रीवा

Rewa news, कराधान घोटाले के मास्टरमाइंड की बहाली का शुरू हुआ षड्यंत्र जिला पंचायत सीईओ ने प्रस्ताव ठुकराया

Rewa news, कराधान घोटाले के मास्टरमाइंड की बहाली का शुरू हुआ षड्यंत्र जिला पंचायत सीईओ ने प्रस्ताव ठुकराया

रीवा जिले के जनपद पंचायत गंगेव में हुए कराधान घोटाले का जिन्न एक बार फिर वापस आ चुका है। मामला बड़ा मजेदार है। अब कराधान घोटाले के मास्टरमाइंड राजेश सोनी को वापस सीन पर लाने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं। इस पूरे मामले में प्रमुख रोल जिला पंचायत में कार्यरत एपीओ एवं वर्तमान प्रभारी सीईओ जनपद गंगेव राजेश शुक्ला के द्वारा अदा किया जा रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रभारी जनपद गंगेव सीईओ राजेश शुक्ला ने निलंबित लिपिक एवं कराधान घोटाले के मास्टरमाइंड राजेश सोनी के वापस बहाली का प्रस्ताव बकायदा मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा सौरव संजय सोनवड़े के समक्ष प्रस्तुत कर दिया था। वह तो गनीमत है की मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत ने मामले को गंभीरता से लिया और 13 करोड रुपए के कराधान घोटाले में फंसे और 7 महीने की जेल भुगत चुके घोटाले के मास्टरमाइंड राजेश सोनी को बहाली से इनकार करते हुए फाइल वापस कर दी। मामले की भनक लगते ही प्रमुख शिकायतकर्ता अधिवक्ता संजय पांडे एवं आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने 19 मार्च मंगलवार के दिन धारा 89 की सुनवाई के दौरान सीईओ जिला पंचायत सोनवणे के समक्ष मामले को रखा और राजेश सोनी की बहाली के स्थान पर उसके बर्खास्तगी की मांग की।

2 साल पहले का राजेश सोनी का बर्खास्तगी का प्रस्ताव अभी भी ठंडे बस्ते में।

सबसे मजेदार बात यह है कि भ्रष्टाचारियों को संरक्षण का इससे बड़ा सबूत और क्या होगा कि जिस निलंबित लिपिक और 13 करोड़ के गंगेव जनपद के कराधान घोटाले के मास्टरमाइंड राजेश सोनी को बर्खास्त करने के लिए तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा स्वप्निल वानखेड़े ने संभाग आयुक्त अनिल सुचारी को अपना बर्खास्तगी प्रस्ताव भेजा था उस पर किसी का ध्यान नहीं गया और सांठगांठ कर मामले को रफा दफा करने के लिए 07 महीने की सजा भुगत चुके निलंबित लिपिक राजेश सोनी की बहाली का प्रस्ताव ही भेज दिया गया। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रस्ताव भेजने में मुख्य रोल जिला पंचायत रीवा में कार्यरत एपीओ राजेश शुक्ला का है जो वर्तमान में गंगेव जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी का प्रभार पाए हुए हैं।

रिटायर्ड एसडीएम मनगवां एके सिंह ने जांच में की थी लीपापोती।

यदि मामले को देखा जाए तो तत्कालीन अनुविभागीय एवं दंडाधिकारी अखिलेश कुमार सिंह को निलंबित लिपिक एवं 13 करोड़ के कराधान घोटाले के मास्टरमाइंड राजेश सोनी के मामले की जांच की फाइल सौंपी गई थी जिसके बाद एके सिंह ने सोनी के विरुद्ध जांच प्रतिवेदन देते हुए दोषी पाया था और दस्तावेज लेकर रफा दफा होने और प्रभार न देने एवं घोटाले में संलिप्त पाए जाने पर बर्खास्तगी का प्रस्ताव तक तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा स्वप्निल वानखेड़े को भेज दिया था लेकिन जैसे ही एसडीएम एके सिंह रिटायरमेंट की कगार पर आए तो उन्होंने अपने ही भेजे प्रस्ताव को उलट दिया और राजेश सोनी से साठगांठ कर मामले को रफा दफा करते हुए बर्खास्तगी प्रस्ताव को वापस लेते हुए जांच में लीपापोती कर दी।

तत्कालीन संभागायुक्त अनिल सुचारी ने कलेक्टर रीवा से मागा था प्रतिवेदन जो अब तक है अप्राप्त।

मामले पर संजय पांडे एवं शिवानंद द्विवेदी ने शिकायत संभाग आयुक्त अनिल सुचारी के समक्ष की तो उन्होंने सीईओ जिला पंचायत एवं कलेक्टर रीवा को मामले की जांच करते हुए एके सिंह द्वारा भेजे गए दोनों प्रस्ताव की जांच कर वास्तविक स्थिति स्पष्ट करने के लिए लिखा। लेकिन मामले पर कोई कार्यवाही नहीं की गई और आज भी वह जांच यथावत पड़ी हुई है। लेकिन जब तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत स्वप्निल वानखेड़े ने संभाग आयुक्त अनिल सुचारी को 13 करोड़ के कराधान घोटाले के मास्टरमाइंड राजेश सोनी के बर्खास्तगी का प्रस्ताव भेजा तो संभाग आयुक्त ने प्रस्ताव को वापस करते हुए जनपद की अधिकारिता होने का कारण बताते हुए जनपद की आमसभा से बर्खास्तगी प्रस्ताव जारी करने एवं कार्यवाही करने के लिए लेख लिखा। लेकिन तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी स्वप्निल वानखेड़े के ट्रांसफर होने के बाद मामला एक बार पुनः ठंडे बस्ते में चला गया और आज तक न तो राजेश सोनी को बर्खास्त किया गया और न ही मामले को जनपद की सामान्य सभा में ही भेजा गया जिससे भलीभांति स्पष्ट होता है कि पूरे मामले को दबाने में पूरा का पूरा तंत्र लगा हुआ है जबकि अभी भी मनगवां थाने में अपराध क्रमांक 470/2020 दर्ज है एवं भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट रीवा में मामला विचाराधीन है।

एपीओ और प्रभारी सीईओ गंगेव राजेश शुक्ला की भूमिका संदिग्ध।

ऐसे में एपीओ एवं वर्तमान प्रभारी मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत गंगेव राजेश शुक्ला द्वारा 13 करोड़ के कराधान घोटाले के मास्टरमाइंड राजेश सोनी के बहाली प्रस्ताव को सीईओ जिला को भेजा जाना पूरे सिस्टम को प्रश्न के दायरे में खड़ा करता है। गौरतलब है कि एपीओ राजेश शुक्ला जब जिला पंचायत में पदस्थ थे और धारा 40/92 की कार्यवाहियों के ऑफिसर इंचार्ज बनाए गए थे तब भी इनके ऊपर इस प्रकार पंचायतों से मिलकर मामलों को दबाने और लिंगाराम करने के आरोप लग चुके हैं इसके बाद इन्हें धारा 40/92 ओआईसी के पद से हटा दिया गया था। इसके विषय में तत्कालीन संभाग आयुक्त अनिल सुचारी को ज्ञापन भी सामाजिक कार्यकर्ताओं ने दिया था। अब बड़ा सवाल यह है कि पिछले विधानसभा चुनाव से गंगेव जनपद के प्रभारी सीईओ के तौर पर कार्य कर रहे राजेश शुक्ला लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं और उनकी कार्यप्रणालियों ने एक बार पुनः सिस्टम पर सवाल खड़ा कर दिए हैं।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button