सहकारी बैंकों में हड़ताल के चलते ग्रामीण जनता में आक्रोश बैंकों में लटके हैं ताले, बैंक के व्यवसाय प्रभावित और जनता को फजीहत।

सहकारी बैंकों में हड़ताल के चलते ग्रामीण जनता में आक्रोश बैंकों में लटके हैं ताले, बैंक के व्यवसाय प्रभावित और जनता को फजीहत।

रीवा। जिले में बीते माह से जिला सहकारी केंद्रीय मर्यादित बैंकों के कर्मचारी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल में है तो वही बैंकों के खाताधारक कर्मचारियों की हड़ताल से परेशान है और उनकी बैंकों में जमा राशि उन्हें नहीं प्राप्त हो रही है देखा जा रहा है कि जिला सहकारी केंद्रीय मर्यादित बैंक के अंतर्गत विभिन्न शाखों में सुबह 11:00 से खाता धारक आते हैं और कई घंटे तक बैठे रहते हैं और फिर लौट जाते हैं और बैंकों का ताला बंद रहता है
जबकि इस समय खेती-बाड़ी सहित पितृपक्ष के चलते अनेकों प्रकार के घरेलू कार्यों के लिए लोगों को बैंकों में उनकी जमा राशि निकालने की आवश्यकता बनी हुई है। लेकिन बैंक के खाता धारकों को उनकी जमा राशि उन्हें प्राप्त नहीं हो रही है और एक तरफ जहां बैंक का कामकाज ठप्प होने से बैंक को व्यवसायिक नुकसान हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ जनता को फजीहत का सामना करना पड़ रहा है।

सायद स्वतंत्र भारत में ऐसा पहली बार हुआ है की जिला सहकारी केंद्रीय बैंकों में इतनी बड़ी हड़ताल देखने को मिली है जो लगातार हड़ताल जारी है और कई दिन बीत रहे हैं जिले के अधिकारी और जिम्मेदार बैंक के बड़े अधिकारी ड्यूटी कर रहे हैं लेकिन उनकी ड्यूटी जनता के किसी काम नहीं आ रही है और कर्मचारियों की हड़ताल को लेकर शासन प्रशासन भी गंभीर नहीं है जबकि जनता को बैंक कर्मचारियों की हड़ताल से काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है और जनता में इस बात का आक्रोश भी देखा जा रहा है कृषि कार्य हो या बीमारी हो सभी कार्य के लिए रुपए चाहिए जो बैंक बंद होने से नहीं मिल रही है, जबकि अधिकांश शासन के हितग्राहियों के खाते इन्हीं बैंक में खोले गए हैं लाड़ली बहना योजना और किसान सम्मान योजना की राशि जमा है जिसे जनता नहीं निकाल सकती जनता का दैनिक कामकाज एक माह से प्रभावित है।

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