नौ सेनाध्यक्ष और थल सेनाध्यक्ष देने वाला प्रदेश का गौरव है रीवा का सैनिक स्कूल जानिए सफलता की कहानी।

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नौ सेनाध्यक्ष और थल सेनाध्यक्ष देने वाला प्रदेश का गौरव है रीवा का सैनिक स्कूल जानिए सफलता की कहानी।

रीवा। मध्यप्रदेश के ऐतिहासक शहर महाकाल की नगरी उज्जैन में संदीपनि आश्रम में भगवान कृष्ण ने शिक्षा प्राप्त की थी। गुरूकुल में मिले ज्ञान से भगवान कृष्ण ने पूरी दुनिया को आलोकित करने वाला गीता का ज्ञान दिया। आधुनिक युग में मध्यप्रदेश के रीवा सैनिक स्कूल में ऐसे दो सपूतों ने शिक्षा प्राप्त की है जो अपनी प्रतिभा और परिश्रम से देश के नौ सेना तथा थल सेना की कमान संभाल रहे हैं। संभवत: रीवा सैनिक स्कूल देश का एक मात्र स्कूल होगा जिसके दो विद्या‍र्थी एक साथ देश के सेनाध्यक्ष का पद्भार संभाल रहे हैं। सुखद संयोग यह भी है कि दोनों अधिकारी सैनिक स्कूल में एक ही बैच के विद्यार्थी हैं। इस स्कूल में शिक्षा प्राप्त एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी 30 अप्रैल 2024 को भारतीय नौ सेना के अध्यक्ष बनाए गए। सैनिक स्कूल रीवा के ही विद्यार्थी जनरल उपेन्द्र द्विवेदी 30 जून 2024 को थल सेनाध्यक्ष बनाए गए। अपने शानदार कैरियर से इन दोनों अधिकारियों ने भारतीय सेना में मध्यप्रदेश और विन्ध्य का झण्डा बुलंद किया है। ऐसे दो अधिकारी देने वाला सैनिक स्कूल रीवा मध्यप्रदेश ही नहीं पूरे देश का गौरव है।

किशोरों तथा युवाओं में सैन्य शिक्षा के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए देश भर में सैनिक स्कूल शुरू किए गए। रीवा में 20 जुलाई 1962 को सैनिक स्कूल की स्थापना हुई। रीवा के तत्कालीन महाराजा मार्तण्ड सिंह ने सैनिक स्कूल की स्थापना के लिए अपना युवराज भवन तथा 264 एकड़ जमीन प्रदान की। सैनिक स्कूल का संचालन रक्षा मंत्रालय के तहत किया जाता है। रीवा में लेफ्टिनेंट कर्नल आरआर नारंग को सैनिक स्कूल का प्रथम प्राचार्य बनाया गया। श्री नारंग के कठिन परिश्रम और लगन से सैनिक स्कूल ने आकार लेना शुरू किया। इसमें कक्षा पाँचवी से नवीं तक की कक्षाओं में 150 विद्यार्थियों को प्रवेश दिया गया। शुरूआत में सैनिक स्कूल में केवल बालकों को प्रवेश दिया जाता था। गत तीन वर्षों से इसमें बालिकाओं को भी प्रवेश दिया जा रहा है। सैनिक स्कूल परिसर में प्रशिक्षण के सभी संसाधन उपलब्ध हैं। विभिन्न खेलों के लिए यहाँ विकसित मैदान हैं। सैनिक स्कूल परिसर में लड़ाकू विमान और टैंक शोभा बढ़ा रहे हैं। सैनिक स्कूल में शिक्षा प्राप्त कई विद्यार्थी सेना, प्रशासन तथा अन्य क्षेत्रों में उच्च पदों पर कार्य कर रहे हैं।

नौ सेनाध्यक्ष श्री त्रिपाठी – श्री त्रिपाठी का जन्म 15 मई 1964 को सतना जिले के महुडर ग्राम में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा गांव में प्राप्त करने के बाद श्री त्रिपाठी ने 1973 में सैनिक स्कूल रीवा में प्रवेश लिया। श्री त्रिपाठी 1981 में स्कूली शिक्षा पूरी करके नेशनल डिफेंस एकेडमी खड़गवासला पुणे में प्रवेश लिया। श्री त्रिपाठी ने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कालेज वेलिंगटन में स्टाफ कोर्स पूरा किया, जिसमें उन्हें थिमैया पदक देकर सम्मानित किया गया। संयुक्त राज्य अमेरिका में नेवल वॉर कालेज में श्री त्रिपाठी ने सैन्य विज्ञान की विशिष्ट शिक्षा प्राप्त की। यहाँ उन्हें राबर्ट्स ई वेटमेन पुरस्कार से सम्मानित किया गया। श्री त्रिपाठी एक जुलाई 1985 को भारतीय नौसेना में नियुक्त हुए। वे संचार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के विशेषज्ञ हैं। नौ सेनाध्यक्ष बनने से पहले श्री त्रिपाठी ने 38वें उप नौसेना प्रमुख, पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफीसर कमांडिंग इन चीफ और नौ सेना संचालन महानिदेशक जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। श्री त्रिपाठी को सेना में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल तथा नौसेना मेडल से सम्मानित किया जा चुका है।

थल सेनाध्यक्ष श्री द्विवेदी – श्री द्विवेदी का जन्म एक जुलाई 1964 को रीवा जिले के मुड़िला ग्राम में हुआ। श्री द्विवेदी ने 1973 में सैनिक स्कूल रीवा में प्रवेश लिया। श्री द्विवेदी ने 1981 में स्कूली शिक्षा पूरी करके नेशनल डिफेंस एकेडमी खड़गवासला पुणे में प्रवेश लिया। उन्होंने भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून में भी प्रशिक्षण प्राप्त किया। श्री द्विवेदी ने उत्कृष्ट खिलाड़ी के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्हें 15 दिसम्बर 1984 को भारतीय सेना में पदस्थ किया गया। फिजिकल ट्रेनिंग कोर्स में उन्हें स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। श्री द्विवेदी ने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कालेज वेलिंगटन, आर्मी वॉर कालेज महू तथा अमेरिका में यूनाइटेड स्टेट्स आर्मी वॉर कालेज में भी प्रशिक्षण प्राप्त किया। श्री द्विवेदी सेनाध्यक्ष बनने से पहले उत्तरी कमान के कमांडिंग इन चीफ, माउंटेन डिवीजन, बख्तरबंद डिवीजन, महानिदेशक इन्फेन्ट्री तथा अन्य कई महत्वपूर्ण पदों पर पदस्थ रहे। श्री द्विवेदी को 30 जून 2024 को थल सेनाध्यक्ष बनाया गया। इसके पहले वे 46वें उप सेनाध्यक्ष थे। थल सेनाध्यक्ष श्री द्विवेदी को सेना में उत्कृष्ट सेवाओं के लिए परम विशिष्ट सेवा मेडल तथा अति विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया जा चुका है।

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