Rewa news नवनिहालो के नेवाले को लीलने की तैयारी में अधिकारी पोषण आहार की राशि होगी बंदरबांट।
Rewa news नवनिहालो के नेवाले को लीलने की तैयारी में अधिकारी पोषण आहार की राशि होगी बंदरबांट।
कागज़ी घोड़ा दौड़ाकर व्यवस्था और पोषण आहार की राशि हड़प करने की तैयारी में जुटे अधिकारी।
रीवा और मऊगंज जिले में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र अधिकांस कागजों पर चल रहे हैं कहने के लिए की आंगनबाड़ी केंद्रों को अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने गोद भी लिया था
शासन प्रशासन लगातर प्रयास के बाद भी रीवा और मऊगंज जिले में संचालित आगनवाड़ी केंद्रों में अक्सर ताला लटकता दिखाई देता है लेकिन कागज़ी घोड़ा ऐसा दौड़ाया जाता है कि बजट रूपी घास को सफाचट किया जा सके विभाग द्वारा केंद्र आने वाले 03 वर्ष से 05 वर्ष के सभी बच्चों ( हितग्राहियों) को प्रत्येक कार्य दिवस पर अलग- अलग प्रकार के पोष्टिक एवं गुणवक्ता युक्त नाश्ता एवं गरम पका हुआ भोजन देने का प्रवधान किया गया है। वही प्रत्येक केंद्र में कम वजन के बच्चों को दोपहर 3 बजे घर पहुंचाकर गुणवक्ता युक्त गरम पका भोजन देने का भी प्रवधान किया गया है। केंद्र के अन्य हितग्राही जैसे गर्भबती माता, धात्री माता 6 माह से 3वर्ष तक के बालक बालिकाओं को प्रत्येक मंगल दिवस सूखा एवं पौष्टिक पूरक पोषण आहार वितरण करने का प्रधान है पर रीवा और मऊगंज जिले के अधिकांश आंकड़े केवल कागजों तक ही सीमित है।
वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध।
महिला बाल विकास विभाग द्वारा परियोजना कार्यालय के निरीक्षण के लिए जिला एवं ब्लाक स्तर पर तैनात जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। अगर कागजों के अलावा जमीनी हकीकत पर ध्यान दिया जाता तो क्षेत्र के हितग्राही मंगल दिवस की अनेक योजनाओं के साथ साथ थर्ड मील योजना से अंजान नही होते । सवाल यह भी उठाना लाजमी है कि परियोजना अधिकारी जब आंगनबाड़ी केंद्र में जाते हैं तो वहां ताला लगा मिलता है फिर भी आंगनवाड़ी सहायिका से साठ गांठ कर वहां ग्रामीण बच्चों को एकत्रित कर फोटो क्लिक कर उनके द्वारा खेला कर दिया जाता है।
राशि हड़प करने की तैयारी।
आंगनवाड़ी सहायिका एवं सुपरवाइजर और परियोजना अधिकारी के साठ-गांठ से फर्जी रजिस्टर भी मेंटेन किया जाता हैं और व्यवस्था के नाम पर राशि का बंदरबाट लगातार जारी रहता है अब देखना यह होगा कि धृतराष्ट्र की भूमिका में बैठे आला अधिकारियों को परियोजना कार्यालयों के अंतर्गत संचालित आंगनबाड़ियों का निरीक्षण किया जाता है या फिर बंदरबांट का सिलसिला ऐसे ही चलता रहेगा जैसे पूर्व से होता आ रहा है सूत्रों की माने तो आंगनबाड़ी केंद्रों में कुछ हुआ गया नहीं है वावजूद इसके कागज़ी घोड़ा दौड़ाकर व्यवस्था और पोषण आहार की राशि हड़प करने की तैयारी में अधिकारी जुट गए हैं।
इन पांच विंदुओं पर करें गौर।
1- आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ को मोबाइल में विभागीय संपर्क एप, पोषण ट्रैकर एप डाऊनलोड करवाया गया है।
2-‘कार्य कर्ता द्वारा, घर में बैठकर केंद्र की गतिविधि अपलोड कर दी जाती है।
3-समूह नाश्ता भोजन नहीं देता,,फिर भी शत प्रतिशत उपस्थिति दर्ज करवाई जाती है।
4- मध्यान्ह भोजन में बच्चों की 60%उपस्थिति दर्ज होती है लेकिन महिला बाल विकास विभाग में शत प्रतिशत उपस्थिति रहती है आनलाइन के दौड़ में नंबर वन आनें के लिये।
5- PO, लागिन, पर्यवेक्षक लागिन, कार्यकर्ता लागिन पर कार्य कराया जाता है जबकि ग्राऊंड लेबल पर जीरो है।