Rewa news:जिला आबकारी अधिकारी अनिल जैन ने पहले भ्रष्टाचार को दबाया, ईओडब्ल्यू में फिर स्वीकारा!

Rewa news:जिला आबकारी अधिकारी अनिल जैन ने पहले भ्रष्टाचार को दबाया, ईओडब्ल्यू में फिर स्वीकारा!
रीवा. जिला आबकारी अधिकारी अनिल जैन ने नियमों के विपरीत जाकर इन फर्जी बैंक गारंटियों को स्वीकार किया और शराब ठेकेदारों को ठेके दिए। जांच में यह भी सामने आया कि बाद में जब शिकायत हुई तो अनिल जैन ने लाइसेंसियों से अनुसूचित बैंकों की गारंटी प्राप्त कर इस अपराध को सुधारने का कार्य किया। शराब ठेकेदारों ने बैंक मैनेजर और आबकारी अधिकारी के साथ मिलकर इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया। उन्होंने बिना किसी संपत्ति या प्रतिभूति राशि के फर्जी बैंक गारंटी प्राप्त कर ली थी। मामले में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक मर्यादित सीधी के 27 जून 2023 के प्रतिवेदन के अनुसार बैंक गारंटी जारी करने की नीति निर्धारण का अधिकार बैंक संचालक मंडल या स्टाफ उप-समिति के पास है और मध्य प्रदेश राज्य सहकारी बैंक के नियमों के तहत, काउंटर गारंटी पर ही बैंक गारंटी जारी हो सकती है। बैंक ने माना कि फर्जी गारंटी जारी हुई थी।
विधानसभा में अनियमितता से किया गया था इनकार फर्जी बैंक गारंटी का मामला विधानसभा में भी उठा था। तब विभागीय मंत्री की ओर जांच कराए जाने का उल्लेख करते हुए ऐसे किसी भी भ्रष्टाचार से इनकार कर दिया गया था। इस पर शिकायतकर्ता ने विभागीय अधिकारियों पर आरोप लगाया था कि मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
फर्जी बैंक गारंटी के जरिए शराब दुकानों का लाइसेंस लिए जाने के मामले में शिकायतकर्ता बीके माला ने सहकारी बैंक से जारी गारंटी की जानकारी मांगी तो बैंक ने इनकार कर दिया। इसके बाद आबकारी विभाग में शिकायत की तो आरोप निराधार बताकर जांच नहीं कराई गई। जब संभागायुक्त और आबकारी आयुक्त से शिकायत की गई तो जांच कमेटी गठित हुई। इसमें सहकारी बैंक के शाखा प्रबंधक नागेन्द्र सिंह की भूमिका संदिग्ध मिली तो बैंक ने निलंबित कर दिया। इसके बाद ईओडब्ल्यू में एफआइआर की मांग की गई। कुछ महीने रीवा इकाई ने जांच की। इसी बीच शिकायतकर्ता ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसके बाद कोर्ट ने ईओडब्ल्यू को छह सप्ताह के भीतर मामले की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा। इस पर भोपाल मुख्यालय ने जांच अपने हाथ में लिया और अब कोर्ट में जवाब देने के पहले एफआइआर दर्ज की गई है।
सत्यापन करने वाले अधिकारी जमे
जिला आबकारी कार्यालय रीवा के उन अधिकारियों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिनके द्वारा सत्यापन किया गया था। नियम है कि ठेकेदार लाइसेंस प्राप्त करने के लिए जो दस्तावेज लगाते हैं उसका सत्यापन किया जाए। खासतौर पर बैंक गारंटी गंभीरता के साथ जांची जाती है, क्योंकि समय पर राजस्व जमा नहीं करने पर उसी से वसूली की जाती है। आबकारी के अधिकारियों ने ठेकेदारों से मिलीभगत कर फर्जीवाड़े को अंजाम दिया।