Rewa news, कोर्ट परिसर में अधिवक्ताओं ने पेशी करने आए युवक और मीडियाकर्मी को जमकर पीटा घटना का वीडियो आया सामने।

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Rewa news, कोर्ट परिसर में अधिवक्ताओं ने पेशी करने आए युवक और मीडियाकर्मी को जमकर पीटा घटना का वीडियो आया सामने।

जिला सत्र न्यायालय परिसर में एक बार फिर अधिवक्ताओं की गुंडागर्दी देखने को मिली है घटना को लेकर जो जानकारी सामने निकल कर आई है उसके मुताबिक रीवा न्यायालय परिसर में दो अधिवक्ताओं के बीच किसी मामले को लेकर कहा सुनी और धक्का मुक्की शुरू हो गई वही न्यायालय में पेशी करने आया एक आरोपी अपने वकील के बचाव में दूसरे वकील से भिड़ गया और देखते ही देखते वकीलों ने युवक पर ताबड़तोड़ लात घूसें से बरसाना शुरू कर दिया न्यायालय परिसर के सामने खड़े कुछ पत्रकारों ने जब मारपीट की घटना देखी तो मौके पर पहुंचकर घटना की वीडियो बनाने लगे इसी दौरान वकीलों ने देखा कि उनके द्वारा की जा रही मारपीट का वीडियो मीडिया कर्मी ने बना लिया है तो वकीलों ने मीडिया कर्मी पर हमला बोल दिया दर्जनों की संख्या में वकीलों ने मीडिया कर्मी को घसीट कर अपने चेंबर में ले जाकर जमकर मारपीट की है और मोबाइल छुड़ाकर मारपीट की घटना का वीडियो डिलीट कर दिया इसी दौरान कुछ अधिवक्ताओं और पत्रकारों ने बीच बचाव किया और पत्रकार को न्यायालय परिसर से बाहर किया बता दें कि न्यायालय परिसर में इस तरह की मारपीट की घटना पहली बार नहीं हुई है इससे पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं।

क्या कहते हैं मीडियाकर्मी।

पीड़ित फरियादी मीडिया कर्मी संजीव पाठक बंसल न्यूज का कैमरा पर्सन है मारपीट की घटना के बाद मीडिया कर्मी अन्य पत्रकार साथियों के साथ सिविल लाइन थाने पहुंचकर आरोपी अधिवक्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज करवा दिया है।
फरियादी ने लिखित में शिकायत दी है कि मारपीट की घटना न्यायालय परिसर में कुछ अधिवक्ताओं द्वारा एक युवक के साथ मारपीट की जा रही थी घटना का कवरेज करने मौके पर पहुंचे थे तभी अधिवक्ताओं ने गाली गलौज करते हुए अपने चेंबर में ले जाकर जमकर मारपीट की है और मोबाइल छुड़ाकर वीडियो को डिलीट कर दिए हैं पीड़ित ने बताया कि अधिवकाओ द्वारा की गई मारपीट से चेहरे दाहिने कंधे, आंख, और कमर के हिस्से मे चोट‌आई है मारपीट करने वालों मे अधि0 अनिल पाण्डेय, अधि0 अंबर पाण्डेय और उनके अन्य दर्जन भर अन्य साथी अधिवक्ता गण बताए गए है।

बड़ा सवाल।

अधिवक्ताओं का कहना है कि अगर कोई घटना दुर्घटना न्यायालय परिसर में होती है तो बिना अनुमति घटना का कवरेज मीडिया कर्मी नहीं कर सकते उनका कहना है कि यहां वीडियो बनाना माना है लेकिन सवाल तो यह उठता है कि खुद अपराध करना कितना सही है और अगर मीडिया कर्मी ने मारपीट की घटना का वीडियो बना लिया तो यह उसकी ड्यूटी थी ना की कोई अपराध था हालांकि अधिवक्ताओं ने घटना कारित करने का सबूत मिटाने का पूरा प्रयास किया और मोबाइल छुड़ाकर वीडियो डिलीट भी कर दिया था लेकिन अन्य पत्रकारों ने घटना का कुछ वीडियो बना लिया था।

पत्रकारों की हो रही दुर्दशा।

वीडियो देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि रात दिन पीड़ित लोगों की आवाज बनने वाले पत्रकारों के क्या हश्र होते हैं कभी भ्रष्टाचारी षड्यंत्र करके मरवाते हैं या फर्जी मुकदमे दर्ज करवाते हैं तो कभी पुलिस मीडिया कर्मियों की आवाज बंद करने के लिए फर्जी मुकदमे दर्ज करती है शासकीय कार्यालयों में अगर गलत हो रहा है तो मीडिया कर्मी वीडियो बनाता है तो शासकीय कार्य में बाधा बताकर मुकदमा दर्ज करवा दिया जाता है रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार की खबर चलती है तो भ्रष्टाचारी पुलिस से साथ सांठगांठ करके फर्जी मुकदमे दर्ज करवा देते हैं पुलिस द्वारा गलत करने पर खबर चलाई जाती है तो पुलिस किसी भी अपराध में पत्रकारों को  लपेट देती है, लेकिन अब पत्रकारों के विरोधी जब अधिवक्ता गण हो जाएंगे तो फर्जी मुकदमों से पत्रकारों को न्याय मिलना भी मुश्किल हो जाएगा आए दिन पत्रकारों के साथ मारपीट होती रहती है और अभद्रता की जाती है ऐसा लगता है कि इन दिनों सबसे ज्यादा दुर्दशा पत्रकारों की ही हो रही है।

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