🔱 गरुण पुराण का संदेश: जैसा करोगे, वैसा भरोगे🔱
Garun Purana: एक बार एक राजा, जो अपने अहंकार और अन्याय के कारण प्रसिद्ध था, अचानक गंभीर रूप से बीमार पड़ गया। राज्य के सभी वैद्य और हकीम ने इलाज किया, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। जब राजा की हालत और बिगड़ने लगी, तो एक ज्ञानी संत को बुलाया गया।
संत ने राजा को गरुड़ पुराण का उपदेश दिया और कहा, “राजन! यह बीमारी केवल शारीरिक नहीं, बल्कि आपके बुरे कर्मों का फल है। आपने गरीबों पर अत्याचार किए, सत्य को दबाया और अहंकार में दूसरों का अपमान किया। अब समय आ गया है कि आप प्रायश्चित करें!”
राजा ने अपने जीवन में पहली बार अपने कर्मों पर विचार किया और रोते हुए संत से पूछा, “अब मैं क्या करूं?”
संत ने कहा, “यदि सच्चे मन से पश्चाताप करोगे, गरीबों की सेवा करोगे और न्याय के मार्ग पर चलोगे, तो ईश्वर तुम्हें क्षमा कर सकते हैं।”
राजा ने उसी क्षण निर्णय लिया कि वह अपने कर्म सुधारने के लिए दान करेगा, लोगों की सेवा करेगा और अपने जीवन को धर्म के मार्ग पर लगाएगा। कुछ ही दिनों में, उसकी बीमारी दूर हो गई, और वह फिर से स्वस्थ हो गया।
सीख: गरुड़ पुराण हमें सिखाता है कि हमारे कर्म ही हमारा भविष्य तय करते हैं। अच्छे कर्मों का फल सुख और शांति होती है, जबकि बुरे कर्मों का परिणाम कष्टदायी हो सकता है। इसलिए, हमेशा सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलें। 🙏