Maihar news:विष्णु भूमि परसमनिया पठार है प्रह्लाद का जन्मस्थान और होलिका का दहन स्थल, हिरण्यकश्यप को मारने वाले भगवान नरसिंह की शक्ति पीठ है मां शारदा मंदिर!

Maihar news:विष्णु भूमि परसमनिया पठार है प्रह्लाद का जन्मस्थान और होलिका का दहन स्थल, हिरण्यकश्यप को मारने वाले भगवान नरसिंह की शक्ति पीठ है मां शारदा मंदिर!
अतुल बताते हैं कि परसमनिया पठार का पुरातन नाम पारषमणि था। पुराणों के अनुसार इस भूमि पर हिरण्यबाहु का वध करने स्वयं भगवान विष्णु ने वाराह अवतार लिया था। तभी से इस पवित्र भूमि में भगवान विष्णु को वाराह अवतार के रूप में पूजा जाता है। यही वजह है कि इस क्षेत्र के राजघराने के कुल देवता वाराह भगवान हैं। हिरण्यबाहु के वध के कारण उनके भाई हिरण्यकश्यप भगवान विष्णु के विरोधी हो गए। अपने राज्य में श्रीहरि विष्णु की भक्ति पर प्रतिबंध लगा दिया था। संयोगवश उनका अपना पुत्र प्रह्लाद विष्णु के अनन्य भक्त निकले। इस पर हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका (सिंहिका) को प्रह्लाद को मारने का जिम्मा दिया। भगवान विष्णु ने नरसिंह का अवतार लेकर हिरण्यकश्यप का वध किया। तभी से यहां पर भगवान नरसिंह अवतार की पूजा होने लगी। आज भी मां शारदा मंदिर में 1500 साल पुरानी नरसिंह अवतार की प्रतिमा मौजूद है।
मैहर .प्राचीन कालीन शिवलिंगों के लिए प्रसिद्ध परसमनिया पठार वास्तव में विष्णुभूमि है। इस पवित्र भूमि में ही होलिका के दहन का कारण बनने वाले प्रह्लाद का जन्म हुआ था। इसी पठार में होलिका का दहन हुआ था। प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप का वध करने के लिए नरसिंह भगवान का अवतार लेने वाले भगवान विष्णु द्वारा स्थापित नरसिंह शक्ति पीठ भी यहीं हैं, जिसे अब मां शारदा मंदिर के नाम से जाना जाता है। यहां पर मां शारदा के साथ गर्भ गृह में भगवान नरसिंह की प्रतिमा स्थापित है, जो 1500 साल पुरानी बताई जाती जाती है। यह खुलासा हाल ही में हुए एक शोध से हुआ है। इसकी पाण्डुलिपि शोधार्थी अतुल गर्ग ने तैयार की है। अपने शोध की शुरुआत अतुल गर्ग मां शारदा मंदिर से करते हैं। उन्होंने कहा कि जहां माता सती के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठ स्थापित किए गए। जहां आभूषण गिरे वहां समशक्ति पीठ स्थापित हुए। लेकिन, इसे नरसिंह अवतार भगवान विष्णु ने महादेव शिव के साथ प्रतिस्थापित किया। अत: यह नरसिंह शक्ति पीठ कहलाया। इस कारण यह 51 शक्ति पीठ में शामिल नहीं।