रीवा

Rewa MP: श्रीमद्भागवत कथा धार्मिक कर्मकांड के साथ ही जीवन की चेतना भी है: व्यासवर वरुण महाराज।

Rewa MP: श्रीमद्भागवत कथा धार्मिक कर्मकांड के साथ ही जीवन की चेतना भी है: व्यासवर वरुण महाराज।

भागवत कथा की पुण्यधारा में डूबा बीड़ा शाहपुर: उमड़ा श्रद्धा का सागर।

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विराट वसुंधरा
रीवा। जिले के सेमरिया विधानसभा क्षेत्र के बीड़ा शाहपुर की धरती धर्म की ध्वनि से इस समय गूंज रही है यहां आस्था के दीप हजारों हृदयों में एक साथ प्रज्वलित हों रहे हैं अध्यात्म की लहरें गाँव की गलियों से बहते हुए जन-जन के अंतर्मन को स्पर्श कर रही हैं, ऐसे आयोजन के दृश्य युगधर्म बन जाते हैं। ऐसा ही एक दिव्य अवसर बीड़ा शाहपुर की पुण्यभूमि पर साकार हो रहा है, जहाँ सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव का शुभारंभ अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ हुआ। सुखीनंद मिश्रा के निवास पर आरंभ हुए इस अनुष्ठान की शुरुआत वैदिक ऋचाओं के मंगल उच्चारण एवं कलश यात्रा के साथ हुई, जिसने सम्पूर्ण वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से आप्लावित कर दिया। जैसे ही कथा वाचक व्यासवर वरुण महाराज व्यासपीठ पर विराजमान हुए, समस्त श्रोता मंडली मंत्रमुग्ध होकर कथा श्रवण हेतु तैयार हो गई।

प्रथम दिवस महाराज ने ‘भागवत महात्म्य’ की सजीव व्याख्या करते हुए कहा भगवान की कथा मात्र श्रवण से मन और आत्मा का परिष्कार होता है। यह अमृतवाणी केवल मनोरंजन नहीं, जीवन का परिष्कार और मोक्ष का मार्ग है। उनके मधुर वाणी में संचित ज्ञान, शास्त्रीय व्याख्यान और भक्ति भाव की त्रिवेणी ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया। लोग पलकों पर कथा के शब्दों को संजोते रहे और हृदय में उसे उतारते चले गए। गाँव-गाँव से श्रद्धालु नंगे पाँव, वाहनों और पैदल चलकर कथा स्थल तक पहुँचे। यह केवल भीड़ नहीं थी, यह थी श्रद्धा की सरिता, जो अविरल बह रही थी। बीड़ा शाहपुर में पहली बार इस स्तर का धार्मिक आयोजन हो रहा है और जनसैलाब इस बात का प्रमाण था कि गाँव की आत्मा आज भी धर्म और संस्कृति के साथ जीवंत है।

आयोजन कर्ता ने बताया कि यह सात दिवसीय कथा श्रृंखला भगवान श्रीकृष्ण के लीलाओं से ओतप्रोत रहेगी, श्रीकृष्ण जन्म, गोवर्धन पूजा, रासपंचाध्यायी, उद्धव संवाद और सुदामा चरित्र जैसे प्रसंगों का मार्मिक और गूढ़ वर्णन होगा। प्रतिदिन सायंकाल भक्ति संगीत, आरती और विशाल भंडारे की व्यवस्था की गई है, जहाँ हजारों श्रद्धालु प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। श्रीमद्भागवत कथा मात्र एक धार्मिक कर्मकांड नहीं, यह जीवन की चेतना है। यह आयोजन रीवा अंचल के धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन की जीवंत धड़कन बन गया है। जहाँ एक ओर युवा वर्ग कथा के भाव में रम रहा है, वहीं बुज़ुर्गों की आँखों में श्रद्धा और संतोष की ज्योति झलक रही है। बीड़ा शाहपुर इन दिनों भक्तिमय गीतों, घंटे-घड़ियालों की ध्वनि और हज़ारों श्रद्धालुओं की समवेत भावनाओं से झंकृत है। यह आयोजन न केवल गाँव के लिए गौरव है, अपितु समूचे समाज के लिए एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण का संदेश भी है।

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