Maihar news, माई के धाम में चार चांद लगाती माईं की रसोई श्रद्धालुओं के ठहरने एवं दर्शन कराने की सुविधा भी उपलब्ध।

0

Maihar news, माई के धाम में चार चांद लगाती माईं की रसोई श्रद्धालुओं के ठहरने एवं दर्शन कराने की सुविधा भी उपलब्ध।

 

विराट वसुंधरा/ डॉ राजकुमार गौतम
पौराणिक कथाओं में उल्लेख है कि जब माता सती पिता दक्ष प्रजापति जी के घर आयोजित विशाल यज्ञ धार्मिक अनुष्ठान में बिना आमंत्रण किये पहुंच जाती हैं और यज्ञ में पति भगवान भोलेनाथ का समुचित स्थान न होने एवं उनका अपमान होता देख बर्दाश्त नहीं कर पाईं, अपने पति के अपमान से इतना व्यथित हो गई कि अपने आपको हवन कुंड में समर्पित कर दिया। और यह बात जब भगवान भोलेनाथ को पता चली तो वे व्यथित होकर घोर पीड़ा एवं क्रोध में आकर माता सती के जलते हुए शरीर को लेकर क्रोध में व्याकुल हो गए और निकल पड़े माता सती के अधजले शरीर को लेकर, और सारे ब्रह्मांड का चक्कर लगाने लगे तब माता सती के अंग आभूषण जहां-जहां गिरे वहां-वहां शक्तिपीठ बन गए।

पौराणिक कथाओं में यह मान्यता है कि माता सती के गले का हार मैहर के त्रिकूट पर्वत पर गिरा जिसे माईहार के नाम से जाना जाने लगा । कालांतर में कुछ समय बाद इस स्थान को मैहर के रूप में जाना जाने लगा जहां माता सती आज भी माँ शारदा के रूप में विद्यमान है। माई शारदा के धाम मैहर को लेकर यह भी किंम्बदंती है कि माई के परम भक्त आल्हा ऊदल जो बरदानी थे, और आज भी जीवित हैं शारदा माई ने ही उन्हें उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर वरदान दिया था अमर हैं, आज भी प्रातः सर्वप्रथम माता की पूजा आराधना करने आते हैं मंदिर के गर्भ ग्रह में पट बंद होने के बावजूद भी धूप दीप पुष्प नैवेद्य जब पट खोला जाता है तब मिलते हैं।

यह भी कहा जाता है कि जब रात्रि में मां की आरती होने के बाद माता को शयन कराने के बाद पट बंद कर दिए जाते हैं। किंतु जब दूसरे दिन भोर में पूजा आराधना के लिए पट खोले जाते हैं तब किसी अदृश्य व्यक्ति के द्वारा पूजा आराधना किए जाने के साक्ष्य मौजूद मिलते हैं। इसीलिए त्रिकूट पर्वत पर स्थित माता रानी के मंदिर को पूरी तरह खाली कर दिया जाता है ताकि किसी भी प्रकार की अनहोनी घटित ना हो।

माता शारदा माई के लाखो लाख भक्त अपनी अटूट श्रध्दा और विश्वास के साथ हर वर्ष नतमस्तक होने माता के दरबार मैहर में हाजिरी लगाने आते है। चैत्र एवं क्वांर महीने की नवरात्रि में तो देश के कोने-कोने से माता के दरबार में हाजिरी देने लाखों भक्त रोजाना आते हैं। मैहर रेलवे स्टेशन से गुजरने वाली कई यात्री रेल गाड़ियों का नवरात्रि के महीने में ठहराव एवं कई रेलगाड़ियां के फेरे बढ़ा दिए जाते हैं। यहां आने वाले हर दर्शनार्थी को किसी भी प्रकार के असुविधा न हो शासन प्रशासन द्वारा विशेष इंतेजामत किए जाते हैं और यह प्रयास किया जाता है की हर दर्शनार्थ को माता के दरबार में दर्शन एवं हाजिरी लगाने का पर्याप्त अवसर मिले।

ऐसी पुण्यधरा में माई की रसोई का संचालन किसी पुण्य प्रताप से ही हो सकता है। माई के रसोई के संचालक धीरज पांडेय की इस पुनीत कार्य के लिए खुले मन से सराहना की जानी चाहिए। अब तो माई के रसोई के साथ-साथ दूर दराज से आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए आवास विश्राम हेतु होटल की भी व्यवस्था कर दी गई है तथा इसी के साथ-साथ होटल से मैं के दर्शन हेतु आने-जाने के लिए विशेष वाहनों की भी व्यवस्था है ताकि दर्शन माता के दर्शन उपरांत वापस आकर विश्राम एवं में का प्रसाद ग्रहण कर अपने गंतव्य की ओर आसानी से जा सके।

आज के आपाधापी भरी व्यस्तम् दिनचर्या में, आज की दिखावा भरी लाइफ स्टाइल में ऐसे पुनीत कार्यो का संचालन किसी के द्वारा तब होता है जब उसके कई पुस्तों के पुण्य इकट्ठा होते है, तब उसे ऐसी ईश्वरीय प्रेरणा मिलती है और इस तरह के कार्यो का संचालन होता है। धीरज पांडेय की उम्दा सोच रुकने ठहरने से लेकर भक्तों को उच्चस्तरीय भोजन की व्यवस्था मंदिर तक लाने ले जाने की व्यवस्था और ये सभी कार्य निःशुल्क, ऐसे कार्यो का संचालन पूर्वजो के पुण्य प्रताप और त्रिकूट पर बैठी माई शारदा के आशीष से ही संभव हो सकता है। क्योंकि माई शारदा को माँ सरस्वती का स्वरूप भी माना जाता है, इसलिए मै मानता हूं कि यह सब उनकी ही प्रेरणा से संभव हुआ है और यह धार्मिक नगरी है यहां तो ऐसे कार्य प्रमुखता से होने चाहिए। धीरज पांडेय कोई अवतार नही है वे भी हम आप जैसे साधारण संसारी मनुष्य ही है,

सामाजिक दृष्टिकोण में उनका यह पुनीत कार्य जो नित्य प्रतिदिन ऊंचाईयों को छू रहा है आगे बढ़ रहा है यह कार्य भी हर कोई नही कर सकता। देश मे लाखो हजारों अरबपति खरब पतिऊ पड़े होंगे लेकिन उनकी किस्मत में ऐसे पुनीत कार्य नही होते जिनकी अगुवाई वे कर सके। ऐसे असाधारण कार्य के लिए पुजारी परिवार के आदरणीय समाजसेवी धीरज पाण्डेय प्रशंसा के पात्र हैं, वंदनीय हैं , आइये माता रानी के अनुग्रह व प्रेरणा से आप भी मैहर पधारिए और माता का दर्शन कर माता की रसोई का प्रकाश ग्रहण करिए।

- Advertisement -

Leave A Reply

Your email address will not be published.