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Rewa news:भारत के प्रधानमंत्री और गायों की वास्तविकता: प्रेम या दिखावा?

Rewa news:भारत के प्रधानमंत्री और गायों की वास्तविकता: प्रेम या दिखावा?

 

 

 

यज्ञ प्रताप सिंह 

रीवा-भारत के प्रधानमंत्री ने हाल ही में एक गाय पाली है, जिसने एक छोटे से बछड़े को जन्म दिया है। यह खबर सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है, और प्रधानमंत्री का गाय के प्रति प्रेम दर्शाने की कोशिश ने जनता के बीच चर्चा का विषय बना दिया है। प्रधानमंत्री स्वयं बछड़े को लेकर लोगों के बीच दिखाई दे रहे हैं, जिससे यह संदेश देने का प्रयास हो रहा है कि वह गायों के प्रति सच्ची श्रद्धा और प्रेम रखते हैं।

लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या यह प्रेम केवल दिखावे तक सीमित है या फिर इसके पीछे वास्तविकता भी है? देशभर में बनाई गई सरकारी गौशालाओं की दुर्दशा इस कथित प्रेम पर प्रश्नचिह्न लगा रही है। अरबों रुपए की लागत से बनी इन गौशालाओं में रोज़ाना सैकड़ों गायों की मौत हो रही है। कई स्थानों पर गायों को न भोजन मिलता है, न पर्याप्त देखभाल, और वे भूख और बीमारी के कारण दम तोड़ रही हैं।

देश के किसानों को भी आवारा गायों की वजह से भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है। सड़कों पर घूम रही आवारा गायें दुर्घटनाओं का शिकार हो रही हैं और किसानों की फसलों को बर्बाद कर रही हैं। कुछ किसानों ने मजबूरी में इन गायों को बाँधकर छोड़ दिया है, लेकिन वहां भी उनके भूख से मरने की खबरें सामने आ रही हैं।

ऐसे में यह सवाल उठाना लाज़मी है कि प्रधानमंत्री जो गौ माता के प्रति इतना प्रेम दिखाते हैं, क्या वह प्रेम केवल उनकी व्यक्तिगत गाय तक सीमित है? प्रधानमंत्री द्वारा बनाए गए योजनाओं का जमीनी स्तर पर क्या हाल है? क्या उन्होंने कभी इन गौशालाओं की वास्तविक स्थिति की समीक्षा की है? क्या उन्होंने अधिकारियों, विधायकों और सांसदों को निर्देश दिया है कि वे इन गौशालाओं का निरीक्षण करें और समस्याओं का समाधान करें?

प्रधानमंत्री के आवास में गाय पालने और सोशल मीडिया पर उसकी तस्वीरें साझा करने से वास्तविकता नहीं बदलेगी। अगर सच्चे प्रेमी हैं तो उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देशभर में गायों की स्थिति सुधरे। गौशालाओं में गायों को सही देखभाल मिले, आवारा गायों की समस्या का समाधान हो, और किसानों की फसलों को नुकसान से बचाया जाए।

प्रधानमंत्री के इस कदम पर जनता की नजरें टिकी हुई हैं। यह देखना बाकी है कि यह प्रेम केवल एक दिखावा है या फिर उनके नेतृत्व में वाकई गायों की स्थिति में सुधार होगा।

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