Rewa news:अपने हृदय को स्वस्थ रखें विश्व हृदय दिवस 29 सितंबर पर विशेष!

Rewa news:अपने हृदय को स्वस्थ रखें विश्व हृदय दिवस 29 सितंबर पर विशेष!
डॉ. बी.एल.मिश्रा एम.डी.(मेडिसिन)से.नि.क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवायें रीवा संभाग रीवा
मनुष्य के साथ-साथ संपूर्ण जीवो में पाए जाने वाले सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग हृदय (दिल) का स्वस्थ होना अति आवश्यक है। विश्व में हृदय रोग मनुष्यों में मृत्यु का प्रमुख कारण है। वैश्विक मौतों के विश्लेषण में कुल मौतों में 33 % मृत्यु हृदय रोग से, 18 % कैंसर से व 7 % सांस संबंधी बीमारियों से होती हैं। विकासशील देशों में हृदय रोगों से मृत्यु विकसित देशों की तुलना में ज्यादा होती है, पुरुष व महिलाओं में बराबर तथा अन्य आयु वर्गों की तुलना में सर्वाधिक 35 से 55 वर्ष आयु वर्ग में अधिक होता है। विभिन्न हृदय रोगों से पूरी दुनिया में 2 करोड लोगों की प्रति वर्ष मौत होती है जबकि भारत में अनुमानित यह संख्या 48 लाख है। वैश्विक स्तर पर 90 से अधिक देशों में प्रतिवर्ष आम जन को हृदय स्वास्थ्य के बारे में जागरूक करने, हृदय के महत्व को समझने, लोगों को अपने दिल का ध्यान रखना व हार्ट अटैक से खतरा बढ़ाने वाले कारकों को नियंत्रित करने हेतु सितंबर माह की 29 तारीख को वर्ष 2011 से लगातार ‘विश्व हृदय दिवस ‘ मनाया जाता है। हृदय रोग एक निरंतर बढ़ती हुई वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है ।वर्ष 2024 की विश्व हृदय दिवस की थीम है _”हृदय का उपयोग करें, हृदय को जानें”। विश्व स्वास्थ्य संगठन का निर्देश है कि समस्त देश आगामी 3 वर्षों में दिल के रोगों (हृदय रोग, हार्ट अटैक ,उच्च रक्तचाप, मधुमेह , मोटापा, कोलेस्ट्रॉल व ट्राइग्लिसराइड) के संबंध में जागरूकता, नियंत्रण, जांच व इलाज, बीमारी का बोझ कम करने तथा मृत्यु में कमी लाने हेतु कार्य योजना बनाएं।
हृदय क्या है –
शायरों व प्रेमी प्रेमिकाओं के दिल व वास्तविक दिल में फर्क है ।मानव हृदय का आकार हमारे बंद मुट्ठी की तरह( शंक्वाकार) व वजन 300 से 400 ग्राम होता है जो हमारे सीने के मध्य में (थोड़ा बाई ओर) स्थित होता है । हृदय विशेष मांस पेशियों के चार कक्षों, कई परतों, विद्युतीय तरंगों से हृदय की धड़कनें व गति निर्धारित होती है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मानव हृदय प्रति दिवस एक लाख से अधिक बार धड़कता है व 2000 गैलन रक्त पूरे शरीर को पंप करता है। चौंकानें वाली बात यह है कि हमारे शरीर में 60000 मील लम्बी रक्त वाहिकाएं होती हैं व हृदय बच्चों के मां के पेट में अस्तित्व( 6 सप्ताह) से जीवन के अंतिम क्षण तक (100 वर्ष या अधिक) बिना थके धड़कता है।
हृदय के कार्य –
जीवन के सुचारू रूप से संचालन हेतु ह्रदय के प्रमुख कार्य हैं_ ऑक्सीजन व पोषण सामग्री युक्त रक्त को शरीर के प्रत्येक अंगों तक पहुंचाना, शरीर के विभिन्न अंगों से दूषित रक्त (कार्बन डाइऑक्साइड युक्त) प्राप्त करना, रक्तचाप का संतुलन ,फेफड़ों से ऑक्सीजन युक्त रक्त प्राप्त करना व संतुलित हृदय की गति द्वारा रक्त प्रवाह का नियंत्रण।
हृदय रोग के लक्षण _
हृदय रोग के लक्षण प्रमुख रूप से दिल के किस भाग में बीमारी है , के आधार पर होते हैं जैसे जन्मजात हृदय रोग, हृदय की मांसपेशियां व वाल्व के रोग ,अनियंत्रित धड़कन, रक्त वाहिकाओं की बीमारी जैसे हार्ट अटैक व लकवा। विभिन्न बीमारियों में प्रमुख लक्षण है_ सीने में दर्द या भारीपन, थकावट, चक्कर आना, धड़कन, सांस लेने में कठिनाई, धड़कन में अनियमितता, पैरों में सूजन, बच्चों में स्तनपान के दौरान सांस लेने में कठिनाई, चमड़ी का नीला पड़ना ,वजन न बढ़ना जैसी तकलीफें हो सकती हैं । इन लक्षणों के पता चलने पर बिना किसी विलंब के कुशल चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।
हार्ट अटैक के प्रमुख कारण _
21वीं सदी में हार्ट अटैक की घटनाएं क्रमशः बढ़ती जा रही हैं जो सबसे चिंता का विषय है । 20वीं सदी तक हार्ट अटैक 50 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों में होता था वहीं आज 25 से 30 वर्ष के युवा भी पीड़ित हो रहे हैं। हमारी अनियमित दिनचर्या, उच्च रक्तचाप, तंबाकू सेवन व धूम्रपान, मोटापा, मानसिक तनाव, शारीरिक निष्क्रियता, शराब का सेवन, शहरीकरण, वायु प्रदूषण, अत्यधिक कोलेस्ट्रॉल व ट्राइग्लिसराइड बीमारी का बोझ बढ़ाने व मृत्यु हेतु जिम्मेदार हैं। मधुमेह के रोगियों में बिना किसी दर्द के हार्ट अटैक व आकस्मिक मृत्यु का कारण बनता है ।
हृदय रोग में प्रमुख जांचें_
हृदय की बीमारी होने पर रक्त की जांच (सीआरपी व कोलेस्ट्रॉल), ईसीजी, ईको, टीएमटी ,कोरोनरी एंजियोग्राफी, कार्डियक एमआरआई, एक्स_रे चेस्ट, कार्डियक सीटी एन्जियोग्राफी आदि।
अपेक्षाएं _
हृदय रोग की गंभीरता को देखते हुए “जानकारी ही बचाव है” व ” इलाज से अच्छा बचाव है ” का अनुसरण करना होगा। हृदय रोग से बचाव हेतु जागरूकता कार्यक्रम आम जन तक पहुंचना चाहिए । इस हेतु शासन को विशेष अभियान चलाने की आवश्यकता है । जन्मजात हृदय रोग से पीड़ित समस्त बच्चों का निशुल्क इलाज आरबीएसके के अंतर्गत हो न कि केवल आयुष्मान कार्ड धारी का । 25 वर्ष से अधिक आयु के समस्त युवक प्रति वर्ष अपने वजन(बीएमआई 18_25 रखें) , रक्त में कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज की जांच, कराए, जंक फूड से बचें, तंबाकू_ धूम्रपान_ शराब के सेवन से बचें, नियमित व्यायाम करें(सप्ताह में 150 मिनट),संतुलित आहार (पर्याप्त फल व हरी सब्जी) लें,भोजन मे नमक_शक्कर_चावल_गेंहूं_घी_तेल का कम उपयोग (घी/तेल 500 मिलीलीटर प्रति ब्यक्ति प्रति माह) ,यथा संभव मोटा अनाज (मिलेट्स) को भोजन में शामिल करें, 8 घंटे की नींद ले, यथा संभव तनाव मुक्त रहें, डायबिटीज व या हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित होने पर खानें की थाली में दवाइयां रखें व खाना के साथ सेवन करें । हृदय रोग के लक्षण होने पर तत्काल स्वास्थ्य केंद्र जाए न कि ‘गैस’ समझ कर अमूल्य समय बर्बाद करें। महिलाओं में गर्भावस्था व मेनोपॉज के दौरान असामान्य लक्षणों के होनें पर चिकित्सकीय परीक्षण कराना चाहिए । स्कूल व महाविद्यालयीन शिक्षा पाठ्यक्रमों में विभिन्न प्रकार के खेल कूद,ब्यायाम योग व विभिन्न हृदय रोगों ,उनके बचाव व इलाज के संबंध में जानकारी शामिल करना चाहिए। ग्रामीण क्षेत्र में हेल्थ वेलनेस सेंटर को और सशक्त करनें की आवश्यकता है।