Rewa MP: यहां भ्रष्टाचार की जांच में हो जाता है भ्रष्टाचार, कहां दफ़न हो गयी HNBC घोटाले की फाइल,,?

Rewa MP: यहां भ्रष्टाचार की जांच में हो जाता है भ्रष्टाचार, कहां दफ़न हो गयी स्वास्थ्य विभाग में हुए एचबीएनसी घोटाले की फाइल।
विराट वसुंधरा
रीवा। जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय रीवा में लंबे समय से जिसकी लाठी उसकी भैंस जैसे हालात बने हुए हैं कुछ अधिकारियों की मनमानी के सामने सारा सिस्टम नतमस्तक जैसा नजर आ रहा है आरोप लगते हैं जांच बैठाई जाती है जांच रिपोर्ट की फाइल तैयार होती है और फिर पूरा मामला वरिष्ठ अधिकारियों की टेबल पर पहुंचकर दम तोड़ देता है लोग कहते हैं कि भ्रष्टाचार की जांच में भी भ्रष्टाचार कर दिया जाता है स्वास्थ्य विभाग में हुए घोटालों की जांच और फिर कार्यवाई नहीं होने से तो यही मायने निकाले जा सकते हैं कि यहां केवल घोटाले पर घोटाले किये जा रहे हैं और कार्यवाही के नाम पर कुछ भी नहीं किया जाता अभी बीते माह ही दिल्ली से विजिट करने रीवा आई सीआरएम टीम के 13 सदस्यीय दल को भी अधिकारियों द्वारा घुमा फिरा कर चलता कर दिया गया सी आर एम टीम केवल रीवा जिले के अधिकारियों द्वारा बनाए गए रूट चार्ट पर रेंगती हुई पिकनिक मनाकर निकल गई मीडिया द्वारा जिला अस्पताल में विजिट के दौरान जब सीआरएम टीम से सवाल किए गए तो उन्होंने रीवा जिले के अधिकारियों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि इनसे जानकारी लीजिए हम कोई जानकारी मीडिया से साझा नहीं करेंगे, उस दौरान देखा गया था कि स्वास्थ्य विभाग रीवा सीएमएचओ कार्यालय के अधिकारियों ने सीआरएम टीम को दिखाने के लिए अस्पतालों का जहां रंग-रोगन और सामाग्री खरीदी करके दुल्हन की तरह सजाया था वहीं विजिट कराए जबकि गांव सुदूर तक जाकर टीम को रीवा जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की पड़ताल करनी थी इसके अलावा भी आउटसोर्स कर्मचारियों की भर्ती में फर्जीवाड़ा सहित कई मामले हैं जिन्हें हम आगे आने वाले समय में खबरों के माध्यम से खुलासा करेंगे।
आज हम उस मामले का खुलासा करने जा रहे हैं जिसमें तीन साल पहले संविदा कर्मचारी डीसीएम रीवा राघवेंद्र मिश्रा पर एचबीएनसी घोटाला एवं भ्रष्टाचार किये जाने का आरोप लगाया गया था शिकायत और जांच का खेल खेला गया और पूरा मामला अधिकारियों की टेबल पर पहुंचकर दफ़न हो गया हमारे सूत्र बताते हैं कि संविदा कर्मचारी डीसीएम राघवेन्द्र मिश्रा पर करोड़ों रूपये का एचबीएनसी घोटाला एवं भ्रष्टाचार करने का आरोप आशा उषा और सहयोगिनी संघ के लोगों ने तीन वर्ष पहले लगाया था इसकी शिकायत स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव तक की गई थी संघ के पदाधिकारियों ने भ्रष्टाचार के आरोप तो लगाए ही थे आशा उषा कार्यकर्ताओं से अवैध वसूली करने का भी आरोप लगाया था उस दौरान यह मामला काफी सुर्खियों में रहा जांच के आदेश दिए गए लेकिन उस जांच में क्या हुआ इसका पता अब तक नहीं चल रहा कि जांच क्या हुई और कार्यवाई कब होगी।
डीसीएम राघवेंद्र मिश्रा के खिलाफ उस समय पूरे रीवा जिले में यह चर्चा थी कि आशा कार्यकर्ताओं को जो महिलाओं की डिलीवरी के बाद राशि मिलती है, उसमें 50 प्रतिशत वसूली की जाती है बताया जाता है कि उस दौरान उप संचालक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने डीसीएम के खिलाफ हुई शिकायत पर जांच करने के निर्देश दिए थे लेकिन रीवा जिला मुख्यालय के तत्कालीन क्षेत्रीय संचालक ने इस पूरे मामले को दबाकर संविदा कर्मचारी को बचाने का काम किया था जबकि संबंधित कर्मचारी पर डीसीएम पद पर रहते बीते वर्षों, 2020-21 में सड़सठ लाख रूपये, और वर्ष 2021-22 में इकहत्तर लाख रुपए तथा वर्ष 2020 2022 में 27 लाख रूपये का घोटाला किया गया था। इतना ही नहीं कोरोना संक्रमण काल मे भी डीसीएम द्वारा करीब दो करोड़ का एकमुश्त बड़ा गोलमाल करने का आरोप लगा था
शिकायतकर्ता सूर्यकांत मिश्रा का कहना था कि डीसीएम राघवेंद्र मिश्रा द्वारा करोडों रूपये का घोटाला किया गया है उनकी शिकायतों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई थी इतना सब कुछ लगे आरोपों के बाद भी अब डीसीएम राघवेंद्र मिश्रा को डीपीएम का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है सवाल यह उठता है कि जांच हुई भी है कि नहीं और अगर जांच हुई है तो जांच में क्या पाया गया तीन वर्ष से जांच की फाइल कहां दफ़न है अधिकारियों की इमानदारी भी समझ से परे है कि आखिर रीवा जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था किस दिशा में जा रही है क्या यहां ऐसे ही अधिकारियों का जंगलराज चलेगा और जनता के टैक्स का पैसा इसी तरह जनसेवा के नाम पर भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता रहेगा।
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