Rewa news, खरीदी केन्द्रों की अवैधानिक कमाई में नीचे से ऊपर तक प्रति क्विंटल के हिसाब से जुड़ा होता है सेवा शुल्क -?
Rewa news, खरीदी केन्द्रों की अवैधानिक कमाई में नीचे से ऊपर तक प्रति क्विंटल के हिसाब से जुड़ा होता है सेवा शुल्क -?
जिला प्रशासन ध्यान दें खरीदी केन्द्रों में आपरेटर, समिति प्रबंधक के साथ अन्य भी हैं दोषी।
रीवा । सन 2024- 25 में रवि सीजन में गेहूं सरसों मसूर चना की खरीदी प्रारंभ है हर खरीदी केदो पर समिति में निजी लोगों को रखा जाता है जो वजन तौलने के बाद किसानों से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष वसूली करते हैं वजन से लेकर पल्लेदारी और व्यवस्था के नाम पर भी तिनका- तिनका कर बेईमानी की राशि एकत्रित की जाती है जो लगभग 15 लोगों में नीचे से लेकर ऊपर तक वितरित की जाती है और यह राशि प्रति क्विंटल लगभग₹20 के हिसाब से हो जाती है बेइमानों द्वारा पाई- पाई जोड़कर ₹20 य उससे अधिक प्रति क्विंटल बनाया जाता है हालांकि इस आरोप का कोई पक्का सबूत नहीं है लेकिन जानकारों ने जिस तरह से बताया कि खरीदी केदो में और फिर इसके बाद वेयरहाउस तक अनाज को पहुंचने में हेरा फेरी की जाती है उसी का परिणाम है कि तीन हजार से लेकर 26 हजार प्रति माह तक वेतन पाने वाले समिति के कर्मचारी और अधिकारी करोड़पति है, हमारे सूत्रों और किसानों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि खरीदी केंद्रों में कांटा सेट करके 1 से 1/2 किलो प्रति 50 किलो की बोरी में तौलाई के दौरान ही खेल कर दिया जाता है और फिर उठाव के बाद भंडारण के समय एक ट्रक में 5 से दस क्विंटल तक अधिक अनाज लिया जाता है जो मार्केट में कालाबाजारी की जाती है।
व्यापारियों की सेटिंग से हो रही मुनाफाखोरी।
खरीदी केन्द्रों में व्यापारियों के अनाज धड़ल्ले से सप्लाई हो रहे हैं इसके लिए व्यापारियों द्वारा पहले ही किस से सेटिंग कर दी जाती है और अनुमानित स्लॉट बुक कर लिया जाता है फिर जब खरीदी होती है तो कुछ किसान इन व्यापारियों के अनाज को अपना बताकर खरीदी केंद्र में बेचते हैं देखा जाए तो ऐसा लगभग अधिकांश खरीदी केन्द्रों में मामला चर्चा का विषय बना रहता है जबकि राजस्व और कृषि विभाग को किसानों द्वारा बोई गई फसल के दौरान ही निगरानी की जानी चाहिए की किस किस ने कौन सी और कितनी फसल बोनी की है किसानों द्वारा बोई गई फसल घर बैठकर पटवारी खसरे के कॉलम में चढ़ा देते हैं और कृषि विभाग के जिम्मेदार भी ईमानदारी से काम नहीं करते इसका नतीजा यह निकलता है कि कुछ किसानों द्वारा गल्ला व्यापारियों को अनाज को किसानों के जरिए खरीदी केंद्र में भारी मात्रा में बेचा जाता है, जिन किसानों का पंजीयन जब कराया जाता है तब मशूर, सरसों गेहू चना जैसी फसल का मौका मुआयना किया जाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं होता जिससे कि संबंधित किसान व्यापारियों की मिली भगत से 300 से लेकर ₹400 प्रति किंटल कमीशन लेकर खरीदी केन्द्रों में बिक्री कर देते हैं ऐसा रीवा और मऊगंज जिला दोनों जगह हो रहा है जिला प्रशासन को चाहिए कि इस तरह से खरीदी केन्द्रों में हो रही अनियमितता को रोकने कोई कठोर कदम उठाया जाना चाहिए या फिर ऐसे मामलों में सीआईडी से जांच करानी चाहिए जिससे कि खरीदी केदो में हो रहे भ्रष्टाचार को रोका जा सके।
जिला प्रशासन की अधूरी कार्रवाई।
बीते दिनों रबी विपणन वर्ष 2024-25 में समर्थन मूल्य पर गेंहू खरीदी के लिए सेवा सहकारी समिति बड़ा गांव क्रमांक-2 बरौ, खरीदी स्थल रेवांचल वेयरहाउस को अधिकृत किया गया था। खरीदी कार्य में प्रयुक्त होने वाले बारदानों की किसान रावेन्द्र सिंह के घर में मिलने की सूचना के आधार पर निरीक्षण दल द्वारा संबंधित किसान से पूछतांछ की गयी जिस पर किसान के घर 1065 बोरियाँ mpscsc की पायी गयीं तथा खरीदी केन्द्र में 5106 नग बोरियाँ कम मिली इस मामले को लेकर रीवा अपर कलेक्टर श्रीमती सपना त्रिपाठी द्वारा बताया गया कि बोरियों की तौल कराने पर प्रति बोरी औसतन 300 से 500 ग्राम गेंहू अधिक लिया जाना पाया गया। उक्त कृत्य में केन्द्र प्रभारी एवं कम्प्यूटर आपरेटर की भूमिका थी दोनों ने आपसी मिली भगत कर मनमाने तरीके से स्वेछाचरिता पूर्वक शासन की उपार्जन नीति का उल्लंघन एवं घोर अनियमितता की। जिस पर समिति एवं कम्प्यूटर आपरेटर को ब्लैकलिस्टेड कर दिया गया है जिला प्रशासन द्वारा की गई यह कार्यवाही स्वागत योग्य है और इस कार्यवाही से यह भी पता चलता है कि शासन किसानों के साथ खड़ी है और हर हाल में खरीदी केदो में होने वाली अनियमिता को रोकने के लिए प्रयासरत है लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि सहकारी समितियां के प्रशासक अध्यक्ष इसके लिए क्या दोषी नहीं है और इनसे ऊपर बैठे अधिकारी क्या कर रहे हैं वैसे तो देखा जाए तो खाद्य विभाग, सहकारिता विभाग, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक, राजस्व विभाग और कृषि विभाग की भूमिका पर सवाल खड़े होते हैं।