रीवा

Rewa news, पानी के लिए कई नामी गिरामी कंपनियां रीवा संभाग में कर रही अरबों रुपए का बंदरबांट।

Rewa news, पानी के लिए कई नामी गिरामी कंपनियां रीवा संभाग में कर रही अरबों रुपए का बंदरबांट।

जल विहीन, जल जीवन मिशन योजना, प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी नल-जल योजना चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट।

 

विराट वसुंधरा/रामानंद शुक्ला

ग्रामीण अंचलों एवं सुदूर वर्ती क्षेत्र में बसाहटों को शुद्ध पेयजल आपूर्ति का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना मानते हुए इतना प्रचार प्रसार किया गया कि गांव का हर एक व्यक्ति शुद्ध पेयजल हर घर नल जल योजना के सपने देखने लगा। मोदी जी के दूसरे कार्यकाल में इस योजना का भरपूर प्रचार प्रसार किया गया और कार्य भी प्रारंभ कर दिए गए। इस कार्य के निष्पादन के लिए कई नामी गिरामी कंपनियों को रीवा संभाग में शुद्ध पेयजल आपूर्ति का जिम्मा दिया गया। जिनमें प्रमुख रूप से के ई सी कंपनी, एल&टी, दिलीप बिल्डकॉन, एवम् यल सी सी को भारी भरकम ठेके देकर किसी को सतना चित्रकूट सोहावल मझगवां तो किसी को रीवा जिले के मऊगंज हनुमना तक तो किसी को सीधी जिले एवं एलएनटी कंपनी को रामनगर ब्लॉक में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराए जाने की जवाबदारी सौपी गई। हासिल जानकारी के अनुसार मात्र रामनगर मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूर इंटकवेल फिल्टर बनाकर शुद्ध पेयजल को गांव गांव में निर्माणाधीन ओवरहेड टैंकों के माध्यम से 24 घन्टे शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराना था किंतु इसका क्या किया जाए की लगभग तीन-चार वर्षो से कार्यरत एलएनटी कंपनी का फिल्टर पानी महज कुछ किलोमीटर दूर रामनगर शहर को भी नहीं मिल पाया जबकि निर्माता कंपनी ने नवनिर्मित विभाग जल निगम से सांठ गांठ कर करोड़ों रुपए डकार दिए।

ग्रामीणों को पानी के बजाय तबाही लगी हाथ।

हर घर नल जल योजना के दिखाए गए सब्ज वाग कब पूरे होंगे कोई नहीं बता सकता, क्योंकि इन ठेका कंपनियों का इतना हौवा बना दिया गया है कि वे जब चाहे जहां से चाहे पाइपलाइन निकाल दें, सड़क या नालियां खोद डालें, किसानों के खेत खोद दें, या वन भूमि के सैकड़ो हजारों पेड़ गिरा दें यदि ग्रामीण व किसानों ने कभी कोई आपत्ति की तो पल भर में देखते-देखते ब्लॉक से लेकर जिले तक के आला अधिकारी पहुंच जाते हैं इन ठेकेदारों की जी हजूरी करने, और ग्रामीण किसानों को डरा धमका कर वहां से उनकी पाइप लाइन निकलवा देते हैं, इसके बाद ना तो किसानों की जमीन को समतल किया जाता है और ना ही खोदी गई सड़कों की मरम्मत। अब ग्रामीण एवं किसानों की दुर्दशा का आलम यह की ना तो खेतों में खेती हो पा रही है और ना ही सड़क पर ग्रामीणों की आवाजाही उनके सामने एक तरफ कुआं है तो एक तरफ खाई। यदि संगठित होकर ग्रामीण किसानों ने कार्य पर रोक लगाई तो इन ठेका कंपनियों की तीमारदारी करने सारा प्रशासनिक अमला तैयार बैठा है, जिनके द्वारा यह बताया जाता है कि ऊपर से आदेश हैं।

कंपनियों के पीछे दुम हिला रहे अधिकारी।

 

इन तथाकथित कम्पनियो का इतना हौआ बना दिया गया है कि कंपनियों के तथाकथित अदने से कर्मचारियों को जिसे पीएम का दर्जा दिया गया है के आगे-पीछे समूचा प्रशासनिक अमला चलता है य यूं कहें कि दुम हिलाते नजर आ रहे हैं और ऊपर से आदेश है या NOC है का डर दिखा कर मनमानी काम किया जा रहा है। जिस गति से य जिस तरह काम किया जा रहा है मुझे लगता है आने वाले दिनों में कहीं भी ना तो सड़क दिखेगी और ना ही बेचारे किसानों के खेत समतल रह जाएंगे। इसकी मुख्य वजह यह है कि इन कंपनियों के कर्मचारी मनमानी तरीके से कार्य कर रहे हैं जहां से जब मर्जी आई पाइप लाइन निकाल देते हैं और सड़क की पटरियों को भी तहस-नस कर रहे हैं जिससे भविष्य में इन सड़कों पर चलने वाले माल भाड़ा एवं यात्री परिवहन वाहनों की बड़ी दुर्घटनाएं होगी इसमें कोई संदेह नहीं है।

तथाकथित बड़ी कंपनियां कर रही घटिया काम।

सुनने में आया है कि में वह पाइप लाइन जहां से पानी उठाकर इंटकवेल फिल्टर प्लांट तक पानी लाना है वह भी अच्छी क्वालिटी का नहीं है किंतु जल निगम के कर्मचारी भी सब जानते हुए मौन हैं। रीवा संभाग में जल निगम के मार्फत एल एन्ड टी, दिलीप बिल्डकॉन, एवं के ई सी तथा यल सी सी नामक उपरोक्त कम्पनियों के चालू कार्यों की गुणवत्ता पर अगर दृष्टिपात किया जाए तो पाइपलाइन तो मनमानी तरीके से डाली ही गई है, इन कंपनियों द्वारा बनाए गए ओवरहेड टैंक भी घटिया व तय मानक मानदंडों के अनुरूप नहीं है। वहीं दूसरी ओर सरपंच सचिवों पर दबाव बनाकर फर्जी कनेक्शन दिखाते हुए गांव-गांव घर-घर कागजी कनेक्शन करा दिए गए हैं इससे तो लगता है कि देश के प्रत्येक नागरिक को 15- 15 लाख रुपए का सपना दिखाकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज भाजपा की सरकार अब हर घर शुद्ध पेयजल पहुंचाने का केंद्र सरकार की इस योजना का भी वही हाल होने वाला है और सुदूरवर्ती गांव देहातों में बसने वाली जनता शुद्ध पेयजल के लिए छटपटाती ही रह जाएगी बेचारे ग्रामीणों को तीन-तीन बार जिन्होंने सरकार बनाए दिखाए गए सब्ज बाग भी आधे अधूरे रह जाएंगें

बिना निरीक्षण किए सांसद विधायक और मंत्री कर रहे काम का बखान।

आवश्यकता इस बात की है रीवा संभाग के सभी सांसद एवं सभी माननीय विधायक गण चाहे वह मंत्री व उपमुख्यमंत्री भले बन गए हो जमीनी धरातल पर जाकर देखें की जलमिशन योजना की वास्तविक स्थिति क्या है और इस योजना पर रीवा संभाग भर में खर्च कर दी गई अकूतन धनराशि का दुरुपयोग हुआ है बंदर बांट हुआ है या नहीं इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी जी कि अब नई योजना एक पेड़ मां के नाम चला कर विभिन्न शासकीय परिसरों अथवा सार्वजनिक स्थान में वृक्षारोपण कराए जाने का जो सिलसिला चालू है वास्तव में इन कंपनियों द्वारा पाइपलाइन ले जाते समय कितने पेड़ों का सर्वनाश कर दिया गया है नुकसान किए गए पेड़ों के एवज में यदि कम से कम उतने ही पेड़ों का वृक्षारोपण भरपाई स्वरूप करा दिया जाए तो बेहतर होगा।

जल विहीन, जल जीवन मिशन।

जल जीवन मिशन जनता को भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है विधानसभा चुनाव से पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभागीय मुख्यालय रीवा में जल जीवन मिशन योजना का लोकार्पण कर जनता को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की बात कहे थे उस समय ऐसा लग रहा था कि इसी योजना से जनता को जीवन दायिनी जल प्राप्त होगा लेकिन जब निर्माण कार्यों पर नजर दौड़ाई जाए तो जल जीवन मिशन आज भी जल विहीन नजर आ रहा है सुखी टंकियां खड़ी है जिन टंकियां को टेस्ट करने पानी भर गया उन टंकियों से पानी टपकने लगा गांव गांव कनेक्शन कर दिए गए लेकिन जनता को पानी नसीब नहीं हुआ जबकि गर्मी के दिनों में भारी जल संकट था कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां गांव की जनता ने दूर दराज से पानी लाकर 4 महीने बिताए हैं रीवा जिले की बात करें तो भारी जल संकट त्योंथर तहसील के कुछ गांव मऊगंज और सिरमौर,गुढ, मनगवां क्षेत्र में जल संकट देखा गया था इसी तरह मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में पहाड़ी क्षेत्रों में जल संकट बना हुआ है इन क्षेत्रों में जल जीवन मिशन के तहत काम तो किए गए लेकिन जल जीवन मिशन का काम जल विहीन ही देखा गया।

जनता को लाभ मिले य न मिले कंपनियां हो रही मालामाल।

जल जीवन मिशन योजना में जनता को अभी तक लाभ मिलता नहीं नजर आया है लेकिन इस योजना में पाइप बनाने वाली कंपनी दुकानदार जहां से सामग्री खरीद फरोख्त होती है और ठेकेदारों को जमकर लाभ हुआ है कंपनियों द्वारा कराए गए निर्माण कार्य की गुणवत्ता देखकर ही सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि कंपनियां कितना मालामाल हुई होगी केंद्र सरकार की इस योजना का जितना प्रचार प्रसार किया गया है उसे तरह से धरातल पर काम नहीं हुआ है लोगों का कहना है कि जिस तरह से शहरी क्षेत्र में सीवरेज लाइन का हश्र हुआ जल संवर्धन और वाटरसेड कार्य, हरियाली प्रोजेक्ट, जैसी अन्य योजनाओं में भारी भरकम राशि का बंदर बांट हुआ था इस तरह से इस योजना में भी बड़ी कंपनियों ने खेल कर दिया है जहां भी कम हुए हैं वहां सरपंचों को जबरन हैंडओवर करने का दवाब बनाया जा रहा है भारत सरकार और प्रधानमंत्री की महत्वाकांक्षी नल-जल योजना व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है।

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