रीवासिटी न्यूज

Rewa news:ठंड में बढ़ा लकवा और ब्रेन हेमरेज का खतरा, प्रतिदिन पहुंच रहे दो-तीन मरीज!

Rewa news:ठंड में बढ़ा लकवा और ब्रेन हेमरेज का खतरा, प्रतिदिन पहुंच रहे दो-तीन मरीज!

 

 

 

 

 

 

सावधान! ठंड में शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बिगड़ने से आ रही समस्या सुपर स्पेशलिटी व संजय गांधी अस्पताल में चल रहा मरीजों का उपचार

रीवा. भीषण ठंड में लकवा और ब्रेन हेमरेज के मरीजों की संया तेजी से बढ़ी है। सुपर स्पेशलिटी और संजय गांधी अस्पताल में प्रतिदिन दो से तीन मरीज पहुंच रहे हैं। एक माह में 50 से अधिक मरीज अस्पताल पहुंचे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि ठंड में शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बिगड़ने से यह समस्या सामने आती है। कई बार समय पर उपचार न मिलने से मरीजों की मौत हो जाती है।

 

 

 

 

 

 

विशेषज्ञों के मुताबिक, तीन तरह का लकवा मरीजों को चपेट में लेता है। इरकीमिक स्ट्रोक तब होता है जब खून की नलियों में रुकावट के कारण मस्तिष्क के किसी हिस्से में खून की कमी हो जाती है। लगभग अस्सी फीसदी मरीजों को यही लकवा होता है। इसके बाद क्षणिक इस्कीमिक स्ट्रोक तब हो जाता है जब मस्तिष्क में खून की नली में एक थक्का आने से अस्थायी रूप से धमनी में ब्लड पहुंचने में रुकावट होती है। तीसरे तरह का लकवा रक्तस्रावी स्ट्रोक होता है। यह तब होता जब मस्तिष्क के अंदर खून की नली फट जाती है। लगभग बीस प्रतिशत मरीज इसके शिकार होत हैं। ठंड के मौसम ब्लड के सर्कुलेशन में समस्या उत्पन्न होती है लकवा की शिकायत होने पर गोल्डन टाइम चार घंटे का होता है और उस अवधि में मरीज को हर हाल में उपचार मिल जाए तो उसके स्वस्थ होने की संभावना बढ़ जाती है।

 

 

 

 

 

इस तरह से होता है लकवा,ये हैं लकवा के लक्षण

लकवा होने पर अचानक संतुलन बिगडऩे लगता है और मरीज गिरने लगता है।

मरीज को देखने में असमर्थता होती है और कई बार उसको डबल दिखने लगता है।

चेहरे में अचानक कमजोरी आने लगती है और वह एक तरफ झुकने लगता है।

हाथ पैर में कमजोरी होने लगती है और मरीज अपने पैरों में खड़ा नहीं रह पाता है और न ही हाथ से कोई हरकत कर पाता है।

मरीज बोलने का प्रयास करता है लेकिन उसकी आवाज लडखड़ाने लगती है। उसको बोलने में कठिनाई होती है।

लकवा की शिकायत होने पर मरीज को तीन से चार घंटे के भीतर हर हाल में उपचार मिलना चाहिए।

 

 

 

 

शरीर में लकवा या ब्रेन हेमरेज की शिकायत ब्लड सर्कुलेशन पर निर्भर करता है। प्रत्येक व्यस्क व्यक्ति का दिमाग डेढ़ किलो का होता है। हर मिनट 50 एमएल ब्लड दिमाग के 100 हिस्से में पहुंचता है। जब इसकी मात्रा घटकर 50 एमएल से 8 एमएल हो जाती है तो ब्रेन का वह हिस्सा डिस्टर्ब हो जाता है। इसके बाद यदि ब्लड 0 प्रतिशत हो जाता है तो दिमाग का वह हिस्सा डेड हो जाता है और फिर उसे रिकवर नहीं किया जा सकता है। यह समस्या आमतौर पर नलियों की सिकुड़ने या फिर खून का थक्का जमने की वजह से होता है जिससे दिमाग को पर्याप्त मात्रा में ब्लड नहीं पहुंचता है।

 

 

 

लकवा होने पर चार घंटे का गोल्डन टाइम होता है और मरीज को हर हाल में इसके अंदर उपचार मिल जाए। ठंड के मौसम में उन मरीजों को बेहद सतर्कता बरतने की आवश्यकता होती है जो पहले से बीपी, शुगर, हृदय रोग, थायराइड से पीड़ित है या फिर स्मोक करते हैं। ऐसे लोगों सीधे ठंड के संपर्क में न आएं। सुबह मार्निंगवाक में न जाएं, ठंडे पानी से न नहाएं, अचानक ठंड के संपर्क में न आए, अपना बीपी नियमित चेक करते रहे। 60 से अधिक उम्र वाले मरीजों को लकवे का सबसे अधिक खतरा होता है। अत्यधिक ठंड में अपने आपको सुरक्षित रखने वाले व्यक्ति को लकवे की संभावना कम रहती है।

डा. वीरभान सिंह

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button