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satna news : सरसी के प्रवास पर पहुचे उपमुख्यमंत्री को राजाधिराज मंदिर की सुध आयी

उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने अधिकारियों से राजाधिराज मंदिर की ली जानकारी

सतना  ,प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल रविवार को बाणसागर स्थित सिरसी टापू से मार्कण्डेय होकर लौटते समय देवराजनगर पहुंचे ।वहा स्थानीय लोगो ने उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल को देवराजनगर में बन रहे राजाधिराज मंदिर के संबंध मे जानकारी दी।

उल्लेखनीय है कि श्री शुक्ल ने सरसी रिसोर्ट में शनिवार को रात्रि विश्राम के बाद रविवार को बिना किसी घोषित कार्यक्रम के रामनगर पहुँचे जहां स्थानीय प्रतिनिधियों ने बताया की बाणसागर डूब क्षेत्र में आने के फलस्वरूप मंदिर का मुआवजा मिला था।जिससे देवराजनगर में मंदिर का पुनर्निमाण शुरू किया गया।तकनीकी अड़चनों से मंदिर का पुनर्निमाण लंबे समय से बंद पड़ा हुआ है।उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने मौके पर मंदिर निर्माण के नक्शे का अवलोकन किया और विभाग से जानकारी लेकर मंदिर निर्माण की दिशा में आवश्यक कार्यवाही करने का आश्वासन दिया।बताया गया की राजाधिराज मंदिर की मूर्तियां फिलहाल सतना के वेंकटेश मंदिर में रखी गई है।

उप मुख्यमंत्री श्री राजेंद्र शुक्ल ने पास के प्रसिद्ध गिद्ध कूट पर्वत के बारे मे भी जानकारी ली।उन्हे बताया गया कि नवीन गिद्ध गणना में यहां 230 गिद्ध मौजूद रहने की जानकारी है।उप मुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने कहा की गिद्धकूट पर्वत में गिद्ध पक्षियों के संरक्षण की संभावनाएं तलाश कर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्री रामखेलावन कोल,वन समिति के सभापति हरीश कांत त्रिपाठी,आशुतोष गुप्ता,सरपंच प्रिंस सिंह भी

उपस्थित रहे।

वनवास से वापसी की भगवान राम बनी सम्भावना

रामनगर के राजाधिराज जिन्हें बाणसागर बांध के डूब क्षेत्र में आने के कारण पिछले दो दशक से अधिक अपना घरबार छोड़ कर निर्वसित रहना पड़ रहा है. श्री शुक्ल के हस्तक्षेप से इस बात की प्रबल संभावना जागी है कि अब शायद उनकी घर वापसी हो सकेगी.जन्म से आस्था का केंद्र रहे इस मंदिर में भगवान की वापसी के इंतजार में पूरी एक पीढ़ी समाप्त हो गई. इस प्रतिनिधि इस आशय की आधा दर्जन खबरें प्रकाशित की इसके बाद भी कभी किसी के कान में जू तक नही रेगी.प्रशासनिक अमले ने भी उन्हें मुआवजे में मिली रकम की ब्याज पा कर संतुष्ट रहा आया है.

नागर शैली में है भव्य मंदिर का स्वरूप

राजाधिराज मंदिर की कहानी में अब इस दुनिया मे नही रहे प्रशासनिक अधिकारी टी धर्माराव का नाम सबसे पहले आता है. बाणसागर बांध के द्वार बंद होने के पहले उसके भराव क्षेत्र में आने वाले तब के सतना जिले के दर्जनों गांव का विस्थापन बड़ा चुनौती पूर्ण कार्य था. इस काम को उस समय के जिले के प्रशासनिक अमले ने बड़ी शांतिपूर्ण ढंग से अंजाम दिया था.स्वर्गीय श्री धर्माराव ने जनता को यह आश्वासन दिया था कि उन्हें उनका वाजिब हक हर मामले में मिलेगा.श्री धर्माराव ने अब से लगभग ढ़ाई तीन दशक पहले मंदिर को भव्य स्वरूप देने के उद्देश्य से इसका डिजाइन नागर शैली के विशेषज्ञ किसी दक्षिण भारतीय वास्तुविद से बनवाया था.बाद में उन्ही के मार्गदर्शन में किसी राजस्थानी संविदाकार ने मंदिर का निर्माण भी शुरू किया था.बाद में कुछ स्थानीय लोगों ने इस मामले को अपने स्वार्थ के चलते इतना उलझा दिया की आगे काम नही हो सका.बाद में जब श्री धर्माराव संभागायुक्त बनकर आए तो उन्होंने इसकी फाइलों में जमी धूल हटाने की कोशिश की, लेकिन उसकी परत इतनी मोटी हो चुकी थी कि वे कामयाब नही हो सके.

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