Rewa news पूर्व सैनिक के बेटे की मौत का जिम्मेदार कौन उसके चार दोस्त या फिर डूबने से हुई मौत -?

Rewa news पूर्व सैनिक के बेटे की मौत का जिम्मेदार कौन उसके चार दोस्त या फिर डूबने से हुई मौत -?
आखिर दोस्तों ने क्यों नहीं बताया दोस्त के डूबने की घटना रायपुर थाना प्रभारी पर क्यों उठ रहे हैं सवाल-?
विराट वसुंधरा क्राइम संवाददाता यज्ञ प्रताप सिंह
रीवा जिले के रायपुर थाना क्षेत्र में पूर्व सैनिक नरेंद्र दुबेदी के परिवार को अपने इकलौते बेटे दिव्यांक की मौत के बाद से न्याय की आस है, लेकिन स्थानीय पुलिस की लापरवाही और ढिलाई ने उनकी उम्मीदों को धूमिल कर दिया है। दिव्यांक की मौत 15 अगस्त 2024 को तालाब में डूबने से हुई, लेकिन परिजनों का आरोप है कि उसके चार दोस्त, जो उस समय उसके साथ थे, उन्होंने जानबूझकर सूचना देने में देरी की और उनकी भूमिका संदिग्ध है।
मृत्यु के बाद आई पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में मौत का कारण डूबना बताया गया है, लेकिन दिव्यांक के परिजनों का मानना है कि यह घटना केवल एक दुर्घटना नहीं थी। उनकी चिंता इस बात को लेकर है कि दिव्यांक के दोस्तों ने तालाब में डूबने की सूचना समय पर क्यों नहीं दी। जब दिव्यांक की बहन ने दबाव बनाया, तब जाकर दोस्तों ने बताया कि दिव्यांक तालाब में डूब गया है। इस घटनाक्रम से परिजनों में शक और गहरा हो गया है कि कहीं यह कोई साजिश तो नहीं थी।
स्थानीय थाना प्रभारी और रायपुर पुलिस की जांच को लेकर दुबेदी का परिवार बेहद निराश है। उनका आरोप है कि पुलिस ने मामले की जांच में ढिलाई बरती और दोषियों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।
इस परिस्थिति में, एक पूर्व सैनिक का परिवार न्याय के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हो गया है। यह घटना न केवल दुबेदी परिवार के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए एक संवेदनशील मुद्दा बन चुकी है। सवाल यह है कि आखिर पुलिस इस मामले की गहराई में जाकर निष्पक्ष जांच क्यों नहीं कर रही है? क्या यह लापरवाही पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े नहीं करती?
सीजे (सिविल जज) से न्याय की आस अब इस परिवार की आखिरी उम्मीद है। पुलिस की नाकामी और ढिलाई के बावजूद, न्यायिक व्यवस्था से उम्मीद है कि वह इस मामले की गंभीरता को समझेगी और सही दिशा में न्याय की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी।
यह आवश्यक है कि स्थानीय पुलिस अपनी लापरवाही का मंथन करे और मामले की जांच को निष्पक्षता के साथ आगे बढ़ाए। दिव्यांक के परिवार को न्याय मिलना चाहिए और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए, ताकि एक सैनिक परिवार की आशाएं टूटने न पाएं।
इस घटना ने यह सवाल भी खड़ा किया है कि क्या हम अपने सैनिकों और उनके परिवारों को वह सम्मान और न्याय दे पा रहे हैं, जिसके वे हकदार हैं? यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।