MP news- रीवा जिले में बेरहम सिस्टम के सामने धान के साथ अपना जमीर बेंचने को मजबूर हो रहा है किसान, मालामाल हो रहे बेइमान।

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रीवा जिले में बेरहम सिस्टम के सामने धान के साथ अपना जमीर बेंचने को मजबूर हो रहा है किसान।

धान खरीदी केंद्रों में नियमों को धता बता रहे हैं समिति प्रबंधक, हाड़ कंपाने वाली ठंड में परेशान किसान मालामाल हो रहे बेइमान।

विराट वसुंधरा
रीवा। जिले में एक दिसंबर से धान खरीदी शुरू होने के बाद किसान अपने अनाज को समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए खरीदी गई पर पहुंच रहे हैं शासन ने ‌खरीदी केन्द्रों में किसानों की सुविधा के लिए पेयजल, छांव व अलाव की पर्याप्त व्यवस्था के निर्देश दिए हैं। यहां तक की धान की तौलई में किसी तरह की गड़बड़ी ना हो इसके लिए धान के गुणवत्ता को जांचने वाली मशीन व सही नापतौल के लिए निर्धारित वजन गाइडलाइन में तय किया गया है। इसके बावजूद देखने को मिला कि काजल महिला स्व-सहायता समूह उमरी, खैरहन-1 शुक्ला वेयर हाउस नादा, अमित स्व-सहायता समूह बेलवा, शासकीय महेश वेयर‌हाउस बैकुंठपुर खैरहन क्रमांक 2 में शासन के नियमों को धता बताते हुए समिति प्रबंधक एक बोरे में धान की तौल 41‌ किलो से भी अधिक कर रहे हैं। जिसका कारण धान में नमी अधिक होना बताया जा रहा है। जबकि शासन ने एक बोरे में धान का निर्धारित वजन 40 किलो 500 ग्राम से 40 किलो 580 ग्राम तक किया है। शासकीय महेश वेयरहाउस बैकुंठपुर के खरीदी केंद्र में कार्यरत मजदूरों को 7 दिसंबर से 27 दिसंबर तक एक भी रुपए मजदूरी नहीं मिलने से उन्होंने खरीदी में अपना सहयोग देना बंद कर दिया जिसकी वजह से कई घंटों तक खरीदी रुकी रही जिससे काफी समय तक किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ा।

नियमों को दरकिनार कर चल रही खरीदी।

रीवा जिले के खरीदी केन्द्रों में अव्यवस्थाओं का आलम झेल रहे किसानों को और उस पर सफाई पे सफाई दे रहे समिति संचालकों को‌ अव्यवस्थाओं के बीच धान खरीदी प्रारंभ नियम कायदों को दरकिनार कर चल रही है जहां संबंधित अधिकारियों की मनमानी देखने को मिल रही है और यह सब नागरिक आपूर्ति निगम प्रमुखता के साथ धान खरीदी का कार्य देख रहा है धान खरीदी की निगरानी खाद्य विभाग जिला कलेक्टर ने संबंधित तहसीलों के अधिकारीयों के साथ एक बहुत बड़ी टीम बनाई है किंतु आज भी धान की सुचारु खरीदी व्यवस्था में अभाव देखा जा रहा है जहां वर्तमान समय पर मौसम खराब है वहीं दूसरी तरफ रीवा जिले में मऊगंज में हर खरीदी केन्द्रो पर काफी मात्रा में धान खरीदी कर खुले में रखी हुई है उठाव के अभाव में अगर बारिश होती है तो यह धान काफी मात्रा में नष्ट हो जाएगी जिले में उठाव का कार्य मिलर और कुछ ट्रांसपोर्ट के अधीनस्थ है समय पर उठाव नहीं किए जाने से खरीदी में विसंगतियां निर्मित हो रही है।

आर्थिक अभाव भी कर रहा व्यवस्था कमजोर।

वहीं दूसरी तरफ रीवा जिले के हर समितियों की तकरीबन आर्थिक स्थिति काफी दैयनीय है इसके बावजूद भी खरीदी केंद्र बनाया गया है किंतु खरीदी कार्य हेतु नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा जितनी मात्रा में खरीदी हुई वह राशि अभी तक समिति धान खरीदी खातों में प्राप्त नहीं हुई जिससे पैसे के अभाव में स्टैकिग लोडिंग तौल सिलाई छपाई अन्य कार्य जैसे टैग रंग मशीन मरम्मत आलाव आदि कार्य पूर्ति हेतु पैसे का अभाव देखा जा रहा है नाम न छापने की शर्त पर कुछ खरीदी केन्द्र के अधिकारियों द्वारा बताया गया कि पैसे के अभाव में मजदूर भी काम नहीं कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ ट्रैक्टरों की लंबी लाइन उठाव ना होने से स्थान का अभाव जिससे ढलाई और सिलाई का कार्य भी बाधित हो रहा है इस समय मौसम भी खराब है उठाव ना होने से धान नष्ट हो सकती है।

उत्तर प्रदेश से लाई जा रही धान।

खरीदी केन्द्रों में बेचने के लिए उत्तर प्रदेश से धान का आना जारी है वह धान गुणवत्ता विहीन होने के बाद भी केन्द्रों पर सेवा शुल्क प्राप्त कर भंडारित कराई जा रही है वहीं दूसरी तरफ इस कार्य में व्यापारी और किसानों की सहभागिता है क्योंकि धान की बिक्री किसानों के नाम पर ही होती है जहां किसान चर्चा अनुसार ₹100 प्रति कुंन्टल लेकर व्यापारियों की धान बिक्री कर रहे हैं इन व्यापारियों द्वारा किसानों की पैसे की तत्काल आवश्यकता हेतु किसान अपनी धान व्यापारियों के हाथ 1700 से लेकर 1800 रुपए प्रति कुंन्टल की दर से बिक्री कर रहे हैं किंतु आज तक ऐसे किसानों को चिन्हित नहीं किया जा सका जिससे शासन की मंशा अनुसार किसानों को धान का फायदा प्राप्त नहीं हो रहा है बिचोलियों और किसान और अधिकारियों के कारण शासन को प्रतिवर्ष करोड़ों करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ता है अभी तक शासन को यह जानकारी प्राप्त नहीं है की कुल कितनी खरीदी हुई और कितना उठाव हुआ या क्यों नहीं हुआ उठाव ना करने के दोषी व्यक्ति कौन है उनके ऊपर क्या कार्रवाई हुई यह ज्ञात नहीं हो पा रहा है यह भी जिले के वरिष्ठ अधिकारियों को ध्यान देने की बात है कि कुल खरीदी संस्था द्वारा कितनी हुई और शासन द्वारा विभिन्न कार्यों की पूर्ति हेतु उन्हें भुगतान कितना प्राप्त हुआ यदि भुगतान प्राप्त नहीं हुआ तो क्यों और इसका दोषी कौन है।

 

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