Rewa news, देश की राजनीति और धर्म के क्षेत्र में हो रही गिरावट अत्यंत चिंताजनक।
धर्म के नाम पर चुनावी रोटी सेंकना असंवैधानिक एवं आपराधिक कृत्य: अजय खरे
रीवा 10 जनवरी। राजनीति और धर्म के क्षेत्र में हो रही गिरावट अत्यंत चिंताजनक है। राजनीति का काम बुराई को दूर करना है और धर्म का काम अच्छाई स्थापित करना है। समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक अजय खरे ने कहा है कि समाजवादी चिंतक डॉ राम मनोहर लोहिया ने राजनीति को अल्पकालिक धर्म और धर्म को दीर्घकालिक राजनीति कहा था। आज देखने को मिल रहा है कि धर्म और राजनीति के क्षेत्र में पाखंड और दिखावेबाजी को बहुत बढ़ावा मिल रहा है। यहां तक कि महिमा मंडित हो रहे कुछ लोग अपने आपको भगवान बताने लगे हैं । राजनीति के क्षेत्र में उच्च पदों पर बैठे लोग संविधान को तिलांजलि देकर तानाशाह की तरह काम कर रहे हैं। संवैधानिक संस्थाएं मोदी सरकार की कठपुतली की तरह काम कर रही हैं। चुनाव आयोग को सरकार ने पूरी तरह अपना गुलाम बना रखा है। संवैधानिक पदों पर विराजमान लोग सत्ता के इशारे पर नंगा नाच कर रहे हैं। ऐसे लोग आयेदिन जाति का सहारा लेकर छुद्र महत्त्वाकांक्षा का प्रदर्शन कर रहे हैं। लोकसभा एवं राज्यसभा के विपक्षी सांसदों को जिस मनमाने तरीके से सदन से निष्कासित किया है, इसके चलते लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। महिला पहलवानों को अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है। अनुच्छेद 370 को खत्म करने के बावजूद कश्मीर के हालात सही नहीं हैं। देश के उत्तर पूर्व में स्थित सीमावर्ती राज्य मणिपुर झुलस रहा है। वर्तमान दौर में अघोषित आपातकाल की स्थिति के चलते नागरिक आजादी का संकट गहराता जा रहा है। बिल्किस बानो मामले में बलात्कार के सजायाफ्ता कैदियों को माफी देकर रिहा करने के मामले में देश की सर्वोच्च अदालत के द्वारा गुजरात सरकार को फटकार लगाते हुए 11 बलात्कारियों को फिर से जेल भेजने का निर्देश देकर न्यायपालिका के प्रति जनसाधारण का विश्वास जगाया है।
श्री खरे ने कहा कि लोगों को रोजगार देने के सवाल पर मोदी सरकार मुंह फेरती नजर आ रही है। धर्म के आधार पर पूरे देश में नफरत का माहौल अत्यंत आपत्तिजनक है। राम मंदिर निर्माण को लेकर मोदी सरकार जिस तरह उसका चुनावी लाभ लेने के लिए व्याकुल है , वह तरीका बेहद आपत्तिजनक एवं असंवैधानिक है। सत्ता का विरोध करने पर झूठे मुकदमे बनाकर परेशान करना आम बात हो गई है। धर्म नितांत निजी मामला है जिसमें किसी भी धर्म को लेकर सरकार का आगे होना सही नहीं है। पूजागृहों का काम पुजारियों एवं धर्माचार्यों का है। ऐसे कार्यों में सत्ता में बैठे लोगों की दखलअंदाजी संविधान विरुद्ध है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा आगामी 22 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करने की बात भारत के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप के लिए घातक है। राम मंदिर का विरोध कोई नहीं कर रहा है बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा की जा रही प्राण प्रतिष्ठा को लेकर सवाल खड़े हैं। धर्माचार्यो का काम प्रधानमंत्री के द्वारा किया जाना निश्चित रूप से आपत्तिजनक है। श्री खरे ने कहा देश का निर्माण किसी धर्म विशेष के आधार पर नहीं होता है। देश का संविधान सभी धर्म विशेष के प्रति समभाव रखता है। धर्मनिरपेक्ष स्वरूप के बगैर कोई भी देश मजबूत नहीं हो सकता। जिस रामलला की मूर्ति को आस्था का सवाल बनाकर मंदिर निर्माण का काम शुरू किया गया आज वह कहां है? अयोध्या के राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तरीके से संवैधानिक मर्यादाओं को तोड़ रहे हैं वह बेहद आपत्तिजनक है।आगामी लोकसभा चुनाव का लाभ लेने के लिए जिस तरीके से अधूरे मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की जा रही है ,वह सरासर गलत है। इसे लेकर अनेकों सवाल हैं जिस पर सरकार चुप्पी साधे हुए बैठी है। श्री खरे ने कहा कि गोरखपुर के अवैद्यनाथ मंदिर के महंत रहते हुए आदित्यनाथ योगी का उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री होना इस तरह गलत है जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पद पर रहते हुए अयोध्या के राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा करने की बात। श्री खरे ने कहा कि धर्म के नाम पर चुनावी रोटी सेंकना असंवैधानिक एवं अपराधिक कृत्य है , चुनाव आयोग को इस संबंध में आचार संहिता का पालन करते हुए ठोस पहल करना चाहिए।
श्री खरे ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर बैठकर श्री मोहन यादव के द्वारा रीवा में जन आधार यात्रा के दौरान सार्वजनिक तौर पर दोनों हाथों में नंगी तलवार लेकर आभार प्रदर्शन करना असंवैधानिक गैरकानूनी शर्मनाक कृत्य है। कोई सामान्य व्यक्ति या विरोधी दल का नेता यदि ऐसा करता तो उसे आर्म्स एक्ट के अंतर्गत बंदी बनाकर जेल भेज दिया जाता। श्री खरे ने कहा कि सामाजिक कार्यकर्ता रामेश्वर गुप्ता और नेहा त्रिपाठी प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के रीवा आगमन पर 5 जनवरी को ज्ञापन सौंपना चाहते थे लेकिन उनसे मिलाने की जगह इन दोनों को क्रमशः मनगवां और गोविंदगढ़ थाने में सुबह से बैठा लिया गया और मुख्यमंत्री के वापस चले जाने के बाद रात के समय छोड़ा गया। सत्याग्रहियों को इस तरह से निरुद्ध रखा जाना नागरिक आजादी पर सीधा हमला है। यह बात बहुत आपत्तिजनक एवं निंदनीय है।