रीवा

MP news, देश को जल और थल सेना प्रमुख देने वाले सैनिक स्कूल रीवा में Discipline के नाम क्रूरता।

MP news, देश को जल और थल सेना प्रमुख देने वाले सैनिक स्कूल रीवा में Discipline के नाम क्रूरता।

सैनिक स्कूल रीवा में परीक्षा से पहले 12 वीं के 71 छात्रों को किया गया निलंबित।

सैनिक स्कूल रीवा में बारहवीं कक्षा के 72 में से 71 छात्रों को परीक्षा के समय निलंबित कर घर भेजना अत्यंत, गैरजिम्मेदाराना आपत्तिजनक कृत्य : अजय खरे।

खेल के दौरान गेंद लगने से शिक्षक की गाड़ी का कांच टूटने पर 71 छात्रों का भविष्य चौपट नहीं किया जा सकता।

स्कूल की देखरेख में घर से काफी दूर रह रहे मेधावी छात्रों के भविष्य के साथ क्रूर खिलवाड़ नहीं किया जाए।

विकास के नाम बढ़ते बाजारीकरण के चलते ऐतिहासिक सैनिक स्कूल क्षेत्र भी असुरक्षित।

विराट वसुंधरा/ यज्ञ प्रताप सिंह
रीवा 15 फरवरी। समता सम्पर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने कहा है कि भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के सैनिक स्कूल रीवा में स्कूल प्रबंधन के द्वारा कक्षा बारहवीं के 72 में से 71 छात्रों को बोर्ड परीक्षा के समय निलंबित कर घर भेजने की बात बेहद चिंताजनक और आपत्तिजनक है। इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। श्री खरे ने इस संबंध में भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू एवं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को ई-मेल ज्ञापन भेजकर उनसे तत्काल न्यायोचित हस्तक्षेप की अपेक्षा की है। सैनिक स्कूल में दाखिला अखिल भारतीय स्तर प्रतियोगिता के आधार पर होता है। यहां पढ़ने वाला हर छात्र मेंधावी है। देश के विभिन्न राज्यों में गिने-चुने सैनिक स्कूल हैं जिसमें मध्य प्रदेश का रीवा का सैनिक स्कूल भी शामिल हैं। रीवा के सैनिक स्कूल में भी देश के विभिन्न राज्यों के छात्र अध्यनरत हैं। यहां से पढ़कर निकलने वाले अनेक छात्र भविष्य में भारतीय सेना के महत्वपूर्ण पदों पर पहुंचकर नाम रोशन करते हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि इस समय भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल श्री उपेंद्र द्विवेदी और नेवी चीफ दिनेश कुमार त्रिपाठी इसी सैनिक और एक ही बैच के छात्र हैं दोनों देश में सर्वोच्चय पद पर आसीन हैं।

लोकतंत्र सेनानी अजय खरे ने कहा है कि बड़ी संख्या में छात्रों का इस तरह से निकाले जाने से व्यवस्था संबंधी कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। ऐसे समय जब 12वीं बोर्ड की परीक्षाएं शुरू होने वाली है तब इन छात्रों को निलंबित करके घर भेजने की बात उनके भविष्य के साथ क्रूर खिलवाड़ है। सैनिक स्कूल से निलंबन एवं घर भेजने की प्रक्रिया के बाद सभी छात्र गहरे तनाव और सदमे में हैं ऐसी स्थिति में स्कूल प्रबंधन के द्वारा यह दलील दिया जाना कि इसका असर छात्रों की परीक्षा में नहीं पड़ेगा अत्यंत गैर जिम्मेदाराना संवेदनहीन बात है। श्री खरे ने कहा कि यह अलग बात है कि छात्रों को परीक्षा में बैठने से वंचित नहीं किया गया है लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि उनकी परीक्षा तैयारी पर इसका काफी बुरा असर हुआ है। वैसे हर संस्था में अनुशासन महत्वपूर्ण होता है। सभी छात्रों को अनुशासन की प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। अनुशासन के नाम पर समय-समय पर कड़ाई भी जरूरी होती है लेकिन अनुशासन के नाम पर ज्यादती को सही नहीं ठहराया जा सकता। सुनने में यह आया है कि सैनिक स्कूल परिसर में एक शिक्षक की गाड़ी का कांच टूटने से मामला बिगड़ा है। इसी वजह से सारे छात्रों को शक के दायरे में लेते हुए प्रताड़ित किया गया। गाड़ी का कांच टूटने की बात सही है लेकिन ऐसा बताया जा रहा है कि छात्रों के खेलते समय मैदान से गेंद उछलकर एक शिक्षक की गाड़ी से टकराने के कारण कांच टूटा है। इस घटना के बाद छात्र डर गए और शिक्षक को किसी ने नहीं बताया कि किसकी गेंद से कांच टूटा। इसके चलते स्कूल प्रबंधन ने अनुशासन के नाम पर अति कर दी और छात्रों का चरित्र हनन किया जाने लगा।

श्री खरे ने कहा कि सैनिक स्कूल रीवा के नाबालिग छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करना कदापि उचित नहीं होगा। खेल के दौरान गेंद लगने से शिक्षक की गाड़ी का कांच टूटने पर 71 छात्रों का भविष्य चौपट नहीं किया जा सकता। सैनिक स्कूल छात्रावास में रहने वाले सभी छात्र अपने घरों से काफी दूर स्कूल प्रबंधन की देखरेख में है ऐसी हालत में उनकी चारित्रिक गतिविधियों की जवाबदेही खुद लेने के बजाय उनके घर के लोगों पर थोपना सरासर गलत है। इसके अलावा सैनिक स्कूल में रह रहे छात्रों पर बाहर से खाना मंगवाने का आरोप भी लगाया गया है। सैनिक स्कूल छात्रावास के छात्रों के द्वारा मेस के बजाय बड़ी संख्या में बाहर से भोजन मंगाने की बात से साफ जाहिर होता है कि‌‌ छात्रों को वहां रुचिकर भोजन नहीं मिल पा रहा है। जबकि मेस का भुगतान छात्रों के सालाना शुल्क के साथ ही जमा करा लिया जाता है। स्कूल प्रबंधन को छात्रावास की भोजन संबंधी व्यवस्था में सुधार करना चाहिए और इसे अनुशासन का विषय नहीं बनाना चाहिए। श्री खरे ने कहा कि रीवा शहर में विकास के नाम पर बड़े पैमाने पर हो रहे बाज़ारीकरण का दुष्प्रभाव सैनिक स्कूल परिसर तक पहुंच गया है। सैनिक स्कूल क्षेत्र भी इससे प्रभावित एवं असुरक्षित हो रहा है। सैनिक स्कूल क्षेत्र का शांत माहौल भी बिगड़ा है। इस बारे में भी सोचा जाना चाहिए कि सैनिक स्कूल रीवा की ऐतिहासिक धरोहर है जिसे बचाने और संवारने का दायित्व यहां के लोगों का भी है।

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