नन्हे नौनिहालों से छीन लिया गया शिक्षा का हक।

नन्हे नौनिहालों से छीन लिया गया शिक्षा का हक।

जहां सरकार एक ओर विकसित राष्ट्र बनाने का नारा लगा रही हैं और उसके सफल होने के लिए प्रयास कर रही हैं वहीं दूसरी ओर हमारे देश का गरीब वर्ग गरीबी के दलदल से बाहर नहीं निकलना चाहता।

 

ऐसा हम क्यों कह रहे हैं आइए आपको बताते हैं।

आज के परिवेश में गरीबी एक संस्थान और भीख मांगना पेसा बन चुका है जिस पेसे में नौनिहालों का जमकर शोषण किया जा रहा है बच्चों का शोषण उनके माता-पिता ही कर रहे हैं।जिस उम्र में उनको शिक्षा के लिए माता-पिता को विद्यालयों में पहुंचना चाहिए उसे उम्र में उनसे मंदिरों के बाहर भीख मंगवाने का काम किया जाता है।

 

आज मंदिरों के बाहर आपको गरीब बच्चों का भीख मांगते हुए एक बड़ा वर्ग दिख जाएगा ये यह बच्चे भीख किसी मजबूरी या लाचारी के कारण नहीं मांग रहे हैं बल्कि ऐसा करने के लिए उनके माता-पिता द्वारा उन्हें एक विशेष प्रकार की शिक्षा दी जा रही उनका मानना है की भीख मांग कर एक बड़ी धनराशि एकत्रित की जा सकती है।

जो कि किसी नौकरी या पेसे में संभव नहीं है। और यही कारण है की सरकारों के इतने प्रयास के बाद भी देश में गरीबी का स्तर कम नहीं हो रहा है। सरकार की इतनी योजनाओं के बाद भी गरीब सक्षम नहीं बन पा रहा क्योंकि उसकी मानसिकता में ही सक्षम बनना नहीं है।

आखिर मासूम बच्चों के भविष्य के साथ खेलना कहां तक सही है और उनके माता-पिता अगर अपने ही बच्चों को शिक्षा दिलवाने के बजाय भीख मंगवा रहे हैं तो क्या यह सही है हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं और इसके लिए सरकारें क्या प्रावधान कर सकती हैं जिससे इस दलदल से बाहर निकाला जा सके।

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