माला को पहनने से लेकर माला को जपने तक का क्या हैं सही तरीका… जाने
हिंदू धर्म में भगवान की पूजा में माला की परंपरा बहुत महत्वपूर्ण है। जिससे भक्त माला के मोतियों को घुमाते हुए अपने आराध्य देवी-देवताओं के मंत्र का जाप करता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह माला 108 मनकों या एक विशेष धातु से बने मोतियों से बनी होती है। शुभता और सौभाग्य पाने के लिए लोग अक्सर इस माला को अपने गले या कलाई पर पहनते हैं, लेकिन ऐसा करने से पहले आपको इससे जुड़े सभी धार्मिक और ज्योतिषीय नियम जरूर जान लेने चाहिए, नहीं तो आपको फायदे की जगह नुकसान हो सकता है–
मोतियों की माला
मोती को चंद्रमा का रत्न माना जाता है जो मन का कारक है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार चंद्र ग्रह की शुभता और सौभाग्य के साथ मन की शांति के लिए मोती की माला पहनी जाती है।
स्फटिक माला
हिंदू धर्म के अनुसार यदि कोई व्यक्ति क्रिस्टल की माला धारण करता है तो उसे शुक्र ग्रह से जुड़ी शुभता प्राप्त होती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र ग्रह से संबंधित दोषों को दूर करने के लिए यह माला शुभ मानी जाती है।
रुद्राक्ष की माला
हिंदू धर्म में रुद्राक्ष की माला को भगवान शिव का महाप्रसाद माना जाता है। यही कारण है कि हर शिव साधक इसे धारण करना अपना सौभाग्य मानता है, लेकिन इसे धारण करने के लिए पवित्रता का भी पूरा ध्यान रखना पड़ता है। हिंदी परंपरा के अनुसार शौच और स्त्री प्रसंग आदि के समय रुद्राक्ष माला उतार देनी चाहिए।
चंदन की माला
हिंदू मान्यताओं के अनुसार अलग-अलग साधनाओं के लिए अलग-अलग चंदन की मालाओं का उपयोग किया जाता है। जिस प्रकार भगवान विष्णु की पूजा के लिए सफेद चंदन और पीले चंदन की माला का उपयोग किया जाता है, उसी प्रकार देवी पूजा के लिए लाल चंदन की माला का उपयोग किया जाता है।
तुलसी की माला
अगर आप अपने गले या कलाई पर तुलसी की माला पहनना चाहते हैं तो आपको उसकी पवित्रता का पूरा ध्यान रखना होगा। भगवान विष्णु की कृपा बरसाने वाली इस माला को धारण करने वाले व्यक्ति को हमेशा तामसिक चीजों से दूरी बनाकर रखनी पड़ती है, अन्यथा पुण्य की जगह पाप लगता है, जिससे उसे तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
माला से सम्बंधित धार्मिक नियम
भगवान की पूजा में मंत्र जाप के लिए माला का चयन हमेशा देवता के अनुसार ही करना चाहिए। जैसे भगवान विष्णु के लिए पीला चंदन या तुलसी और भगवान शिव और देवी पूजा के लिए रुद्राक्ष की माला। भगवान की पूजा और गले में पहनी जाने वाली माला दोनों अलग-अलग होनी चाहिए। गले में पहनी हुई माला से कभी भी किसी देवी-देवता के मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए।