Sidhi news:अल्ट्राटेक में कार्यरत श्रमिक प्रबंधकीय कुप्रबंधन का शिकार!

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Sidhi news:अल्ट्राटेक में कार्यरत श्रमिक प्रबंधकीय कुप्रबंधन का शिकार!

 

 

 

 

 

 

 

सीधी।भारत देश की प्रथम तथा दुनिया में पांचवें नम्बर पर सीमेंट निर्माता कंपनी के रूप में ख्याति अर्जित करने वाली अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड की इकाई सीधी सीमेंट वर्क्स प्रबंधन की कुप्रबंधन कार्यशैली से प्लांट में कार्यरत सभी वर्गीकृत श्रेणी श्रमिक हतोत्साहित हैं। आए दिन किसी न किसी रूप में असामयिक घटनाओं का घटित होना तथा श्रमिकों की आवाज बाहर सुनाई देने का क्रम बना हुआ है,जो कुप्रबंधन कार्य शैली को परिभाषित करता है। उक्त आरोप भारतीय मजदूर संघ से सम्बद्ध अल्ट्राटेक सीमेंट कर्मचारी एवं खदान श्रमिक संघ मझिगवां सीधी ट्रेड यूनियन के अध्यक्ष वीरभानु सिंह द्वारा लगाया गया है। जारी विज्ञप्ति में बताया गया कि समान कार्य स्थल पर समान कार्य करने वाले श्रमिकों के बीच व्याप्त वेतन विषमता, भेदभाव तथा उनके बीच अशांतिपूर्ण वातावरण निर्मित कर प्रबंधन श्रमिक विरोधी गतिविधियों को अख्तियार करते हुए श्रमिकों का शोषण दमन तथा उत्पीड़न करने में अग्रसर है। अध्यक्ष ने कहा कि श्रमिकों से संबंधित मूलभूत सुविधाओं तथा उनके समृद्धि हेतु कार्य किए जाने हेतु अनवरत रूप में पत्राचार किया जाकर यूनियन द्वारा श्रमिकों के हितार्थ सकारात्मक सोच रखने तथा समुचित पहल करने की अपेक्षा व्यक्त की गई,जो ढाक के तीन पात बनकर रह गई। उन्होंने कहा कि भले ही प्रबंधन औद्योगिक प्रतिष्ठान के अनुकूल सभी मानकों की पूर्ति किए जाने का कागजी खाका शासन प्रशासन को संप्रेषित किया जाता हो, लेकिन हकीकत यह है कि औद्योगिक मानकों का स्थलीय पालन शून्य है। वहीं श्रमिकों को उनकी मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित कर दिया गया है। जिसका सत्यापन किया जा सकता है।नतीजतन आए दिन किसी न किसी रूप में असामयिक घटनाओं का ग्राफ परिलक्षित हैं।

 

 

 

 

मूलभूत सुविधाओं का हैं आभाव
निर्मित हालातों को साझा करते हुए अध्यक्ष द्वारा बताया गया कि सीमेंट प्लांट, पैकिंग प्लांट तथा माइंस क्षेत्र आदि में कार्यरत श्रमिक कर्मचारी जहां समान कार्य करने के बावजूद वेतन भत्ते तथा पदीय श्रेणी की विषमताओं से शोषित हैं, वहीं औद्योगिक प्रतिष्ठान के नियमों के विपरीत संयंत्र के भीतर कैंटीन की व्यवस्था न होना, शुद्ध पेयजल तथा शौचालयों की व्यवस्था न होना, कार्यस्थलों का अव्यस्थित होना, साफ-सफाई तथा प्रकाश व्यवस्था समुचित न होना, धूल में तब्दील सीमेंट प्लांट में ध्वनि एवं धूल प्रदूषण की रोकथाम हेतु पुख्ता इंतजाम न किया जाना, प्राथमिक सुविधा के नाम पर संचालित आदित्य बिड़ला स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था नगण्य होना, शिक्षा व्यवस्था के नाम पर संचालित हिंदी एवं अंग्रेजी विद्यालयों की शुल्क एवं अध्ययरत छात्रों हेतु आवागमन व्यवस्था शून्य होना, मेडीक्लेम पालिसी से बहुतायत श्रमिकों को पृथक रखा जाना, साथ ही मेडीक्लेम से नामांकित श्रमिकों को बीमा कंपनी से मिली-भगत कर बदहाली स्थिति में पहुंचाना सिर्फ प्रबंधन की लापरवाही मानी जा रही है।

 

 

 

 

 

यहां भी हैं व्यापक गड़बड़ी
बताया गया है कि संयंत्र के भीतर सड़कों का गड्ढों में तब्दील होना, माइंस क्षेत्र का आवागमन जोखिम युक्त होना, तकनीकी सभी कार्य स्थलों का अव्यवस्थित होना, आवासीय व्यवस्था सुलभ न होने की स्थिति में लगभग चार सौ श्रमिकों, कर्मचारियों का जोखिम युक्त धनुषाकार छुहिया घाटी सड़क मार्ग,होकर किराए की बसों से ए,बी,सी एवं जनरल ड्यूटी पर श्रमिकों का रीवा से आना जाना तथा उनसे मनमाफिक किराया वसूल किया जाना, मूलभूत बिंदुओं को शेयर करने वाले श्रमिकों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाना, श्रमिकों से संबंधित प्रशासन को अपनी गिरफ्त में लेकर श्रमिक संबंधी सभी अभिलेखों का कागजी संपादन किया जाना, सुनियोजित षड्यंत्र कर नौकरी से निकाल देने की धमकी देना, कोई एक दर्जन श्रमिकों को अपनी गिरफ्त में ले कर उनसे श्रमिकों के बीच एकरूपता न हो सकने का कार्य कराया जाना, तथा उन्हें इसी कार्य की ड्यूटी में लगाकर मासिक सेलरी तथा मनमाफिक भत्ता देना, वातावरण को प्रदूषित करने हेतु चुनिंदा श्रमिकों को लाभान्वित किया जाना, श्रमिक विरोधी मनचाहा काम किया जाना, समीपवर्ती ग्रामीणों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित रखना आदि प्रबंधकीय कार्यपालिक गतिविधियों के चलते कार्यरत श्रमिक औद्योगिक अव्यवस्थाओं तथा समुचित सुविधाओं के अभाव में मानसिक शारीरिक तथा आर्थिक रूप से अक्षम होने लगा है।

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