Rewa MP: सिरमौर जनपद अध्यक्ष रवीना साकेत के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव 22 सदस्यों ने किया विरोध।
विराट वसुंधरा
रीवा । जिले की सिरमौर जनपद पंचायत एक बार फिर सुर्खियों में आ गई है वह इसलिए की पंचायती राज चुनाव 2023 में जनपद अध्यक्ष निर्वाचन के दौरान तत्कालीन सेमरिया विधायक केपी त्रिपाठी को जनपद पंचायत में कमजोर करने के लिए मूल रूप से भारतीय जनता पार्टी की नेता जो जनपद अध्यक्ष की दावेदारी में थीं कांग्रेस पार्टी के लोगों और भाजपा के स्थानीय विधायक सहित संगठन के कुछ चर्चित स्थानीय नेताओं ने पूरी ताकत लगाकर भाजपा प्रत्याशी को हराकर रवीना साकेत को अध्यक्ष बनाया था उस दौरान जनपद अध्यक्ष बनने के बाद रवीना साकेत ने यह भी बयान दिया था कि वह किसी दल विशेष की नहीं है उनको सभी दलों का सहयोग प्राप्त हुआ है सरकार भाजपा की थी और सिरमौर विधायक भी भाजपा के थे लिहाजा रवीना साकेत भारतीय जनता पार्टी के साथ हो गई और अंदर ही अंदर उनका कांग्रेस नेताओं के साथ भी स्नेह बराबर बना रहा लेकिन जनपद सदस्यों में उनकी पकड़ कमजोर होती गई और नतीजा यह निकला की 22 जनपद सदस्यों ने एक साथ जनपद अध्यक्ष रवीना साकेत के खिलाफ विश्वास का बिगुल फूंक दिया है
देखा जाए तो सिरमौर जनपद पंचायत में प्रशासनिक अराजकता और नेतृत्वहीनता के चलते राजनीतिक संकट उत्पन्न हुआ है जनप्रतिनिधियों के एक गुट ने बुधवार को अध्यक्ष श्रीमती रवीना साकेत के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का बिगुल फूंकते हुए कलेक्टर प्रतिभा पाल को आवेदन सौंपा। इस पूरे प्रकरण में सदस्यों की असहमति की गूंज और अध्यक्ष की जवाबदेही पर सवाल जैसे मुद्दे प्रमुखता से उभरे हैं। 22 जनपद सदस्यों ने एकसूत्र में बंधकर अध्यक्ष के खिलाफ गंभीर आरोपों की झड़ी लगा दी। उनका आरोप है कि रवीना साकेत ने पंचायती राज व्यवस्था की मर्यादाओं को तार-तार कर दिया है। प्रमुख शिकायतें इस प्रकार हैं: बैठकों में अनियमितता, एजेंडा समय पर जारी न करना और सदस्यों को बैठकों में भाग लेने से रोकना। वित्तीय अराजकता_ तीन वर्षों से वार्षिक बजट पारित न कर पाना, जिससे विकास कार्य ठप्प पड़े हैं। सदस्यों का अपमान_ अध्यक्ष का रुख सदस्यों के प्रति उद्दंडतापूर्ण और संवादहीन बताया गया। पारदर्शिता का अभाव_ वाहन खर्च और यात्रा विवरण को लेकर सवालों के जवाब न देना।
सिरमौर जनपद पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की कमान मिश्रीलाल तिवारी, राजेंद्र सिंह और विनोद सिंह ने संभाली है, जिन्होंने सदस्यों को एकजुट कर कलेक्टर कार्यालय का रुख किया। सदस्यों ने बताया कि अध्यक्ष ने स्थाई समितियों को काम करने से रोककर पंचायती राज अधिनियम की धज्जियां उड़ा दीं। हमारे प्रस्तावों को अनदेखा किया जाता है। अध्यक्ष जनता के पैसे का हिसाब देने से बचती हैं। वहीं राजेंद्र सिंह जनपद सदस्य का कहना है कि यह सत्ता का नहीं, जनता का संघर्ष है। हम विकास चाहते हैं, विवाद नहीं।
कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल ने आवेदन को गंभीरता से लेते हुए जांच का आश्वासन दिया। अब प्रशासन द्वारा अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिसमें सदस्यों के हस्ताक्षरों की प्रामाणिकता और आरोपों की जांच शामिल है। यह घटना सिरमौर जनपद पंचायत में सत्ता संघर्ष के नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है। अगर अविश्वास प्रस्ताव पारित होता है, तो नया अध्यक्ष चुना जाएगा, अन्यथा रवीना साकेत का पद बच जाएगा। फिलहाल सियासी गलियारों में हलचल और जनता की नाराजगी इस मामले को और गरमा रही है। यह मामला पंचायती राज में पारदर्शिता और जवाबदेही की लड़ाई का प्रतीक बन गया है। अब नजर प्रशासनिक कार्रवाई पर टिकी है।