Rewa news, सांसद जनार्दन मिश्रा ने प्रशासनिक अमलों के साथ मिलकर जिले के जनपदों के साथ किया सौतेला व्यवहार।
👉 रीवा सांसद और सीईओ द्वारा पंचायतों के स्टेट फंड की राशि वितरण में की मापदंडों को अनदेखी।
👉 अपने खास जनपदों और पंचायतों के लिए खोल दिया पिटारा बाकी को खाली हंडी।
👉 37 निर्माण कार्यों के लगभग 17 करोड़ में गंगेव के 60 फीसदी यानी 22 और सिरमौर के 35 फीसदी यानी 13 कार्य बाकी लगभग शून्य के बराबर।
👉 सामाजिक और आरटीआई कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने कहा मात्र गंगेव और सिरमौर के ही सांसद हैं जनार्दन मिश्रा।
रीवा । सांसद जनार्दन मिश्रा के एक कारनामे ने उनके कार्यों को लेकर एक एक बार पुनः सवाल खड़े कर दिए हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश स्टेट फंड के माध्यम से जनार्दन मिश्रा ने 37 निर्माण कार्यों की स्वीकृति मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा सौरभ संजय सोनवड़े और प्रभारी कलेक्टर के माध्यम से करवाई है जिसमें बताया गया है की इन 37 निर्माण कार्यों के लिए कुल 16 करोड़ 83 लाख 23 हजार रुपए स्वीकृत किए गए हैं जिनमें गंगेव जनपद के लिए सर्वाधिक 60 फीसदी यानी 22 निर्माण कार्य सिरमौर जनपद के लिए 35 फीसदी यानी 13 निर्माण कार्य और रीवा एवं रायपुर कर्चुलियान जनपद के लिए मात्र 2-2 फीसदी यानी एक-एक निर्माण कार्यों की प्रशासनिक स्वीकृत दी गई है। वहीं बताया गया है कि नगर निगम क्षेत्र के लिए कुल 19 करोड़ के 14 निर्माण कार्यों की प्रशासनिक स्वीकृत प्राप्त हुई है।
क्या कमीशन एक बड़ा कारण है जिले के अन्य जनपदों के साथ सौतेला व्यवहार।
सामाजिक एवं आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने कहा है की सांसद जनार्दन मिश्रा के द्वारा रीवा जिले के 9 जनपदों के साथ सौतेला व्यवहार किया गया है। उन्होंने कहा की रीवा सांसद ने मात्र उन्हीं पंचायतों और जनपदों को राशि उपलब्ध करवाई है जो उनके चहेते हैं और किसी न किसी तरह से उन्हें लाभान्वित करते हैं। शेष जनपद जैसे नईगढ़ी, जवा, मऊगंज, हनुमना और त्यौंथर जनपदों को उक्त 37 निर्माण कार्यों में से कोई भी निर्माण कार्य के लिए किसी भी प्रकार की राशि आवंटित नहीं की गई है जिसको लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। बड़ा सवाल यह है की क्या रीवा जिले में मात्र गंगेव और सिरमौर जनपद ही हैं जहां स्टेट फंड की 95 फीसदी राशि आवंटित कर दी गई? और क्या शेष जनपद जैसे नईगढ़ी जवा मऊगंज हनुमना और त्यौंथर जनपद अब पूरी तरह से विकसित हो चुके हैं जहां अब पैसे की कोई जरूरत ही नही। यदि सूत्रों की माने तो इस पूरे आवंटन में 20 प्रतिशत तक कमीशन का खेल बताया जा रहा है। जिन पंचायतों ने यह कंडीशन पूरी की उन्हें भरी भरकम राशि मिल गई और जिन्होंने नही उन्हें ठेंगा दिखा दिया गया।
शहरी क्षेत्र की जगह ग्रामीण क्षेत्र में अधिक देना चाहिए ध्यान।
अब यदि नगरीय क्षेत्र की बात की जाए तो निश्चित तौर पर नगरीय क्षेत्रों में भी विकास की आवश्यकता होती है लेकिन जहां उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला स्वयं वहां से विधायक और मंत्री हैं और अपने प्रयासों से नगरीय क्षेत्र के लिए प्रयास कर सकते हैं तो सांसद जनार्दन मिश्रा क्या वही नगरीय क्षेत्र वाली 19 करोड़ की राशि का कुछ और हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं जैसे जर्जर आवागमन मार्गो के निर्माण, बिजली, पानी और स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए नहीं कर सकते थे? बड़ा सवाल यह है कि अब यह देखना पड़ेगा की नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए आवंटित किए गए करोड़ों रुपए की इस राशि का उपयोग निर्माण एजेंसी किस प्रकार से करती हैं? जाहिर है जैसे कमीशन का खेल बदस्तूर जारी है वैसे ही अपने चहेतों को भारी भरकम राशि का आवंटन करने के बाद वही कहानी यहां भी देखने को मिल सकती है। बहरहाल निर्माण कार्यों को लेकर आवंटित की गई 95 फीसदी राशि सिर्फ गंगेव और सिरमौर जनपदों को आवंटित किए जाने और शेष जनपदों को खाली हाथ छोड़े जाने पर सवाल खड़े होने लाजमी हैं।
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