Rewa news, बारिश से रीवा शहर में विकास की बही उल्टी गंगा , शहर में दिखा जलजला

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Rewa news, बारिश से रीवा शहर में विकास की बही उल्टी गंगा , शहर में दिखा जलजला

रीवा । 24 घंटे से लगातार हो रही बारिश से शहर के कई क्षेत्रों में जलभराव देखने को मिला है शहर के दर्जन भर से अधिक मोहल्ले में लोगों के घरों के अंदर बरसात का पानी घुसा है तो वहीं शहर के कल चौराहा से लेकर साइन मंदिर स्टैचू चौराहा में भी सड़क के कई फीट ऊपर जल भराव देखा गया वैसे तो बरसात के कारण लोग सड़क पर काम दिखे लेकिन सड़क से निकलना लोगों को मुश्किल पड़ रहा था तो वही घरों के अंदर जल भराव होने के कारण कई मोहल्ले में लोग काफी परेशान हुए बता दें कि सोमवार दोपहर को पानी गिरा था फिर इसके बाद मंगलवार को सुबह से ही बरसात होने लगी और शाम तक रुक रुक कर वर्षा होती रही जिसके कारण रीवा शहर में जल भराव की स्थिति निर्मित हो गई अति वर्षा के कारण कलेक्टर रीवा श्रीमती प्रतिभा पाल ने सभी विद्यालयों में बुधवार 18 सितंबर को अवकाश घोषित कर दिया है।


विकास की उल्टी गंगा , पांच पुलियों के बावजूद नेहरू नगर में जल भराव की समस्या यथावत : अजय खरे।

कैसा विकास , कृत्रिम बाढ़ के हालात बरकरार

रीवा । नेहरू नगर वार्ड नंबर 13 में यदि धीमी गति से बरसाती पानी गिरता है तो घरों में जल भराव की स्थिति नहीं बनती है। वहीं बमुश्किल आधा घंटा तेज़ बारिश में विकास की उल्टी गंगा बहती नजर आती है। मंगलवार को यहां जब दोपहर में पानी की बूंदे मोटी हो गईं तो जल निकासी की लंबे समय से पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने से पहले की तरह नाले का गंदा पानी लौटकर घरों में भरने लगा। शासन प्रशासन की गलत व्यवस्था के चलते नेहरू नगर कई वर्षों से कृत्रिम डूब क्षेत्र बन गया है। यहां नदी की बाढ़ नहीं , कृत्रिम बाढ़ है। वैसे तो नेहरू नगर में बड़े पैमाने पर नालियों का काम कराया गया लेकिन जल निकासी की मूल समस्या के बारे में नगरीय प्रशासन कभी गंभीर नहीं रहा। इस बारे में जब कभी बातचीत की जाती है तो प्रशासनिक अधिकारियों के द्वारा लोगों को तसल्ली देने के लिए मरम्मत कार्य शुरू करा दिए जाते हैं। मूल समस्या का निराकरण नहीं किया जाता है। नेहरू नगर में नालियों का जाल बिछा दिया गया है लेकिन बरसात के समय घरों में जल भराव की समस्या में कोई सुधार नहीं हुआ है‌। कुछ देर की तेज बारिश में नेहरू नगर में कथित विकास की पोल खुलने लगती है।

समस्या का निदान सिर्फ नाली बनाकर नहीं किया जा सकता है। यहां जल निकासी कैसे हो इस पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। शांति नर्सिंग होम के पीछे सुधार न्यास कॉलोनी में पिछले साल जो उलटी दिशा में नाली बनाई गई उसी रास्ते अब बरसाती पानी लौट रहा है। सड़कें काफी ऊंची हो गई हैं। जो जल भराव की स्थिति में स्टॉप डैम का काम करती हैं। पुलियों से जल निकासी की व्यवस्था सही नहीं होने से पहले की तुलना में अधिक जल भराव हो रहा है। इस क्षेत्र में पांच पुलिया होने के बाद भी समस्या बनी हुई है। यह भी देखने को मिला कि पुलिया के नीचे मोटी नल पाइप लाइन भी बरसाती पानी निकासी में बाधक है। निस्तार खत्म होने के बावजूद नालियों में पानी हमेशा बना रहता है।

जितना पानी गिरता है उस हिसाब से समय रहते उतना पानी नहीं निकल पाता है। ऐसी स्थिति में कृत्रिम बाढ़ की स्थिति बनी रहती है। इस क्षेत्र में काफी दूर का पानी आता है। जिसे एक ही रास्ते से निकालने की कोशिश से समस्या गंभीर बनी हुई है। काफी समय से मांग हो रही है कि समूचे पानी को एक तरफ से नहीं बहाया जाए। बहाव के वैकल्पिक रास्ते बनाए जाएं। परंपरागत बहाव के रास्ते बनाने में देरी नहीं करनी चाहिए। कुछ देर की बारिश में कथित विकास की कलई खुल गई। शासन के लिए यह एक बड़ी चुनौती है लेकिन इस बारे में कोई गंभीर पहल नहीं है। नेहरू नगर पूरी तरह ढलान पर बसा है। इस वजह से यहां जल भराव नहीं होना चाहिए। लेकिन पांच पुलियों से जल निकासी की व्यवस्था सही नहीं होने और पुराना राष्ट्रीय मार्ग काफी ऊंचा हो जाने के कारण समस्या काफी बिगड़ चुकी है। मौसम खराब होने के कारण प्रदेश के मुख्यमंत्री का रीवा जिले का कार्यक्रम भले रद्द हो गया फिर भी प्रशासनिक अधिकारियों ने नेहरूनगर पहुंचकर मौके का निरीक्षण नहीं किया। भारी विडंबना है कि इस सवाल पर कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

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