रीवा

Rewa news, भ्रष्टाचार की सीमा लांघ चुके अधिकारी के ऊपर गिर सकती है अनुशासन की गाज।

Rewa news: कमिश्नर मनरेगा भोपाल अवि प्रसाद द्वारा रीवा कलेक्टर को अनियमितता की जांच के दिए गए आदेश!

 

 

 

 

 

 

मनरेगा के भ्रष्ट सहायक लेखा अधिकारी को एरियर्स की राशि प्रायवेट खाते मे डालना पड़ा महंगा भ्रष्ट अधिकारी के ऊपर गिर सकती है अनुशासनात्मक कार्रवाई गाज।

रीवा .मामला जनपद पंचायत रायपुर करचुलियान का है, जहां मनरेगा मे सहायक लेखा अधिकारी के पद पर पदस्थ मनोज मिश्रा द्वारा एक बड़ा भ्रष्टाचार किया गया है, और एक तरफ जंहा अन्य कर्मचारियों से रिश्वत की डिमांड की जा रही है. वहीं दूसरी तरफ वरिष्ठ अधिकारियों की आँखों मे धूल झोंकी जा रही है। साथ ही माना य़ह जा रहा है कि सहायक लेखाधिकारी की एक नहीं अनेक अनियमितताएं है. इसके पूर्व भी इस तरह का आमला सामने आया था, जिसका दंश कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। हाल ही मे इनके द्वारा एक और बड़ा कारनामा किया गया जिसकी गूंज भोपाल तक पहुंच गई, जानकारी के मुताबिक मनरेगा सहायक लेखाधिकारी द्वारा समस्त मनरेगा कर्मियों के एरियर की राशि एक निजी व्यक्ति के खाते में डाल कर हड़कंप मचा दिया है। यही नही जिस निजी व्यक्ति के खाते मे यह राशि डाली गई है उसी के माध्यम से संबंधित कर्मचारियों को राशि उपलब्ध कराने के एवज में दो हजार रुपये मिठाई के नाम पर रिश्वत की मांग की जा रही थी. इस बात को संज्ञान मे लेते हुए कमिश्नर मनरेगा भोपाल अवि प्रसाद द्वारा रीवा कलेक्टर को इस बड़ी अनियमितता की जांच करने के आदेश दिए है।

 

 

 

 

मध्य प्रदेश शासन पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग उपसचिव के आदेशानुसार संविदा अधिकारी कर्मचारियों को दिए जा रहे मानदेय मे वार्षिक वृद्धि किए जाने की कार्यवाही करते हुए अधिकारियों कर्मचारियों को एरियर्स का भुगतान करने जिला सीईओ सपना त्रिपाठी ने विगत दिनांक 28.10.24 को निर्देश दिया गया, किंतु AAO रायपुर करचुलियान द्वारा नियम विरुद्ध तरीके से दिनांक 29.10.24 को उपरोक्त FTO द्वारा 66588/- रुपये की राशि, ऑपरेटर मृदुल पांडेय के निजी खाते में हस्तांतरित कर दी गई, यह पूरी राशि कर्मचारियों के एरियर की है, परंतु लेखाधिकारी द्वारा एक हफ्ते तक इस बात को छुपा कर रखा गया, इसके बाद जब मामला कर्मचारियों के संज्ञान में आया तब 04 नवंबर को जनपद के एडीएम द्वारा AAO के बिहाफ में दो हजार रुपए मिठाई के नाम पर मांग कि गई और शेष राशि प्रदान करने की बात की गई, जिसके बाद कर्मचारियों मे आक्रोश व्याप्त हो गया और मामला वरिष्ठ अघिकारियों के संज्ञान मे आ गया जिसके बाद भ्रष्टाचारी लेखा अधिकारी को उसके पापों की सजा भुगतनी पड़ी। अब देखना यह होगा की जिम्मेदार इस भ्रष्टाचार के खिलाफ क्या कार्यवाही करते है।

 

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