Rewa news, दो घंटे में तीन लाख का उपचार फिर भी मरीज की नहीं बची जान, गब्बर फिल्म स्टाइल में होता रहा ड्रामा।

0

Rewa news, दो घंटे में तीन लाख का उपचार फिर भी मरीज की नहीं बची जान, गब्बर फिल्म स्टाइल में होता रहा ड्रामा।

बिहान हॉस्पिटल में हुआ हाई वोल्टेज ड्रामा, शुगर पेशेंट को लगाया हार्ट का महंगा इंजेक्शन हुई मौत लगे गंभीर आरोप।

 

विराट वसुंधरा
रीवा। मध्यप्रदेश में स्वास्थ्य ब्यवस्था को लेकर सरकार लगातार दावे पर दावे कर रही है, लेकिन उन दावे और शासन प्रशासन के वादे कितने कारगर साबित हो रहे हैं यह आए दिन हो रही घटनाओं से देखने को मिलता हैं। रीवा शहर में विंध्य क्षेत्र की सबसे बड़ी संजय गांधी अस्पताल, गांधी मेमोरियल, कुशाभाऊ ठाकरे जिला अस्पताल बिछिया सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रीवा के साथ ही करीब दो दर्जन से अधिक निजी अस्पतालें एवं सैकड़ा से अधिक निजी क्लीनिक संचालित हैं सरकारी अस्पतालों में पदस्थ डॉक्टर अपने बंगले य निजी क्लीनिक में प्रैक्टिस कर रहे हैं इसके साथ ही निजी नर्सिंग होम में अपनी सेटिंग से मरीजों का उपचार कर रहे हैं और मरीजों का इलाज करने के नाम पर आम जनता का खून चूस रहे है जांच के नाम पर कमीशन खोरी दवाई में कमीशन खोरी आम बात हो चुकी है सरकारी डॉक्टर सरकारी अस्पताल में समय नहीं देते और मरीजों को भी ठीक से नहीं देखते जिसके कारण मरीज अपनी जान बचाने के लिए उनके निजी क्लीनिक नर्सिंग होम में पहुंच कर इलाज करता है जहां मरीज को पैकेज मानकर लाखों का वारा- न्यारा कर दिया जाता है।

बेलगाम स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल

रीवा जिला मेडिकल हब के साथ ही उपचार के नाम पर लूट का अड्डा भी बनता जा रहा है निजी अस्पतालों के डॉक्टर तो ऐसे बेलगाम हो गए हैं जैसे उन्होंने खुद को सरकार के सिस्टम से ऊपर कर लिया है और यही हाल सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेज का भी है जहां सरकारी अस्पतालों में पदस्थ कुछ डॉक्टर सिर्फ वेतन लेने के लिए शासन की नौकरी करते हैं और अपनी निजी क्लीनिक में या अपने आवास में सुबह से लेकर देर रात तक मरीजों को देखते हैं हालांकि दोपहर में कुछ समय के लिए उनका निजी क्लीनिक बंद रहता है यह दिखाने के लिए की डॉक्टर साहब अपनी ड्यूटी करने अस्पताल गए हैं लेकिन इस बीच कुछ समय के लिए ओपीडी में डॉक्टर बैठकर फॉर्मेलिटी पूरी करते हैं और फिर आराम करने घर निकल जाते हैं मेडिकल कॉलेज कैंपस रीवा में मरीजों की भीड़ लगी रहती है कुछ डॉक्टर को छोड़ दे तो कई ऐसे सीनियर डॉक्टर है जो डंके की चोट पर दोपहर 12:00 बजे तक अपने घर में मरीज को देखते है रीवा में बेलगाम हो चुकी स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर सरकार पर सवाल भी उठते हैं लेकिन होता वही है जो धरती के भगवान रूपी डॉक्टर चाहते हैं।

डॉ राकेश पटेल पर एक बार फिर लगा गंभीर आरोप।

रीवा जिले में संचालित निजी नर्सिंग होम फिल्म गब्बर की स्टाइल में चल रहे हैं जहां मरीजों के साथ इलाज करने के नाम पर लूट कर रहे हैं, मरीज अपने पैरों से चलकर निजी अस्पताल आता है उसे भर्ती किया जाता है और फिर उपचार के दौरान उसे गंभीर स्थिति में लाकर आईसीयू में डाल दिया जाता है सूत्र बताते हैं कि हाई डोज दवाइयां देकर मरीज को लंबे समय तक के लिए भर्ती रखने का निजी अस्पतालों में चलन बन गया है निजी अस्पतालों में अस्पताल के सभी बेड जब तक भर नहीं जाते तब तक मरीज को भर्ती रखने की योजना बनाकर रखी जाती है वैसे तो सभी नर्सिंग होम से महीने में एक दो ऐसी खबरें सामने आ जाती है जहां परिजन अस्पताल प्रबंधन पर हत्या करने जैसे गंभीर आरोप भी लगा देते हैं लेकिन इस बार मामला रीवा शहर में संचालित बिहान हॉस्पिटल से सामने आया है जिसके संचालक डॉक्टर राकेश पटेल है जो धन बल और राजनीतिक पकड़ के चलते काफी प्रभावशाली डॉक्टरों में गिने जाते हैं।

गब्बर फिल्म की स्टाइल में चल रहे नर्सिंग होम।

मरीज की मौत के बाद एक बार फिर बिहान हॉस्पिटल के संचालक पर गंभीर आरोप लगे है घटना को लेकर बताया गया है की पीटीएस निवासी रामनरेश दुबे शुगर पेशेंट थे, अचानक उन्हें चक्कर आया तो परिजन बिहान हॉस्पिटल लेकर उपचार कराने पहुंचे थे मरीज को डॉक्टर राकेश पटेल ने देखा और कॉर्डियल अटैक बाता कर बिहान अस्पताल में भर्ती करा लिया जब उपचार शुरू हुआ करते उन्होंने कहा कि एक महंगा इंजेक्शन लगेगा इस इंजेक्शन से मरीज ठीक होंगे परिजनों ने हामी भर ली जब इंजेक्शन लगा दिया गया तब मरीज अचेत हो गए और उनकी बोलती बंद हो गई इसके बाद फिल्म गब्बर की तरह नर्सिंग होम में ड्रामा शुरू हो गया और लगातार दवाइयां मंगाई जा रही थी मरीज के ठीक होने की बात कही जा रही थी जब कुछ घंटे बीत गए तब मरीज के परिजनों ने सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ले जाने के लिए कहा तब भी डॉक्टर द्वारा कहा गया कि मैरिज रिकवर हो रहा है उनके स्वास्थ्य में शीघ्र सुधार होगा दवाइयां की जा रही है लेकिन यह सब कुछ गब्बर फिल्म जैसा ही ड्रामा हो रहा था मरीज की मौत हो चुकी थी परिजन भी यह समझ चुके थे।

दो घंटे में तीन लाख का उपचार।

रीवा जिले से नागपुर इलाज करने के लिए आज भी अगर बस स्टैंड से पड़ताल की जाए तो लगभग दो दर्जन बस और एक ट्रेन रीवा से नागपुर जाती है रीवा में दर्जनों निजी नर्सिंग होम है और कई सरकारी अस्पताल भी है अचानक किसी की तबीयत खराब हो जाए तो अपने समर्थ अनुसार रीवा के ही किसी निजी अस्पताल में उपचार के लिए भर्ती कराया जाता है लेकिन यहां तो हालत यह है कि नागपुर और दिल्ली से भी महंगा उपचार निजी अस्पतालों में किया जा रहा है निजी अस्पतालों से अगर मरीज किसी तरह से जिंदा बच कर निकल गया तो पूछने पर यही बताता है कि इतने लाख का उपचार कराया है लेकिन हद तो तब हो गई जब 2 घंटे में ही तीन लाख से अधिक का उपचार बिहान हॉस्पिटल में कर दिया गया वह भी गब्बर फिल्म स्टाइल में मृतक के पुत्र नितिन कुमार दुबे ने बताया कि महज 2 घंटे के अंदर लगभग 3 लाख का बिल बन गया था तब भी उनके पिताजी की जान नहीं बची मरीज के मृत घोषित होने के बाद परिजनों ने जब बिहान अस्पताल में किए गए अत्याचार का विरोध किया तो अस्पताल के निजी गुंडो को बुलाकर परिजनों को धमकाया भी गया था।

इससे पहले भी बिहान अस्पताल में हुई है घटनाएं।

बताया जाता है कि निजी नर्सिंग होमो की यह कोई पहली घटना नहीं है, कुछ समय पहले ही इसी अस्पताल में मरीज की मौत के बाद आक्रोशित परिजनों ने जमकर हंगामा किया था उस दौरान भी मरीज के परिजनों ने गंभीर आरोप लगाए थे, देखा जाए तो निजी नर्सिंग होम संचालकों के द्वारा मनमानी लूट की जा रही है और इन्हें राजनीतिक संरक्षण भी प्राप्त है, जिसके चलते इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती, वैसे तो हर व्यक्ति बेहतर इलाज के लिए नागपुर, जबलपुर, दिल्ली भोपाल भागता है जब बाहर ले जाने के लिए मौका नहीं मिलता तभी रीवा के निजी अस्पतालों में मरीज को भर्ती कराता है, डॉक्टर भी भली भांति जानते हैं कि जो आया है वह मजबूरी में ही हमारे पास आया है और जब आ ही गया है तब इसका लाखों का वारा- न्यारा कर दें बच गया तो हंसते हुए मुंह मांगी रकम देगा और अगर मर गया तब भी किसी न किसी तरह से अच्छी वसूली हो ही जाएगी। हालांकि डॉक्टर राकेश पटेल के बिहान हॉस्पिटल में जब भी कोई घटना होती है और हंगामा होता है उसके दो-चार दिन बाद उनके द्वारा जिस यूट्यूब चैनल या अखबार को विज्ञापन देते हैं उनको बुलाकर प्रेस कांफ्रेंस की जाती है अपनी सफाई में सब कुछ सही बता कर खुद को निर्दोष साबित कर दिया जाता है और जिन चैनलों और समाचार पत्रों में उनके खिलाफ खबर छपती है तो उन्हें कानूनी नोटिस भेज कर डराया धमकाया भी जाता है।

 

 

 

- Advertisement -

Leave A Reply

Your email address will not be published.