Rewa MP: रोती बिलखती विकलांग-बेबा महिला को देख रीवा संभागायुक्त ने एसडीएम तहसीलदार को तलब कर पढ़ाया कानून का पाठ।

Rewa MP: रोती बिलखती विकलांग-बेबा महिला देख रीवा संभागायुक्त ने एसडीएम तहसीलदार को तलब कर पढ़ाया कानून का पाठ।
राजस्व प्रकरण में हुई लापरवाही पर रीवा कमिश्नर ने एसडीएम और तहसीलदार तथा पटवारी को लगाई फटकार।
वीडियो में देखिए पूरी खबर 👇
रीवा। जिले के राजस्व न्यायालय जवा क्षेत्र के ग्राम कोटा की रहने वाली विकलांग बेबा महिला ममता सिंह पुत्री स्व जागेश्वर सिंह अपनी फरियाद लेकर रीवा संभागायुक्त कार्यालय पहुंची थी पीड़ित महिला मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि वह विकलांग है और उसके पति की मृत्यु हो चुकी है उसके पिता स्वर्गीय जागेश्वर सिंह कि वह इकलौती संतान है उसके अन्य कोई भाई-बहन नहीं है पिता की मृत्यु हो चुकी है और उनकी मां की हत्या कर दी गई थी पिता और माता की जमीन पर कानूनन उसका अधिकार है लेकिन गांव के लोगों ने फर्जी वसीयत बनवाकर राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिली भगत से उसकी जमीन का नामांतरण अपने नाम करवा लिया है काफी समय से महिला अपनी फरियाद लेकर तहसीलदार एसडीएम कलेक्टर और कमिश्नर कार्यालय का चक्कर काट रही थी थक हार कर जब कमिश्नर कार्यालय के सामने महिला व्हीलचेयर में बैठी जोर जोर से रो रही थी तब कार्यालय के अंदर बैठे रीवा संभाग आयुक्त बीएस जामोद को जानकारी हुई तो उन्होंने महिला के आवेदन पर तत्काल संज्ञान लेते हुए जवा एसडीम और तहसीलदार तथा पटवारी को कमिश्नर कार्यालय तलब कर लिया और तत्काल महिला की आवेदन पर सुनवाई करने का फरमान जारी किए हैं, इस मामले में पीड़ित महिला ममता सिंह ने फोन पर मीडिया को जानकारी देते हुए ने बताया कि कमिश्नर साहब ने एसडीएम तहसीलदार और पटवारी को रीवा बुलाकर डांटते हुए निर्देश दिए हैं कि महिला के साथ तत्काल न्यायिक कार्यवाही की जाए।
बता दें कि रीवा जिले में राजस्व विभाग के अधिकारियों का काम कैसा है यह राजस्व न्यायालय में आने वाले पक्षकारों से कहीं भी पूंछा सुना जा सकता है यहां तक की कई बार अधिवक्ता भी राजस्व न्यायालय के अधिकारियों की मनमानी पर मुखरित होकर विरोध कर चुके हैं अक्सर लोगों का आरोप होता है कि बिना रिश्वत दिए काम नहीं होता और जो रिश्वत देता है फैसला उसके पक्ष में हो जाता है इसके लिए राजस्व न्यायालयों में अधिकारियों ने अपने दलाल भी बना रखे हैं आए दिन लोकायुक्त टीम द्वारा की जा रही कार्यवाई इसका सबसे बड़ा प्रमाण है।
कमिश्नर कार्यालय रीवा पहुंची पीड़ित महिला की कहानी सुनकर ताजुब लगता है कि अपने माता-पिता की इकलौती बारिश होने के बाद भी कथित वसीयतनामा को आधार मानकर राजस्व न्यायालय द्वारा आराजी दूसरों के नाम कर दी जाती है हालांकि ऐसे कई मामले और भी हैं जो हर तहसील और एसडीएम कार्यालय में लोगों के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा समय पर सही निर्णय नहीं देने के कारण गांव-गांव विवाद की भी स्थिति उत्पन्न होती रहती है और विवादित जमीनों को लेकर लाठी-डंडे चलते हैं खून खराबा होता रहता है, हालांकि इस मामले को रीवा संभाग आयुक्त ने संज्ञान लेते हुए एसडीएम और तहसीलदार को न्याय संगत कार्यवाही करने का निर्देश दिया है।