Shahdol news, शासन की 20 करोड़ रुपए की 9.54 एकड़ बेशकीमती आराजी बेंचने का लगा आरोप।
Shahdol news, शासन की 20 करोड़ रुपए की 9.54 एकड़ बेशकीमती आराजी बेंचने का लगा आरोप।
राजस्व विभाग की मिलीभगत से 31 लोगों को बेच दिया गया शासकीय भू-खण्ड।
फरियादी ने कलेक्टर को सौंपा गया ज्ञापन, जांच एवं कार्यवाही की हुई मांग।
शहडोल। राजस्व विभाग के भ्रष्ट लोग चंद चांदी के सिक्कों के लिए सरकारी जमीनों को बेचने पर आमादा है और जमीनों को खुर्द-बुर्द कर रहे है। संभागीय मुख्यालय में ऐसे दर्जनों मामले आ चुके हैं, आरआई पटवारी माफियाओं से सांठ-गांठ कर जमीनों का सौदा कर रहे हैं। पहले जमीनें सरकारी रिकार्ड में दर्ज रहतीं हैं अचानक से वे किसी खातेदार की संपत्ति बन जातीं हैं। आखिर ऐसा शासन के किस नियम के तहत होता है यह हल्का पटवारी और राजस्व निरीक्षक ही बता सकते हैं। संभागीय मुख्यालय से सटी ग्राम कुदरी में राजस्व विभाग के एक कर्मचारी ने करीब 20 करोड़ रुपए की 9.54 एकड़ भूमि किसी शांति देवी के नाम दर्ज कराने की जानकारी मिली है। जमीन का पहले व्यवस्थापन कराया गया, फिर अंतरण कराकर 31 लोगों को बेच दिया गया। हांलाकि मामले की शिकायत कलेक्टर से की गई है, लेकिन जांच पड़ताल कब और किस तरह हो पाती है, यह तो समय ही बताएगा।
यह हुई शिकायत।
कुदरी ग्राम निवासी श्रीमती विद्या तिवारी ने मामले की कलेक्टर से शिकायत कर उनका ध्यान आकृष्ट कराया है। जिसमें उन्होने लेख किया है कि सोहागपुर तहसील अंतर्गत स्थित पटवारी हल्का कुदरी स्थित भूमि खसरा नंबर 14 जुज रकबा 4. 78 एकड़ एवं खसरा नंबर 15 रकबा 4. 76 एकड़ कुल देा किता कुल रकबा 9.54 एकड़ आराजी मप्र शासन की आराजी थी। अधिकार अभिलेख एवं 1974 में उपरोक्त विवरण की आराजी में से खसरा नंबर 14/1 का नया नंबर 19 रकबा 4.78 एकड़ खसरा नंबर 15/1क , नया खसरा नंबर 20 रकबा 2. 46 एकड़ खसरा नंबर 15/1ग नया खसरा नंबर 145 रकबा 0. 80 एकड़ एवं खसरा नंबर 15/1ख नया खसरा नंबर 149 रकबा 1.50 एकड़ श्रीमती शांति देवी पति जगदीश प्रसाद के नाम बतौर भूमि स्वामी दर्ज है।
कूटरचना कर धोखाधड़ी।
यह सारा खेल सोहागपुर तहसील में पदस्थ राजस्व विभाग के एक कर्मचारी नरेन्द्र शुक्ला ने खेला है। शांति देवी पति जगदीश प्रसाद शुक्ला रीवा जिले की गोडहर ग्राम की निवासी थी और कथित राजस्व कर्मचारी की रिश्ते में चाची लगती थी। यह शहडोल में कभी नहीं रहीं। लेकिन इनके नाम से तहसील न्यायालय के समक्ष राजस्व प्रकरण 456/ अ-19/1961-62 प्रस्तुत कराया गया और कूट रचित तरीके से दिनांक 30 मई 1962 को आदेश पारित कराते हुए उपरोक्त आराजी का व्यवस्थापन श्रीमती शांति देवी के नाम करा दिया गया। शांति देवी न तो जिले की निवासी हैं और न ही आराजी के व्यवस्थापन की पात्र हैं। उसके बाद भी कूट रचित व धोखाधड़ी करके उपरोक्त आराजी को वर्ष 1981-82 में कथित राजस्व कर्मी के नाम कराया गया। ज्ञातव्य है कि व्यवस्थापन की आराजी बिना कलेक्टर की अनुमति के अंतरित नहीं की जा सकती है। इन कारणों से यह आवश्यक है कि कलेक्टर न्यायालय इस मामले को निगरानी में लेेकर विधि अनुसार आदेश पारित किया जाए।
शासकीय प्रावधानों की उड़ाई धज्जियां।
चूंकि शांति देवी का शहडोल में निवास नहीं था इसलिए वे जिले की जमीन में उनके लिए व्यवस्थापन का प्रश्न ही नहीं उठता। व्यवस्थापन की भूमि को किसी के नाम अंतरित नहीं किया जा सकता जबकि यह भूमि राजस्व कर्मी के नाम अंतरित की गई। इसके अलावा व्यवस्थापन की भूमि 5 एकड़ से अधिक नहीं होनी चाहिए, जबकि इसमें 9.54 एकड़ भूमि अंतरित की गई है। इस सारी प्रक्रिया में शासकीय प्रावधानों की धज्जियां उड़ाई गईं हैं। व्यवस्थापन की प्रक्रिया में जिन प्रावधानों का पालन होना चाहिए उनका पालन नहीं किया गया है। बताया गया कि कलेक्टर न्यायालय को यह अधिकार है कि अगर किसी शासकीय भूमि का गलत व्यवस्थापन हो गया है तो उसे स्वयं निगरानी में लेकर शासकीय भूमि मप्र शासन के पक्ष मेें दर्ज कराए।
दो दर्जन से अधिक लोगों को बेची जमीन।
नरेन्द्र शुक्ला अब इस जमीन की प्लाङ्क्षटग कर 31 लोगों को बेचकर करीब 20 करोड़ रुपए की कमाई की है। इस जमीन को जिन लोगों को बेचा गया है उनमें मधु शुक्ला, उमा देवी पाण्डेय, रविशंकर गौतम, सतीश तिवारी, लक्ष्मी सिंह, रामशंकर शुक्ला, दिनेश तिवारी, शांति देवी पति गिरजा तिवारी, सरला निगम, श्रीमती सावित्री निगम, पूनम अवस्थी, सीता गुप्ता आदि सहित 31 लोग शामिल हैं। सरेआम देखा जा सकता है कि शासकीय भूमि गैरकानूनी ढंग से व्यवस्थापन कराया गया और फिर उसे अंतरित कराया गया और इसके बाद जमीनों के दाम बढ़ जाने पर उसकी करोड़ों रुपए में विक्री की गई। इस मामले में कलेक्टर न्यायालय तत्काल कार्रवाई करे।