत्कालीन राजा भवानी सिंह द्वारा उठाया जाता था। आइए जानते हैं रुस्तम-ए-हिंद गामा पहलवान की खास उपलब्धियां जो उन्हें बनती है विश्व का सर्वश्रेष्ठ पहलवान।
1. अपराजित रिकॉर्ड : गामा पहलवान अपने पूरे करियर में कभी हार नहीं माने। उन्होंने लगभग 50 साल तक पहलवानी की और इस दौरान उन्हें कोई भी हरा नहीं पाया।
2. ताकत और सहनशक्ति: गामा पहलवान रोजाना 5000 से अधिक बैठकें (स्क्वाट्स) और 3000 से अधिक दंड (पुश-अप्स) किया करते थे। उनकी ताकत और सहनशक्ति अद्वितीय थी।
3- वज़नदार पत्थर उठाना: एक बार उन्होंने 1200 किलोग्राम वजन का पत्थर उठाया था। यह पत्थर आज भी बड़ौदा संग्रहालय में प्रदर्शित है।
4. रुस्तम-ए-हिंद : विदेशी पहलवानों को धूल चटाते हुए
– सन् 1910 में दुनिया में कुश्ती के मामले में अमेरिका में जैविस्को को परास्त कर गामा पहलवान ने रुस्तम-ए-हिंद का खिताब जीता, जो उस समय भारतीय पहलवानों के बीच सबसे प्रतिष्ठित था।
5. अंतरराष्ट्रीय ख्याति : गामा पहलवान ने केवल भारत में ही नहीं बल्कि विश्व स्तर पर भी अपने कुश्ती कौशल का प्रदर्शन किया। उन्होंने ब्रिटेन में कई बड़े पहलवानों को हराया, जिनमें उस जमाने का सबसे बड़े पहलवान का नाम “जॉन बुल” था।
6. राष्ट्रवाद का प्रतीक : गामा पहलवान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक प्रेरणास्रोत बने रहे। उन्हें भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक माना जाता था।
7. ब्रूस ली की प्रेरणा : प्रसिद्ध मार्शल आर्टिस्ट ब्रूस ली ने गामा पहलवान के ट्रेनिंग रूटीन से प्रेरणा ली थी। ब्रूस ली ने अपनी फिटनेस और शक्ति को बढ़ाने के लिए गामा की एक्सरसाइज रूटीन को अपनाया था।
8. भारतीय पहलवानी का गौरव : गामा पहलवान ने अपनी कुश्ती के माध्यम से भारतीय पहलवानी को विश्व स्तर पर सम्मान दिलाया और उनकी विरासत आज भी पहलवानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है।
9- बने वर्ल्ड चैम्पियन: वैसे तो गामा पहलवान ने कई देशों में कुश्ती का झंडा गाड़ दिया था लेकिन लंदन में उनकी पहलवानी को अलग पहचान मिली लंदन के पहलवानों ने उन्हें जब चुनौती दी तो उन्होंने उस समय के दिग्गज पहलवानों जैविस्को और फ्रेंक गॉच को 9 मिनट में चित करके धूल चटा दिया और विश्व चैंपियन बने।
बता दें कि गामा पहलवान की जीवनगाथा भारतीय कुश्ती के स्वर्णिम इतिहास का हिस्सा है और वे आज भी एक महान पहलवान के रूप में याद किए जाते हैं और अपने कीर्तिमान को लेकर सदियों तक याद रखे जाएंगे।