Rewa news, धोखेबाज मोहब्बत की तरह हो चुकी रीवा और मऊगंज जिले में विद्युत व्यवस्था।

Rewa news, धोखेबाज मोहब्बत की तरह हो चुकी रीवा और मऊगंज जिले में विद्युत व्यवस्था।
भीषण गर्मी और उमस में घंटों रहती है बिजली गुल शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों तक विद्युत व्यवस्था को लेकर हाहाकार।
राज्य सरकार जिस विद्युत व्यवस्था को 24 घंटे देने का दावा करती है वह सरकारी दावा मध्य प्रदेश के संभागीय मुख्यालयों में भी हवा हवाई नजर आता है हालत यह है कि संभागीय मुख्यालय रीवा शहर में घंटों तक बिजली गुल रहती है बरसात का मौसम है भीषण गर्मी चल रही है उमस भरी गर्मी में लोगों को बिजली न मिलाना कितना कष्टदाई है यह समझा जा सकता है घर के अंदर बच्चे बूढ़े महिलाएं इस भीषण गर्मी में कराह रहे हैं रीवा शहर में ही कई मोहल्ले में घंटों तक बिजली गुल रहती है यही हालत नवगठित मऊगंज जिले में भी बनी हुई है बल्कि यूं कहें कि रीवा शहर में कुछ हद तक ठीक है लेकिन मऊगंज जिले में विद्युत व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है बरसात के मौसम में जहरीले कीड़े घरों के अंदर घुस रहे हैं बिजली गुल होने से लोग परेशान तो हैं ही अंधेरा होने के कारण जहरीले कीड़े-मकोड़े से लोग अपनी जान बचाने के लिए संघर्ष करते देखे जाते हैं बिजली विभाग के वेबसाइट और सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफार्म में दिए गए नंबर बंद रहते हैं लोग अपनी कंप्लेन दर्ज करने के लिए भी परेशान रहते हैं जिस अधिकारी को फोन लगाया जाता है वह अधिकारी भी फोन नहीं उठाते ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि 24 घंटे बिजली देने का दावा करने वाली सरकार की बिजली बेवफा मोहब्बत की तरह बन चुकी है।
नवगठित मऊगंज जिले में हालात और बद से बदतंर है देखा जाए तो आम आदमी को जिंदगी वैसे भी विभिन्न परेशानियों से भरी होती है और सुख चैन उसको अपने घर में जब दो वक्त की रोटी मिलती है तब ही होता है अपने घर में ही आम इंसान सोचता है कि सुकून मिलेगा लेकिन एक कहानी है। जो आज नहीं कई वर्षों से चली आ रही है। और वह कहानी किसी और कि नहीं मऊगंज सबस्टेशन बिजली विभाग पटेहरा फीडर के लाइनमैन से लेकर हेल्फर की है ऐसा कोई भी दिन हो कि जब पटेहरा से आगे की लाइट में खराबी ना रहती हो लेकिन कभी क्षेत्र में नही दिखाई देते हैं।
बिजली का बिल समय पर लेकिन समय पर बिजली नहीं।
कभी-कभी तो आओ भगत जाओ भगत बाली रहती है बिजली जो कभी भी थोडा सा हवा भी चले तो लाइट बंद हो जाती है। लेकिन सुधार के नाम पर केवल खाना पूर्ति रहती है। फिर भी मेंटीनेंस के नाम पर लाइट गोल रहती है। लेकिन सोचने वाली बात यह है कि मेंटेनेंस कैसा जब आज 70 सालों से वही पुराने गिरे झूलते हुए तार और टेढ़े-मेढ़े खंबे तो फिर किस बात का मेंटेनेंस यह समझ से परी है अब इसके बारे में लाइनमैन, जेई,एई या तो फिर डी साहब ही जानते होंगे। दरअसल आपको बता दे की एक कहावत है की जो की मऊगंज सबस्टेशन बिजली विभाग में सही फीट होती हैं। लाइट एक धोखेबाज मोहब्बत की तरह है वो किसी की सगी नही होती वह अपनी मोहब्बत को छोड़कर कभी भी चली जाती है ऐसा ही मामला मऊगंज सबस्टेशन की बिजली विभाग का है कब आकर चली जाती है। घर वालों को भी पता नहीं चलता और बिजली का बिल आता है 500से 5000 रुपए। बिजली विभाग के मनमानी से ग्रामीण परेशान विद्युत विभाग द्वारा उपभोक्ताओं को मीटर रीडिंग से अधिक बिल भेजा जा रहा है, जिससे उपभोक्ता काफी परेशान हैं। यह व्यवसायिक उपयोग की बात नहीं, अपितु घरों में खपत होने वाली बिजली का मामला है। अनाप शनाप घरेलू बिजली का बिल आने से ग्रामीण उपभोक्ता बेहद परेशान हैं। जबकि बिजली विभाग के कर्मचारी कभी भी मीटर रीडिंग करने नही आते हैं और मनमानी एवरेज बिल 500 से 5000 तक दी जा रही है। राशि अधिक आने से ग्रामीण परेशान है। ऐसे में उसे सुधारने के लिए ग्रामीण को कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।
जनता की नहीं सुनते अधिकारी
दरअसल मजे की बात तो यह है की जो क्षेत्रीय लाइनमैन है उनको जब उपभोक्ता फोन लगता है तो वह फोन रिसीव नहीं करते और उपभोक्ता को टेक्स्ट मैसेज में मैसेज करते हैं आई एम बिजी कॉल यू बैक लेटर उसके पश्चात जेई साहब को फोन लगाया जाता है तो जेई भी फोन रिसीव नहीं करते इत्तेफाकन अगर कहीं अचानक फोन रिसीव भी हो गया तो आश्वासन दे देते हैं उसके पश्चात 2 महीने बीत जाए चाहे 4 महीने बीत जाए लेकिन उनके आश्वासन का असर आश्वासन तक ही सीमित रह जाता है और कोई भी कर्मचारी लाइन बनने नहीं आता और जब इसकी शिकायत विभाग के और वरिष्ठ अधिकारियों से की जाती है वह भी उस शिकायत को सुनने के बाद उसमें लीपापोती कर लेते हैं अगर वही पर अधिकारी शिकायत के आधार पर अगर लाइनमैन से पूछे की कहां पर समस्या आ रही है तो शायद लाइनमैन उसका जवाब नहीं दे पाएंगे कुल मिलाकर मऊगंज बिजली विभाग में लूटो, कमाओ, खाओ का अभियान चल रहा है। अगर उपभोक्ता की बिजली खराब है तो वह किसी प्राइवेट व्यक्ति को लाकर जो भी पैसा लगे देकर काम करवायें अन्यथा बिजली विभाग के लाइनमैन के नाम पर उसके घर में या उसके गांव में कभी रोशनी नहीं होगी।
जवाबदार लोग हुए मौन।
मऊगंज विधानसभा क्षेत्र में बिजली की इतनी समस्या होने के बावजूद भी चाहे वह सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि हो यह विपक्ष के सब चुपचाप बैठकर मजे ले रहे हैं इनको जानता भेड़ बकरी के समान नजर आती है सिर्फ यह चुनाव के समय में जब आम जनता की वोट लेनी होती है तो मात्र 15 दिन के लिए इतने बड़े हितैसी बन जाते हैं की लगता है की यही आम जनता के लिए वह मर मिटेंगे लेकिन चुनाव हारने या जीतने के बाद चाहे जनता मर जाए चाहे बची रहे जानकारी होने के बावजूद भी कभी अपना चेहरा नहीं दिखाते केवल अपनी राजनीति की रोटी सेकने के लिए कभी यहां धरना तो कभी वहां धरना और जब उनका उल्लू सीधा हो गया तो पूरे धरने समाप्त कर निकल जाते हैं उसके बाद जनता पिसती रहे।
सपने में खोए ऊर्जा मंत्री।
हमारे प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रदुम सिंह तोमर पिछली सरकार में भी ऊर्जा मंत्री थे और इस सरकार में भी ऊर्जा मंत्री के पद को सुशोभित कर रहे हैं लेकिन उनको अपने ऊर्जा मंत्रालय से ज्यादा उनके गुरु केंद्रीय मंत्री के सपनों में रात दिन खोए रहते हैं केंद्रीय मंत्री के हर प्रोग्राम को एक पत्रकार की तरह कवरेज करना और फिर उसे सोशल मीडिया में चलना इसके अलावा उनको अपने विभाग की समस्याओं को सुनने के लिए समय ही नहीं मिल पाता इसलिए इसमें मुख्यमंत्री जी को संज्ञान लेना चाहिए और जो भाजपा की नीति और कथन था जो बिजली देने का वादा किया था उस पर कार्यवाही कर खरा उतरने करने का प्रयास करें। ताकि आम जनता का भरोसा और विश्वास कायम रह सके।
लावारिस बिजली विभाग।
मध्य प्रदेश का बिजली विभाग एक ऐसा विभाग है जो आम जनता की तरह स्वतंत्र है इसका कोई मुखिया नहीं है इस विभाग के जितने भी अधिकारी कर्मचारी हैं वही सब अपने आप में मुखिया है क्योंकि दूसरे विभाग की तरह अगर इस विभाग में भी कोई मुखिया होता तो थोड़ा बहुत असर दिखाई देता लेकिन यहां लाइनमैन और उसका हेल्पर खुद एक बिजली विभाग के एमडी और सीएमडी का अधिकार अपने पास रखते हैं इस विभाग में कितनी रकम आती है यह खाली सुनने के लिए पर्याप्त है क्योंकि इस विभाग में जो पैसा आता है चाहे वह केंद्र सरकार का हो चाहे मध्य प्रदेश सरकार का हो सिर्फ बिजली विभाग के अधिकारियों के लिए रहता है आम जनता के हित के लिए या लाइन सुधार के लिए नहीं होता और ना ही इसको कोई पूछने वाला है और ना ही देखने वाला है क्योंकि जब इसका कोई मुखिया ही नहीं है तो जितना बजट जिस सब स्टेशन के लिए आता है वह पूरा बजट उस सब स्टेशन के सभी अधिकारी और कर्मचारियों का हो जाता है इस विभाग में जिले के कलेक्टर और कमिश्नर भी कोई हस्ताक्षेप नहीं कर पाते यह विभाग अपनी मनमर्जी से उपभोक्ताओं को बिजली का बिल देकर वसूलना जानता है।