Young generation: क्या यही युवा हैं देश का भविष्य? बर्बादी की राह पर बढ़ती पीढ़ी!

क्या यही युवा हैं देश का भविष्य? बर्बादी की राह पर बढ़ती पीढ़ी!
Young generation: आज का युवा सोशल मीडिया की दुनिया में इतना डूब चुका है कि वह असल जीवन और असल मुद्दों से दूर होता जा रहा है। सोशल मीडिया पर समय बिताना एक सामान्य आदत बन चुकी है, लेकिन क्या इससे वह अपने वास्तविक लक्ष्यों को हासिल कर पा रहा है? सोशल मीडिया की चमक-दमक, फालतू के ट्रेंड्स और वायरल कंटेंट ने युवाओं का ध्यान भटका दिया है। वे अपनी क्षमता और भविष्य की बजाय, नकारात्मक प्रभावों में खो रहे हैं। ऐसे में यह सवाल उठता है—क्या यह युवा पीढ़ी सच में देश का भविष्य है या यह बर्बादी की राह पर बढ़ रही है?
अगर इस दिशा में तुरंत बदलाव नहीं आया, तो आने वाले वर्षों में ये युवा न केवल अपनी व्यक्तिगत सफलता खो देंगे, बल्कि देश की समृद्धि और विकास में भी कोई योगदान नहीं दे पाएंगे। जरूरत है सही दिशा में मार्गदर्शन की, ताकि सोशल मीडिया के भ्रम से बाहर निकलकर युवा अपने राष्ट्र के लिए सकारात्मक बदलाव ला सके।
“जो कलम से क्रांति लाते, वो आज रील्स में उलझ गए,
जो मां-बाप के सपने थे, वो हवस की आग में जल गए।”
आज के युवा, जो कल देश के नेता, डॉक्टर, इंजीनियर और समाज के निर्माता बनने वाले थे — वो आज नशे, अश्लीलता, और सोशल मीडिया की लत में ऐसे उलझ गए हैं, जैसे लौटना अब मुमकिन ही नहीं।
पढ़ाई से दूरी, संस्कारों से दूरी, और मोबाइल की दुनिया में खोया हुआ भविष्य— यही है आज के नौजवानों की सच्चाई।
क्यों गिर रहा है युवा समाज का स्तर?
10 घंटे रील्स देखना और बेकार की बातें करना आज की दिनचर्या बन गई है।
शराब, सिगरेट, गांजा, और बाकी नशे अब गर्व की चीज़ बन चुके हैं।
लड़कियों को इज्जत नहीं, बस हवस की नजरों से देखा जाता है।
माता-पिता की मेहनत को भूलकर, गलियों में आवारागर्दी करना ही शौक बन गया है।
कुछ लड़कों जैसे कौशल और अन्य नौजवने के मन में इतनी हवस भर गई है, कि उन्हें ना घर की इज्जत की परवाह है, ना किसी की बहन-बेटी की। वे बस अपने हवस और झूठे स्टेटस के पीछे भाग रहे हैं।
जो उनके साथ चल रहे हैं, वो भी बर्बाद हो रहे हैं
जिनके पास 10-10 एकड़ ज़मीन है, जो नशा करते हुए भी अपनी लाइफ संभाल लेंगे – वो तो ठीक हैं,
लेकिन जो आम घरों से आए हैं, जिनके मां-बाप खेतों, फैक्ट्रियों में काम करके पढ़ा रहे हैं –
वो अगर इनकी संगत में पड़ गए, तो सिर्फ अपनी ज़िंदगी ही नहीं, अपने घर का सपना भी जला देंगे।
कुछ कड़वी मगर सच्ची शायरियां:
1.
“बाप की कमाई से ठाठ बनाना आसान है,
अपने दम पर कुछ कर दिखाओ, तब पहचान है,
रील में तो हर कोई हीरो बन जाता है,
असल ज़िंदगी में चलना, वहां मैदान है।”
2.
“लड़की को देख हवस में खो गए,
सोचा तक नहीं कि किसी की बहन भी हो गए,
जिस्म की भूख मिटती नहीं इनसे,
और संस्कारों की बातें खो गए।”
3.
“तेरे यार के पास ज़मीनें हैं बेशुमार,
तेरे घर का चूल्हा भी जलता है उधार,
सोच ले, संगत में उसकी तू बर्बाद होगा,
मां की ममता और बाप का सपना भी साकार न होगा।”
संदेश:
युवा शक्ति ही राष्ट्र की नींव है, लेकिन अगर यह पीढ़ी ऐसे ही भटकती रही, तो देश की नींव कमज़ोर और खोखली हो जाएगी। अभी भी वक्त है, अपने आप को संभालो, वरना कल पछताना ही बाकी रह जाएगा।