Rewa mauganj news:ग्रामीण अस्पतालों की हालत खस्ता, मरीजों की बढ़ रही संख्या डॉक्टर नदारद!
रीवा. ग्रामीण अंचलों में लोगों की सेहत सुधारने के लिए बने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खुद समस्याओं से ग्रसित हैं। हालत यह है कि अस्पतालों में व्यवस्थाएं पर्याप्त नहीं है। यहां तक कि स्वीकृत पद के हिसाब से यहां पर डॉक्टरों की पदस्थापना भी नहीं है। एक तरफ जहां मरीजों की संया लगातार बढ़ रही है, तो दूसरी ओर डॉक्टर सहित अन्य स्टाफ की संया घट रही है। ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का भगवान ही मालिक है।
जवा हॉस्पिटल में नहीं है स्पेशलिस्ट डाक्टर, ड्रेसर का अभाव
जवा सिविल अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं भगवान भरोसे हैं। यहां डॉक्टर्स सहित अन्य सुविधाओं का अभाव है। इसकी वजह से इलाज के लिए मरीजों को खासी परेशानी होती है। जवा में स्पेशलिस्ट डॉक्टर के तीन पद स्वीकृत हैं, लेकिन एक भी पदस्थ नहीं है। कोनी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डॉक्टर को बीएमओ का प्रभार दिया गया है। यहां पर ड्रेसर के तीन पद स्वीकृत हैं, लेकिन एक भी नहीं है। लेखापाल के दो पद अस्पताल में खाली हैं। अस्पताल में प्रतिदिन की ओपीडी 250 से 300 तक रहती है और इतनी बड़ी संया में मरीजों को प्रतिदिन इलाज उपलब्ध करवाने में भी मौजूदा डॉक्टरों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है।
त्योंथर सिविल अस्पताल में स्वीकृत पद से कम पदस्थ है स्टाफ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तीन डॉक्टर पदस्थ
त्योंथर सिविल अस्पताल में स्वीकृत पद से डॉक्टर सहित अन्य स्टाफ कम है। अस्पताल में 9 चिकित्सक वर्तमान में पदस्थ है। इनमें से दो मुयालय में अटैच हैं। अस्पताल में स्वीकृत डॉक्टरों के पद 20 हैं, लेकिन उसके मुकाबले काफी कम स्टाफ पदस्थ है। स्टाफ नर्स के 25 पद स्वीकृत हैं, जिसमें 18 पदस्थ, वार्ड ब्वाय के 8 पदों में 2 पदस्थ है। अस्पताल में एक्सरे व ईसीजी की व्यवस्था है जिसमें मरीजों की जांच अस्पताल में हो जाती है। यहां की ओपीडी 400 के आसपास रहती है। इसका उन्नयन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से सिविल अस्पताल के रूप में हुआ है, लेकिन सुविधाएं जस की तस है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रायपुर कर्चुलियान और गुढ़ की स्थिति भी खराब है। रायपुर कर्चुलियान सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पांच स्पेशलिस्ट और तीन मेडिकल ऑफीसर के पद स्वीकृत हैं जबकि पदस्थ हैं महज दो। अस्पताल में नर्स, ड्रेसर सहित अन्य स्टाफ की भी पर्याप्त पदस्थापना नहीं है, जबकि यहां बड़ी संया में मरीज प्रतिदिन इलाज करवाने के लिए अस्पताल आते हैं। अमूमन यही स्थिति गुढ़ अस्पताल की भी है। यहां पर एक मात्र चिकित्सक पदस्थ है जबकि आठ पद स्वीकृत हैं।
जिला बनने के बाद भी मऊगंज की सेहत नहीं सुधरी
मऊगंज जिला बनने के बाद यहां के अस्पताल की व्यवस्था जस की तस है। अस्पताल में 10 डॉक्टरों के पद हैं लेकिन दो स्पेशलिस्ट और तीन मेडिकल ऑफीसर हैं। महिला चिकित्सक का अभाव है। 6 ड्रेसर की आवश्यकता है, लेकिन एक भी नहीं है। वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में मलैगवां के ड्रेसर को बुलाया जा रहा है। अस्पताल में सर्जरी, आर्थोपेडिक और नेत्र रोग विशेषज्ञ नहीं है। नर्स के 20 पद स्वीकृत हैं, लेकिन उसके मुकाबले महज 14 नर्स हैं। यहां स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति बेहद खराब है। इसे सिविल अस्पताल का दर्जा मिला है, लेकिन सुविधाएं बदतर हैं।
अस्पतालों में एक्सरे मशीन होने के बाद भी नहीं मिल रही सुविधा
हाइवे से लगे हुए चाकघाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति भी काफी दयनीय है। अस्पताल में स्वीकृत स्टाफ की पदस्थापना नहीं हो पाई है। अस्पताल में 5 स्पेशलिस्ट और चार मेडिकल ऑफीसर के पद स्वीकृत है, जिसके मुकाबले यहां पर तीन डॉक्टर हैं। यूपी सीमा से लगे होने की वजह से बड़ी संया में यूपी से भी मरीज यहां पर इलाज करवाने के लिए आते हैं। तीन डॉक्टरों के भरोसे उनका इलाज होता है। अस्पताल में नर्स के 10 स्वीकृत पदों के मुकाबले 8 पदस्थ हैं। अमूमन यही स्थिति ड्रेसर, वार्ड ब्वाय सहित अन्य पदों को लेकर भी है।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में एक्सरे मशीनों का संचालन भी ठीक से नहीं हो पा रहा। जवा सिविल अस्पताल में एक्सरे मशीन है लेकिन धूल फांक रही है। गोविन्दगढ़ में मशीन स्वीकृत हो गई है लेकिन अभी तक आवंटित नहीं हुई है। गुढ़ में एक्सरे मशीन हाल ही में लगी है। रायपुर कर्चुलियान में एक्सरे की सुविधा नहीं है। अमूमन यह स्थिति कई अस्पतालों में है जहां पर एक्सरे मशीन नहीं है। अगर है तो उनका संचालन नहीं हो पा रहा है।