रीवा

Rewa MP: “”जहां चाह है वहां राह है”– विजय शर्मा ‘स्वामी’ का मलिन बस्ती में शोध।

Rewa MP: “जहां चाह है वहां राह है” विजय शर्मा ‘स्वामी’ के शोध से मलिन बस्तियों की हकीकत आई सामने।

 

विराट वसुंधरा
रीवा। ” मलिन बस्तियों में जीवन-यापन कर रहे बच्चों को प्राप्त सुविधाएं एवं उनके शैक्षिक स्तर का अध्ययन” विषय पर सर्वे कर रहे शासकीय शिक्षक शिक्षा महाविद्यालय रीवा के एम एड द्वितीय वर्ष के शोधार्थी,क्षेत्र के वरिष्ठ कवि,व्याख्याता श्री विजय शर्मा “स्वामी” ने हमारे संवाददाता से खास चर्चा में बताया कि उनकी टीम द्वारा जिसमें श्री पन्नालाल नामदेव, श्री जयप्रकाश मिश्र, श्री धीरेन्द्र चौधरी शामिल थे, नगर निगम रीवा के वार्ड क्रमांक 10 में स्थित मलिन बस्ती सामुदायिक केन्द्र नेहरू नगर से शिवनगर मोड़ तक रिहायसी इलाके का सर्वे कार्य महाविद्यालय के यशस्वी प्राचार्य डां.रामरनरेश पटेल एवं वरिष्ठ सहायक प्राध्यापक डां.पंकजनाथ मिश्र के निर्देशन में दिनांक 10/02/25 से 15/02/25 तक किया गया। पांच दिवसीय सर्वे में अमूमन पचास से ज्यादा बच्चों से संपर्क स्थापित कर साक्षात्कार एवं प्रश्नावली शोध टूल्स के माध्यम से बच्चों को प्रदाय सुविधाएं एवं शैक्षिक स्तर की जानकारी संकलित की गई। निष्कर्ष बतौर ये जानकारी मिली कि उक्त बस्ती में भले लगभग शत प्रतिशत आबादी गरीब,पिछड़े एवं वंचित वर्ग से है किन्तु शिक्षा के प्रति सभी की जागरूकता असाधारण है।बच्चों के माता-पिता या संरक्षक  ज्यादातर पुस्तैनी पेशे से जुडे कामों में संलग्न है,प्रतिदिन की कमाई अति न्यून है फिर भी धन की कमी उनके बच्चों की पढ़ाई पर बाधक नहीं है। जहां एक ओर अस्सी फीसदी बच्चों का दाखिला अशासकीय शालाओं मे है वहीं बीस फीसदी बच्चे शासकीय स्कूलों में प्रवेशित हैं।

श्रीमती पुष्पा सेन ने बताया कि उनके तीन बच्चे जो कि मानसिक रूप से मंदबुद्धि हैं उनका भी दाखिला इन्होने दीप ज्योति स्कूल में करवाया है,शिक्षा के प्रति इनकी ललक काबिलेतारीफ़ है। आशीष,शुभम,एवं धीरज इनके बच्चे हैं; जिनका शैक्षिक स्तर न्यून से भी अति न्यून है। सामाजिक न्याय विभाग द्वारा विकलांगता पेंशन इन तीनों को मुहैया कराई जा रही है। सर्वे टीम के द्वारा मां पक्ष एवं पिता पक्ष की जानकारी ली गई तो पता चला दोनों पक्षों में कभी कोई इस प्रकार की विकलांगता का शिकार नहीं था। अरुषि साकेत जो कि गोविंद साकेत की पुत्री है,ब्रिट एशिया पब्लिक स्कूल में पहली दर्जे में पढ़ती है,ने कहा कि सर हमें जी के एवं कम्प्यूटर की पुस्तक दिलवा दें, सोमवार को अरुषि को आवश्यक रूप से उक्त पुस्तकें मुहैया कराने का वचन दिया गया है।

चिंता के कुछ बिंदु भी हैं—पानी की टंकी के पास आदिवासी बस्ती में जो छात्र मिले उनका शैक्षिक स्तर औसत से काफी कम पाया गया। टीम द्वारा पूंछे गये प्रश्नों से बच्चे और उनके अभिवावक दोनों बचते नजर आये। लगभग तीस बच्चों का सर्वे करने पर ज्ञात हुआ कि कुछ बच्चे अभी भी स्कूल नहीं जा रहे हैं जिनमें सुधा कोल पुत्री गणेश उम्र 12 वर्ष (ड्राप आउट), रीतेश कोल पुत्र राधेश्याम उम्र 6 वर्ष अप्रवेशी, गौरव कोल पुत्र गणेश  उम्र 10वर्ष अप्रवेशी,अजीत कोल पुत्र महेश उम्र 13 वर्ष कक्षा 5 के बाद ड्रापआउट चिन्हित किये गये। रोहित कोल पुत्र शिवकुमार कक्षा 4 ने ड्रेस न मिलने की शिकायत की ये तुलसीनगर के सरकारी स्कूल में अध्ययनरत हैं, इसी प्रकार सोनाली कोल पुत्री रमेश कक्षा 2 ने भी ड्रेस न मिलने की बात कही,ये भी तुलसीनगर के विद्यालय में अध्ययनरत है।

शुभम कोल पुत्र जीतेन्द्र कक्षा 4 जो अनंतपुर के शासकीय विद्यालय में अध्ययनरत हैं ड्रेस न मिलने की शिकायत की। शासन की इतनी पैनी नजर के बावजूद अप्रवेशी व ड्रापआउट बच्चों का चिन्हित होना पूरी शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के प्रावधानों के तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम लागू है। इस अधिनियम के तहत उक्त आयु वर्ग का कोई बच्चा प्राथमिक शिक्षा से बंचित न रहे।

सारांश रूप में कहा जा सकता है कि इस मलिन बस्ती में एक समान वातावरण है। जहां एक ओर कम आय होने पर भी लोग बच्चों की शिक्षा के प्रति बेहद जागरूक हैं। शैक्षिक उपलब्धि में बच्चे औसत एवं औसत से ऊपर हैं। वहीं दूसरी ओर इसी मलिन बस्ती में जहां आदिवासी वर्ग बहुतायत में है शिक्षा के प्रति उदासी स्पष्टत: परिलक्षित होती है। बच्चों का शैक्षिक स्तर न्यूनतम है। अभिवावकों में शिक्षा के प्रति जागरुकता की कमी है।

 

.  ( सर्वे के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई)
शोधार्थी
विजय शर्मा ‘स्वामी’, एम एड
जय प्रकाश मिश्र,एम एड
पन्नालाल नामदेव,एम एड
धीरेन्द्र चौधरी,बी एड

 

 

 

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button