MP news, संभागायुक्त ने कलेक्टर के प्रस्ताव पर तहसीलदार को किया निलंबित थाना में दर्ज हुई एफआईआर।

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MP news, संभागायुक्त ने कलेक्टर के प्रस्ताव पर तहसीलदार को किया निलंबित थाना में दर्ज हुई एफआईआर।

 

संभागायुक्त जबलपुर अभय वर्मा ने कलेक्टर दीपक सक्सेना के प्रस्ताव पर आधारताल हरिसिंह धुर्वे को निलंबित कर दिया है । निलंबित तहसीलदार को अधिकारों का दुरुपयोग और फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नामान्तरण कर जमीन की हेराफेरी करने का दोषी पाये जाने पर गुरुवार को दर्ज विजयनगर थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई गई थी ।

कमिश्नर कार्यालय , जबलपुर संभाग, जबलपुर द्वारा जारी आदेश के अनुसार,,,

क्रमांक / 1062 / क्षेत्रीय शाखा- 1/2024, आदेश : जबलपुर, दिनांक 13 सितम्बर, 2024 कलेक्टर, जबलपुर के पत्र क्रमांक / 5490/वि.लि. 1/2024, दिनांक 13/09/2024 में प्रतिवेदित किया गया है कि, न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी आधारताल में अपीलार्थी श्री शिवचरण पांडेय पिता स्व. श्री सरमन पांडेय द्वारा अतिरिक्त तहसीलदार आधारताल के रा.प्र.क्र. 1587/अ-6/2023-24 में परित आदेश दिनांक 08/08/2023 से व्यथित होकर म.प्र. भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 44 के तहत प्रस्तुत की गई थी। ग्राम रैगवा प.ह.न. 27 पुराना खसरा नंबर 51 वर्तमान खसरा नंबर 74 रकवा 1.01 हेक्टेयर विगत लगभग 50 वर्षो से राजस्व अभिलेखों में अपीलार्थी के नाम से दर्ज है। अपीलार्थी उक्त भूमि पर विगत 50 वर्षो से भौतिक रूप से काबिज है। उक्त संपत्ति अपीलार्थी को मूल भूमिस्वामी श्री महावीर प्रसाद पांडेय से उनके जीवन काल में प्राप्त हुई थी । अतिरिक्त तहसीलदार आधारताल द्वारा प्रति अपीलार्थीगणों के साथ मिलीभगत कर रा.प्र. क्र. 1587/
अ-6/2023-24 में दिनांक 08/08/2023 को आदेश पारित कर राजस्व अभिलेखों से अपीलार्थी का नाम विलोपित कर श्री महावीर प्रसाद पांडेय की फर्जी वसीयत दिनांक 14/02/1970 के आधार पर कलेक्टर कार्यालय में पदस्थ रहे श्री श्याम नारायण चौबे के नाम दर्ज कर दी है। अपीलार्थी के अनुसार वसीयतनामा दिनांक 14/02/1970 पूर्ण रूप से कूटरचित एवं फर्जी है। महावीर प्रसाद जी के जीवनकाल मे ऐसी कोई भी वसीयत किसी के भी नाम से नहीं की गई है। कूटरचित वसीयत नामे के आधार पर नामांतरण की कारवाई की गई है। राजस्व अभिलेखों में अपीलार्थी का नाम विगत 50 वर्ष से दर्ज होने के बावजूद अधीनस्थ न्यायालय द्वारा अपीलार्थी को ना तो पक्षकार बनाया गया और न ही कोई सुनवाई का अवसर प्रदान किया गया। न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी आधारताल द्वारा अधोन्यायालय के प्रकरण एवं दस्तावेजी साक्ष्यों का अवलोकन और विश्लेषण करने पर यह पाया गया कि अधोन्यायालय के समक्ष प्रस्तुत आवेदन, आवेदक श्री एस. चौबे के हस्ताक्षर से प्रस्तुत किया गया है। श्री श्याम नारायण चौबे का नाम कहीं भी आवेदन पत्र मे उल्लेखित नहीं है। आवेदन पर हस्ताक्षर एवं आदेश पत्रिका में हस्ताक्षर भिन्न-भिन्न है। आवेदक द्वारा आवेदन पत्र में स्थायी निवास का पता भी अंकित नहीं किया है और न ही कही परिचय पत्र, आधारकार्ड अधीनस्थ न्यायालय में प्रस्तुत किया है।

हितबद्ध पक्षकार वर्तमान भूमिस्वामी को जारी नोटिस की चस्पा तामीली एवं उस पर हस्ताक्षर प्रथम दृष्टया संदेहास्पद है। हितबद्ध पक्षकार को समुचित रूप से सूचना दिये बगैर उसकी अनुपस्तिथि में की गई नामांतरण की कार्यवाही विधिसंगत नहीं है। हितबद्ध पक्षकारों को पक्षकार भी नहीं बनाया गया है। इस तथ्य का उल्लेख नहीं किया गया है कि वसीयत की गयी संपत्ति स्वअर्जित है या वंशानुगत है इस संबंध में कोई भी दस्तावेज न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत नहीं किये गए है । अधोन्यायालय के समक्ष प्रस्तुत
वसीयतनामा तीन रूपये के स्टाम्प पर निष्पादित किया गया है। अधोन्यायालय की आदेश पत्रिका दिनांक 02/08/2023 में वसीयत के साक्षी उपस्थित हुए लेख किया गया किन्तु किसी भी साक्षी के आदेश पत्रिका में हस्ताक्षर नहीं है। अपंजीकृत वसीतयनामा लगभग 52-53 वर्ष उपरांत नामांतरण हेतु
प्रस्तुत किया जाना प्रथम दृष्टया संदिग्ध और कूट रचित होना स्वमेव प्रतीत होना पाया गया। पटवारी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट एकपक्षीय और दुर्भावनापूर्ण प्रदर्शित होना पाई गई। हल्का पटवारी प्रतिवेदन में
मौका जांच एवं स्थल पंचनामा संलग्न नहीं किया गया, न ही उनके द्वारा पूर्व भूमिस्वामी महावीर प्रसाद के विधिक वारसानो की जानकारी एवं मृत्यु प्रमाण पत्र एवं मृत्यु दिनांक की जांच की गई। वसीयतकर्ता एवं वसीयतग्राहिता के संबंधों पर मौका जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं किया गया। अधोन्यायालय प्रकरण में प्रस्तुत समस्त दस्तावेज यथा वसीयत, मृत्यु प्रमाणपत्र, नोटरीयुक्त शपथ पत्र, पटवारी प्रतिवेदन आदि आवेदक के पक्ष में नामांतरण हेतु सुनियोजित तरीके से तैयार कर अधोन्यायालय में प्रस्तुत किया जाना दर्शित पाया गया, जिसके आधार पर तत्कालीन पीठासीन अधिकारी द्वारा जानबूझकर विधिक तथ्यों को दरकिनार कर आदेश पारित किया गया। पीठासीन अधिकारी श्री हरिसिंह धुर्वे, तहसीलदार आधारताल जबलपुर के पद पर कार्यरत थे। अतिरिक्त तहसीलदार आधारताल जबलपुर के पद पर श्री राजेश कौशिक कार्यरत थे। उक्त दोनों न्यायालयों के मध्य कार्य विभाजन कलेक्टर जबलपुर के द्वारा किया गया है। श्री हरिसिंह धुर्वे तहसीलदार आधारताल जबलपुर द्वारा अधिकारिता से परे जाकर अतिरिक्त तहसीलदार आधारताल जबलपुर के न्यायालय में दर्ज प्रकरण का निराकरण किया गया है।

अधिकारिता विहीन कार्यवाही की गई है। नियम विरूद्ध आदेश पारित किये जाने के कारण न्यायालय अनुविभागीय अधिकारी आधारताल द्वारा अपीलार्थी द्वारा प्रस्तुत अपील स्वीकार की जाकर अधोन्यायालय का विचारण प्रकरण क्रमांक 1587/अ-6/2023-2024 आदेश दिनांक 08/08/2023 एवं पश्चातवर्ती रा.प्र.क्र. 1376/अ-6/2024-25 आदेश दिनांक 26/06/2024 अपास्त किया जाकर रिकार्ड पूर्ववत श्री शिवचरण पांडेय पिता स्व. श्री सरमन पांडेय निवासी माडल टाउन रैंगवा जिला जबलपुर के नाम दर्ज किये जाने का आदेश पारित किया गया। प्रकरण में तत्कालीन तहसीलदार / पीठासीन अधिकारी, आधारताल जबलपुर श्री हरिसिंह धुर्वे द्वारा कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर नियम विरूद्ध आदेश पारित किया गया है। उपरोक्त कृत्य के लिए कलेक्टर जबलपुर द्वारा श्री हरिसिंह धुर्वे, तत्कालीन तहसीलदार आधारताल जिला जबलपुर वर्तमान पदस्थापना कार्यालय कलेक्टर जबलपुर को निलंबित किया जाना प्रस्तावित किया गया।

श्री हरिसिंह धुर्वे, तत्कालीन तहसीलदार आधारताल जिला जबलपुर वर्तमान पदस्थापना कार्यालय कलेक्टर जबलपुर का उपरोक्त कृत्य मध्य प्रदेश सिविल सेवा (आचरण) नियम 1965 के नियम-3 सामान्य (1) उपनियम (एक) (दो) (तीन) के विपरीत होकर कदाचरण की श्रेणी में आता है। अतः कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर नियम विरूद्ध आदेश पारित करने के फलस्वरूप श्री हरिसिंह धुर्वे, तत्कालीन तहसीलदार आधारताल जिला जबलपुर वर्तमान पदस्थापना कार्यालय कलेक्टर जबलपुर को मध्य प्रदेश सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम 1966 के नियम-9 के प्रावधानों के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय कार्यालय कलेक्टर, जबलपुर नियत किया जाता है। श्री धुर्वे को नियमानुसार जीवन निर्वाह
भत्ते की पात्रता रहेगी यह आदेश तत्काल प्रभाव से प्रभावशील होगा।

 

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