खरी खरी:: कुरूक्षेत्र बनी नगर परिषद मऊगंज, भ्रष्टाचार की महाभारत में कलयुगी कौरव कौन-? और पाण्डव कौन-?
खरी खरी:: कुरूक्षेत्र बनी नगर परिषद मऊगंज, भ्रष्टाचार की महाभारत में कलयुगी कौरव कौन-? और पाण्डव कौन-?
मऊगंज नगर परिषद मऊगंज में इन दिनों सब कुछ ठीक-ठाक नहीं नहीं चल रहा है कांग्रेस छोड़ भाजपा में आएं अध्यक्ष बृजवासी पटेल और उपयंत्री राजेश सिंह पटेल रुके पड़े बिलो के भुगतान को लेकर खुलकर आमने-सामने की लड़ाई लड रहे हैं, एक तरफ जहां अध्यक्ष बृजवासी पटेल का कहना है कि जो काम पूरे हो चुके हैं उसका पेमेंट उपयंत्री नहीं कर रहे हैं इस आपसी खींचतान के चलते नगर परिषद के कार्य करने वाले संविदाकार कार्य करने के बाद भी परेशान हैं और नगर के विकास में अवरोध उत्पन्न हो रहा है, बीते दिनों अध्यक्ष और उपयंत्री के बीच आपसी विवाद का आडियो भी वायरल हुआ था वायरल आडियो जन चर्चा का विषय बना रहा।
तो वही दूसरी तरफ उपयंत्री राकेश सिंह पटेल द्वारा यह कहा जा रहा है कि जो काम नियम कायदों को ताक पर रखकर कराए गये या फिर भ्रष्टाचार करते हुए गुणवत्ता विहीन कार्य किए गए हैं सिर्फ उन्हीं कार्यों का पेमेंट आधा अधूरा रूका हैं बांकी जो सही कार्य है उनका पेमेंट नियमानुसार किये गये है। उसी प्रक्रिया के तहत उक्त निर्माण कार्यो का जांच परीक्षण उपरांत आगे भी भुगतान किए जा रहे हैं।
इस महाभारत में कौन कौरव कौन पांडव।
फर्जी व नियम प्रक्रिया से हटकर मनमानी पूर्ण कराए गये कार्यो को छोड़ दें तो सुनिश्चित समय सीमा और मापदंडों के अनुसार कार्य करने बाले किसी भी ठेकेदार के द्वारा किसी भी सक्षम अधिकारी के यहां शिकायत नही की गई है। लेकिन यहां भ्रष्टाचार को लेकर चल रही महाभारत में धर्म और अधर्म की इस जंग को लड़ने बाले कौरव कौन और पांडव कौन यह बता पाना काफी जटिल है यहां तो संजय की तरह युद्ध को देख रही जनता को ही तय करना है क्योंकि अपने स्वार्थ में अंधे धृतराष्ट्र को यहां की प्रजा के दुख दर्द से कोई लेनादेना नही है क्यों की इस आपसी खींचतान में पिस तो जनता ही रहीं हैं!
बाबा पर भारी नाती, नाती अब चढ़ा है बबा की छाती!
महाभारत युद्ध होने का मुख्य कारण कौरवों की उच्च महत्वाकांक्षाएं और धृतराष्ट्र का पुत्र मोह था किंतु नगर परिषद के इस महाभारत में नाती मोह एवं अनैतिक धन कमाना भी है,
साथ ही इस महाभारत युद्ध में पूरी भूमिका कलयुगी अर्जुन की है और तो और हैरानी इस बात पर है इस महाभारत में अर्जुन का साथ देने में किरदार के विपरीत शकुनी भी मैदान में उतर चुके हैं!
सूत्र बताते हैं कि इस द्वंद्व में अर्जुन की भूमिका भी संदिग्ध है मिल जानकारी के अनुसार कई बिल अर्जुन और उसके सिपह सलाहकारों के भी लटकें है जिसमे प्रमुख रूप से हजारों टाली मिट्टी खनन का बिल भी शामिल हैं ,जो पर्दे के पीछे रहकर बबा के नाती अर्जुन के द्वारा शासकीय तालाब से मिट्टी निकाल कर नगर के नवनिर्मित सड़क के दोनों तरफ डाली गई है उसको भी पास करवाना जरूरी है जिसमें अब बबा की प्रतिष्ठा जुड़ गई है
और कहावत भी है कि ‘जेकर बबा कराहें मा बैठइ, ओकर नाती पूड़ी का तरसैं’
संकट और दुविधा में शकुनी
लगभग तीन महीने पहले तक गोपनीय तरीके से पांसा फेंक कर राजनैतिक चक्रव्यूह रचाने वाले अब खुद धर्म संकट की स्थिति में है सारे काम छोड़ कर सिर्फ डैमेज कंट्रोल करने में व्यस्त हैं स्थिति ऐसी हो गई है कि अपने यहां एक बघेली में कहावत है कि ‘पूतउ मीठ भतारउ मीठ- किरिया खई त केकर खई”
जनचर्चा! हमरी ओर नजर कब होगी- ?
नगर परिषद मऊगंज में रुके पड़े बिलो के भुगतान पर ध्यान देने के बजाय माननीय जनसेवक जी को बिजली की भीषण समस्या से परेशान जनता की ओर ध्यान दे तो समूचे विधानसभा के लोगो का भला होता ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है क्योंकि जिस तरह से माननीय जनसेवक जी अपनी ही सरकार में बड़े मुद्दों को लेकर अक्सर विभागों में बैठते हैं उसी प्रकार से बिजली की विकट समस्याओं पर चर्चा के लिए बिजली विभाग के डीई कार्यालय की ओर सबसे पहले ध्यान देना चाहिये।
जहां पर ठेकेदारों से सांठगांठ कर लाइन मेंटीनेंस में खेल किए जाने का मुद्दा उठाया गया है क्योंकि बीते दो माह से नवीन जिला मुख्यालय की बिजली आपूर्ति व्यवस्था तहस नहस है।
जिसके लिए जर्जर ट्रांसफार्मर,तार के सुधार और लाइनमैनों की कमी दूर करने के लिए प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है।