Rewa news, डाक्टरों के लिए सार्थक एप्प से उपस्थिति और वाहनों में GPRS लगानें से क्यों पीछे हट रहा स्वास्थ्य विभाग।
Rewa news, डाक्टरों के लिए सार्थक एप्प से उपस्थिति और वाहनों में GPRS लगानें से क्यों पीछे हट रहा स्वास्थ्य विभाग।
राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत पदस्थ, RBSK मेडिकल आफीसर फिल्ड ड्यूटी के नाम पर कर रहे मौज।
रीवा जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था को पटरी पर लाने विभाग के अधिकारी काम तो कर रहे हैं लेकिन हालात अभी भी बद से बद्तर बने हुए हैं रीवा शहरी क्षेत्र में अधिकारियों की नाक के नीचे संजीवनी क्लिनिक ढेकहा में तो यह हाल है कि डाक्टर की मनमानी पूरे सिस्टम पर भारी है मीडिया में कई बार खबरें चलाई गई लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला संजीवनी अस्पताल में पदस्थ डॉक्टर अपूर्व महेन्द्रा अभी भी संजीवनी क्लिनिक से नदारत रहते हैं और अपनी क्लीनिक में निजी प्रैक्टिस करते हैं कोई जब अधिकारी निरीक्षण में आते हैं तो उन्हें सूचना देकर पहुंचते हैं तब तक डॉक्टर साहब भी संजीवनी क्लीनिक में पहुंच जाते हैं इसी तरह से लगभग सभी संजीवनी क्लीनिकों के हालात बने हुए हैं देखा जाए तो नर्सिंग और पैरामेडिकल, तथा सपोर्ट स्टाफ देर सबेर ही सही ड्यूटी तो करते हैं लेकिन इन अस्पतालों में जहां डॉक्टर नहीं है वहां की बात छोड़ दें तो जहां डॉक्टर पदस्थ हैं वहां भी डॉक्टरों की पदस्थापना का लाभ जनता को नहीं मिल पा रहा है देखा जाए तो सार्थक एप्प से उपस्थिति की सबसे बड़ी आवश्यकता और उपयोगिता स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों से जुड़ी है लेकिन जनवरी माह में शासन द्वारा जारी आदेश का पालन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अब तक नहीं करवा पाए।
सार्थक एप्प से डॉक्टर क्यों नहीं दे रहे उपस्थिति।
मध्यप्रदेश शासन स्वास्थ्य विभाग द्वारा बीते जनवरी माह में आदेश जारी किया गया था कि शासकीय अस्पतालों में पदस्थ डॉक्टर सहित सभी कर्मचारियों को सार्थक एप्प के जरिए अपनी उपस्थिति दर्ज कराना है इसके पीछे शासन प्रशासन की यह मंशा है कि निर्धारित समय पर सभी कर्मचारियों से काम लिया जा सके खासकर सार्थक एप्प बेलगाम डाक्टरों पर लगाम लगाने के लिए सरकार का प्रभावी कदम था रीवा जिले में सीएमएचओ डॉ संजीव शुक्ला ने तीन महीने पहले यह आदेश प्रभावी ढंग से लागू करने का आदेश दिया था मजे की बात यह है कि जिनके लिए यह सार्थक एप्प अटेंडेंस लागू किया गया उन्ही डॉक्टरों ने योजनाबद्ध तरीके से बहिष्कार किया और यह आदेश छोटे कर्मचारियों पर लाद दिया गया जबकि अस्पतालों में सबसे बड़ी आवश्यकता डाक्टरों की अस्पताल में बैठने की है जब डॉक्टर ड्यूटी देंगे तब नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ और सपोर्ट स्टाफ ड्यूटी करेंगे ही विराट वसुंधरा समाचार पत्र द्वारा दो महीने पहले डाक्टरों की सार्थक एप्प से उपस्थित की जानकारी सूचना अधिकार के तहत मागी गई थी लेकिन जानकारी अब तक नहीं उपलब्ध कराई गई।
आरबीएसके मेडिकल आफीसरों की मौज।
रीवा शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों की अस्पतालों में पदस्थ राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत पदस्थ, RBSK मेडिकल आफीसर फिल्ड ड्यूटी पर तैनात रहते हैं इसके लिए उन्हें वाहन सुविधा भी उपलब्ध है लेकिन कहां जाते हैं क्या करते हैं यह सब कागज़ी कोरम पूरा करने जैसा लगता है स्कूलों की लिस्ट लेकर विजिट की खानापूर्ति घर बैठे हो रही है य वास्तविक रूप से फिल्ड में काम करते हैं इसका परीक्षण वाहनों में लगे जीपीआरएस से ही ट्रेस किया जा सकता है लेकिन किसी भी वाहन में यह सिस्टम नहीं लगाया गया है जिससे RBSK मेडिकल आफीसरों की फिल्ड ड्यूटी हवा हवाई ही चलती नजर आ रही है आंगनबाड़ी केंद्र और स्कूलों की लिस्ट लेकर कागज़ी विजिट की जाती है रीवा शहर में लगभग दो दर्जन RBSK मेडिकल आफिसर पदस्थ हैं जो मौज काट रहे हैं।
उप स्वास्थ्य केन्द्र रतहरा में सीएमएचओ की कार्यवाही।
बीते दिनों शहर के रतहरा स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र में सुबह 9:00 बजे स्वास्थ्य विभाग रीवा जिले के कप्तान डॉक्टर संजीव शुक्ला औचक निरीक्षण करने पहुंचे जहां सभी कर्मचारी नदारत थे सभी कर्मचारियों को सीएमएचओ द्वारा कारण बताओं नोटिस भी जारी कर दिया गया है हालांकि यहां पर कोई मेडिकल ऑफिसर पदस्थ नहीं है लेकिन आरबीएसके मेडिकल ऑफिसर पदस्थ हैं जिन्हें सुबह आकर अस्पताल में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होती है और फिर फिल्ड ड्यूटी पर जाना होता है लेकिन वह भी नहीं आए थे उन्हें नोटिस नहीं जारी किया गया जबकि सभी कर्मचारियों को नोटिस जारी करना था यह बात अलग है कि वह कहां थे नोटिस का जवाब देकर स्पष्टीकरण देते उससे पहले ही उन्हें दोष मुक्त माना गया यह नई शंका को जन्म देता है।