सिरमौर विधानसभा को “राजनैतिक चारागाह” और “पिकनिक स्पॉट” मानने बाले नेताओं से कब मिलेगी मुक्ति।

सिरमौर विधानसभा को “राजनैतिक चारागाह” और “पिकनिक स्पॉट” मानने बाले नेताओं से कब मिलेगी मुक्ति।
विराट वसुंधरा
रीवा । जिले के सिरमौर विधानसभा क्षेत्र में चुनावों के समय जनता के बीच आमतौर पर क्षेत्रीय व्यक्ति को टिकट देने की तथा क्षेत्रीय व्यक्ति को ही अपना प्रतिनिधि चुनने की बात प्रमुखता से होती है ! लेकिन चुनाव के बाद सनैः सनैः यह बात ठंडी होती रहती है ! जब भी बात संकट की आती है तब क्षेत्रीय प्रतिनिधि की आवश्यकता सहज रूप से अनिवार्य प्रतीत होने लगती है, क्षेत्र के भनिगवाँ, जनकहाई, नीवा, गोहट, नगमा, सितलहा जैसे बड़ी आबादी बाले गांवों के नागरिकों को इस आपदा से हर साल सामना करना पड़ता है ! भनिगवाँ की बेटी को प्रसव पूर्व चिकित्सा न मिलने की वजह से मौत होना व्यवस्था पर गंभीर सबाल खड़ा करता है।
सिरमौर क्षेत्र के तराई अंचल के हृदय स्थल जवा बाजार की पानी,कीचड़ और गंदगी से बजबजाती सड़कें सरकारी कृपा की बाट जोह रही है!कोनी पंचायत के कई गाँव हर वर्षात में पहुँच विहीन हो जाते है ! चाँद,गुरगुदा में रह रहे परिवारों की पीड़ा अंतर्मन को विचलित करती है ! श्री दुअरा नाथ हनुमानजी के मंदिर की आवाजाही बारिश में दुरूह हो जाती है,हरदोली गांव की गलियाँ की गन्दगी आम हो गई है, पनवार से लगे कई गाँव सुदामापुर सहित सम्पर्क विहीन हो जाते है ! एक दो दिन की बारिश में बैकुंठपुर नगर की बस्तियों जलमग्न हो गई,नगर के अंदर और बाहर के रास्तों में पानी की भयावह स्थिति से निपटने के लिए जनता की नजरें सरकारी मदद के लिए लगी रही लेकिन प्रकृति की कृपा ही सहारा बनी।
सरकार द्वारा किये जाने बाले सभी कार्यो का व्यवस्थित और सुनियोजित भविष्य की जरूरतों पर आधारित दृष्टकोण नही होकर बन्द कमरे में औपचारिक और खानापूर्ति बाली कार्य पद्धति को निरंकुश सरकारी अफसरों पर नियंत्रण नही होना समस्या की मूल वजह है, निराश्रित गौवंश की समस्या से तबाह हर परिवार,पूरे क्षेत्र की अस्पतालों में तालाबंदी,सरकारी शिक्षण संस्थाओं में शिक्षा की समुचित व्यवस्था के बजाय कोरम पूर्ति,राजस्व सहित सभी सरकारी मोहकमो में अघोषित लूट….. जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी और संवेदनशीलता पर बड़ा सबाल खड़ा करती है।
क्षेत्र की जरूरत मंद जनता को अपनी छोटी छोटी समस्याओं के लिए गाढ़ी कमाई के हजार पांच सौ रुपए खर्च कर पीली कोठी रीवा आना पड़ता है ! जहाँ राजतंत्र के अवशेष और “युवराज” के अनुशासन के आगे लोकतंत्र नतमस्तक होकर वापस हो जाता है ! क्षेत्र में नेताजी आमंत्रण और विशिष्ट आयोजनों में ही प्रकट होंगे जहाँ आम जनता अपनी समस्याओं को व्यक्त नही कर सकती ! वर्तमान क्षेत्रीय विधायक के प्रतिनिधि और पदाधिकारी जो उनकी अनुशंसा और रहम पर सम्मानित है वे कभी प्रयागराज में शराब खोरी/कुकर्म में लिप्त होने की सुर्खियों प्राप्त कर रहे है या शराब,रेत और अवैध कार्यो में लिप्त होने की आमचर्चा में यश प्राप्त कर रहे होते है !
और अंत मे…..
👉 क्या हम सभी सिरमौर क्षेत्र के लोग दलीय भावनाओं से हटकर क्षेत्र के ही व्यक्ति को अपना प्रतिनिधि नहीं चुन सकते ?
👉 क्या सिरमौर क्षेत्र को राजनैतिक चारागाह और पिकनिक स्पॉट बनने से रोकने में हम सक्षम नही है ?
👉 कई दशकों से सिरमौर विधानसभा क्षेत्र “राजनैतिक चारागाह” बना अपने वजूद के बचाव की जंग के लिए कब अंगड़ाई ले रहा होगा ?
तथाकथित उपरहटी के “युवराज” की जगह इस क्षेत्र में जन्मा,यहाँ की माटी में पला बढ़ा किसी माँ का बेटा क्षेत्र का निर्वाचित प्रतिनिधि होगा तो आपदा में और हर समस्या में जनता के साथ खड़ा दिखेगा !
विचार/लेख
गिरिजेश कुमार पाण्डेय
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