एनसीएल का एम-सैंड (रेत) राष्ट्रीय संस्थानों की परीक्षा में उत्तीर्ण, रेत हर कोई खरीद सकता
शोध: पिछले साल से हो रहा उत्पादित, जांच में माना गया गुणवत्तापूर्ण
सिंगरौली. एनसीएल की एम सैंड राष्ट्रीय संस्थानों की शोध मेें पास हो गई है। मोती लाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी प्रयागराज व आईआईटी खडग़पुर व बीएचयू वाराणसी की जांच में ओवर बर्डन (खदान से निकली मिट्टी) से बनाई गई रेत को गुणवत्ता पूर्ण माना है। एनसीएल ने पिछले साल से एम सैंड का उत्पादन शुरू किया है और प्राकृतिक रेत से यह किफायती मानी गई है। कोयला कंपनी एनसीएल प्रतिदिन एक हजार क्यूबिक मीटर एम-सैंड का उत्पादन कर रहा है। सीएमडी बी साईंराम की मानें तो मांग बढ़ी तो उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि की जाएगी।
प्रमुख कोयला उत्पादक कंपनी एनसीएल कोयले के साथ अब विनिर्मित रेत (एम-सैंड) को खुले बाजार में बेच रहा है। इसके बिक्री की प्रक्रिया को पहले के मुताबिक सरल बनाए जाने से कोई भी जरूरतमंद मशीन से बनाई गई रेत (एम-सैंड) की खरीदी कर सकता है। कोयला निकासी के निमित्त खदानों से उत्पन्न अधिभार (ओवर बर्डन) का निस्तारण एनसीएल के लिए बड़ी समस्या है। इसी अधिभार से एम-सैंड बनाने के लिए एनसीएल ने अमलोरी कोयला क्षेत्र में संयंत्र स्थापित किया है। शुरू में संयंत्र से उत्पादित रेत को ई नीलामी के जरिए बेचे जाने की प्रक्रिया शुरू हुई। इसके चलते छोटे जरूरतमंद रेत का उठान से वंचित थे। इस समस्या को देखते रेत को आम लोगों तक पहुंचाने के लिए एनसीएल ने विक्रय नियमों का सरलीकरण कर दिया।
हर कोई खरीद सकता है एम-सैंड
अब एम-सैंड का ई ऑक्शन की जगह सीधी बिक्री शुरू कर दी गई है। इसके तहत बड़ी आसानी से कोई भी उपभोक्ता व ग्राहक अपने जरूरत के अनुसार एनसीएल की एम-सैंड को सीधे खरीद सकता है। इस योजना का लाभ उठाने के लिए न्यूनतम 50 क्यूबिक मीटर एम-सैंड खरीदना अनिवार्य है। यह योजना फिलहाल प्रभाव में है। उपभोक्ता विनिर्मित रेत के लिए एनसीएल के खाते में पैसा जमा करा पावती लेकर रेत उठा सकता है।