MP की डॉ मोहन यादव सरकार का कैसा रहा गर्भकाल- ? देखिए सफरनामा CM मध्यप्रदेश।

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MP की डॉ मोहन यादव सरकार का कैसा रहा गर्भकाल- ? देखिए सफरनामा CM मध्यप्रदेश।

चुनौती की कसौटी पर खड़ी,, सीएम डॉ मोहन के मुरली की तान।

विराट वसुंधरा
भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बीते 3 दिसंबर 2023 को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। मतलब आगामी 13 सितंबर को सरकार के कार्यकाल के 9 माह पूरे हो जाएंगे। ऐसे में कहा जा सकता है कि मध्य प्रदेश सरकार का गर्भकाल का समय पूरा हो गया है बात करें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के सफरनामा की तो बीते 9 महीनो में कितने कदम चली सरकार, कितने दावों-वादों को मिली धार, क्या अच्छा, क्या बुरा, क्या छूटा, क्या पाया, क्या कहा, कितना रह गया अनकहा इस खबर में हम पूरा एनालिसिस यानी सफरनामा और सरकार का लेखा जोखा बताने जा रहे हैं

डॉ मोहन यादव की सरकार का 9 महीना।

देखा जाए तो सीएम डॉ मोहन यादव के सामने अभी चुनौतियों का लगा है किसी भी गर्भ में पल रहे शिशु और उसकी गर्भस्थ माता के लिए गर्भकाल का 9 महीने का समय सबसे अहम होता है। गर्भकाल के इस समय में गर्भस्थ महिला और उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के बीच एक विशेष सामंजस्य, खास अनमोल रिश्ता बन जाता है जो फिर ताउम्र चलता है। गर्भकाल के दौरान गर्भस्थ महिला क्या खाती है, पीती है, कैसे रहती है, किन लोगों के बीच रहती है, क्या कहती है, क्या सुनती है, उसकी दिनचर्या कैसी है, कैसे जागती है, कैसे सोती है… इत्यादि सब कुछ उसके जन्म लेने वाले बच्चे के जीवन पर असर डालता है। ठीक उसी प्रकार किसी भी सरकार और उसके हाकीम के लिए शुरुआती एक वर्ष यानी गर्भकाल सा समय कुछ इसी प्रकार से होता हैं जब सरकार के लिए गए निर्णयों, कार्यशैली से प्रदेश की जनता जनार्दन अंदाजा लगा लेती है कि बचे हुए 4 वर्षो में सरकार प्रदेश के हितार्थ क्या कुछ करने का माद्दा रखती है। सरकार के मुखिया, सरकार और राज्य के लोगों के बीच एक आपसी रिश्ते की नीव डल जाती है जो अगले 4 वर्ष बनने वाली इमारत की मजबूती बयां कर देती है।

जितना बड़ा बहुमत उतनी ही बड़ी चुनौती।

बात शुरू होती है विधानसभा चुनाव 2023 से, चुनाव के नतीजे आए जहां भारतीय जनता पार्टी को 163 सीटों का बंपर जनादेश मिला। प्रदेश की जनता जनार्दन ने बहुमत की सरकार भाजपा की झोली में डाल दी भाजपा का मजबूत संगठन और उस समय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे शिवराज सिंह चौहान के राजनीतिक कौशल और लाडली बहन योजना के दम पर भाजपा ने उम्मीद से अधिक विधानसभा सीटों पर विजय मिली उस दौरान माना जा रहा था की सरकार के मुखिया इस बार भी शिवराज सिंह चौहान ही बनेंगे, पर असल में तो होना इस बार कुछ और ही था, तो बैठक में शिवराज सिंह चौहान आए और मजे की बात ये उन्होंने ही सीएम पद के लिए मोहन यादव के नाम का प्रस्ताव भी रखा। जिस पर सभी की यानी सर्व सम्मति रूपी मुहर लग गई और इस प्रकार से मध्य प्रदेश को नया मुखिया डॉक्टर मोहन यादव के रूप में मिला देखा जाए तो भाजपा को विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड तोड़ विजय हासिल हुई तो मध्य प्रदेश के मुखिया डॉक्टर मोहन यादव को काम करने और कसौटी पर खरा उतरने की चुनौती भी अधिक हो गई।

ऐसा रहा डॉ मोहन यादव कि सफरनामा।

मध्य प्रदेश के 19 वें मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव बन गए।
बता दें, मोहन यादव का जन्म 25 मार्च 1965 में हुआ। वो एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। ये वर्तमान में मध्य प्रदेश के दक्षिणी उज्जैन विधानसभा से विधायक हैं और मध्य प्रदेश के 19 वें मुख्यमंत्री के रूप में सेवारत हैं। वह 2013 से मध्य प्रदेश की विधानसभा के सदस्य के रूप में उज्जैन दक्षिण निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, उनका सरकारी आवास सीएम हाऊस यानी मुख्यमंत्री निवास भोपाल है। अगर डॉक्टर मोहन यादव के बतौर सीएम अब तक के कार्यकाल की बात करें तो डॉक्टर मोहन यादव को भली भांति पता है, उन्हे क्या कुछ करना है। वह एक सुनियोजित तरीके से अपने पथ पर अग्रसर है। अपने पिछले 9 माह के कार्यकाल में वे सफल भी रहे हैं,163 सीटों वाली भारी भरकम जनादेश रूपी सरकार के चलते वे दबाव रहित हैं साथ ही दिल्ली आला कमान का वर्दहस्त तो उन्हे प्राप्त ही है। कैबिनेट में राजनिति में उनसे वरिष्ठ कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, जगदीश देवड़ा, राजेंद्र शुक्ल जैसे धुरंधर मौजूद है जो उनका सहयोग कर रहे है, साथ दे रहे है, तो सरकार के निर्णय लेने में भी उन्हे कोई परेशानी नही है। फिलहाल कैबिनेट में सामंजस्य और समन्वय भी भरपूर है जिसकी बानगी डॉक्टर मोहन यादव ने खुद एक साक्षात्कार के दौरान यह कहकर कर दी, कि, मुझे वरिष्ठों के कुशल मार्गदर्शन से भरपूर सहयोग मिल रहा है। जिसका मतलब है कि सभी उनके साथ है और वो सभी को साथ में लेकर चल रहे हैं।

पुरानी योजनाएं और नई चुनौतियां।

डॉक्टर मोहन यादव की मुख्यमंत्री के रूप में ताजपोशी के इतर उनके नौमासी कार्यकाल की बात करते हैं, तो बता दें हर भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री की तरह उनकी भी प्राथमिकता है मोदी की गारंटी को पूरा करना, जनता को मोदी के कार्यों को बताते रहना। शाही अफसरशाही को नियंत्रित रखना। यानी दोनो काम साध रहे है, एक दिल्ली को अपनी हुकूमत का सार्थक संदेश देना तो दूसरा वल्लभ भवन पर पूर्णतः नियंत्रण रखना जनहित योजनाओं की बात करें तो वह कई बार सार्वजनिक मंचों से यह स्पष्ट कर चुके हैं कि कोई भी जनहित योजना चाहे वह शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में शुरू हुई हो या उसके पहले, कोई भी योजना बंद नहीं होगी मतलब साफ है कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा चलाई गई योजनाएं केंद्र सरकार की योजनाएं तो पूर्व से हैं ही नई चुनौतियों से निपटने भी डॉ मोहन यादव कमर कसकर बैठे हुए हैं।

सरकार पर कर्ज बना सिर दर्द।

मध्य प्रदेश राज्य पर सुरसा के मुंह की तरह बढ़ता हुआ कर्ज मोहन सरकार के कार्यकाल में भी बदस्तूर जारी है। जानकार कहते हैं कि मध्य प्रदेश सरकार का कर्ज़ मुख्यमंत्री के लिए सर दर्द से काम नहीं है जब से मोहन यादव मुख्यमंत्री बने हैं तब से अब तक उनके नेतृत्व वाली सरकार 5 बार कर्ज ले चुकी है। हाल ही में तो एक ही महीने में दो बार कर्ज ले चुके हैं। प्राप्त जानकारी अनुसार आने वाले समय में और भी कर्ज लिए जाने हैं। लगातार लिए जाने वाले इन कर्जो के विषय में सरकार का मीडिया से कहना है, कि, जनहित योजनाओं और प्रदेश को सुचारू रूप से जनता के हितार्थ चलाने के लिए कर्ज लेने की जरूरत होती है और कर्ज लेना कोई समस्या नहीं है। हम इसे तय शर्तों के अनुसार बीच-बीच में अदा भी करते रहते हैं। सब कुछ ठीक चल रहा है। हालांकि विपक्ष, लगातार इन लिए जाने वाले कर्जों को लेकर मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव पर लगातार निशाना साधता रहता है।

डॉ मोहन यादव के नेतृत्व में सफलता।

डॉ मोहन यादव के अब तक के मुख्यमंत्रित्व काल में सरकार कितना बेहतर कार्य कर रही है, इसका एक जीता जागता उदाहरण मध्य प्रदेश की जनता ने लोकसभा चुनाव 2024 में दिया। जब मध्य प्रदेश में 29 की 29 लोकसभा सीटें भारतीय जनता पार्टी की झोली में जनता जनार्दन ने डाल दी। निश्चित रूप से कहीं ना कहीं, इस अप्रतिम सफलता का श्रेय डॉक्टर मोहन यादव को बतौर राज्य सरकार मुखिया अवश्य ही जाता है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गारंटी वाले कार्यों को प्राथमिकता से पूरा करते हुए नजर आ रहे हैं। इसी कड़ी में उन्होंने मुख्यमंत्री बनते ही तेंदूपत्ता संग्राहकों का पारिश्रमिक एक हजार रुपया बढ़ाकर स्पष्ट संदेश दे दिया था, किसानों, युवाओं, महिलाओं और जनजातीय लोगो को लाभ पहुंचाने, स्वास्थ्य और आधारभूत संरचनाओं को और उन्नत बनाने वो काम कर रहे हैं।
इसके अलावा सीएम यह स्पष्ट संकेत दे चुके हैं की जनता के मानस को प्रभावित करने वाला हर मुद्दा उठाते रहेंगे।
साथ ही विपक्ष को परेशान करने वाला कोई भी मुद्दा या मौका छोड़ा नही जायेगा। जब भी जहां भी मौका मिलता है वह विपक्ष पर खासकर कांग्रेस पर जमकर प्रहार करते हैं। उनके तीखे तेवर का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि वो कांग्रेस को रावण का भेष बनाने वाली पार्टी तक कह चुके हैं।

गौ संरक्षण की भावना।

सीएम डॉ मोहन यादव का मुख्य ध्यान गौ माता और गौ वंशो के हितार्थ भी है। प्रदेश के हर जिलें में अधिक से अधिक गौशालाओं का निर्माण हो रहा है। गौ शाला में रहने वाली गौ माताओं के रोज के भूसा चारे के लिऐ सरकार द्वारा दिए जाने वाली दर में वृद्धि की है, साथ ही गौशाला में कार्य करने वाले श्रमिकों के पारिश्रमिक में भी वृद्धि कर दी है। वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों के मार्गदर्शन में अभियान चलाया जा रहा है कि सड़कों पर गोवंश विचरते ना मिले। उन्हें प्रमुख मार्गो से ले जाकर गौशालाओं में व्यवस्थित रूप से रखा जाए ताकि गौ वंश भी सुरक्षित रह सके साथ ही सड़क मार्ग भी दुर्घटना रहित हो सके।

चुनौती के बीच विश्वास की कसौटी।

डॉ मोहन सरकार ने शासकीय कर्मचारियों के हित में भी कई निर्णय लिए हैं। मानदेय बढ़ाया है इत्यादि, हालाकी इस क्षेत्र में अभी काफी काम करने को दरकार है, जैसे दैनिक वेतन भोगियों का नियमितीकरण संविदा कर्मचारियों को नियमित करना 20 वर्षों से शिक्षा विभाग में अतिथि शिक्षक और युवाओं को रोजगार देना सहित विभिन्न चुनौतियां हैं महंगाई और भ्रष्टाचार भी किसी चुनौती से कम नहीं है वैसे देखा जाए तो सीएम मोहन यादव ने कुछ ऐतिहासिक निर्णय भी लिए है जैसे कि अब तक मध्य प्रदेश में मंत्रियों का आयकर प्रदेश सरकार भर्ती थी परंतु अब मंत्रीगण अपने आयकर स्वयं भरेंगे। इसे एक बड़ा फैसला माना जा रहा है। खासकर आम जनता इस फैसले से बहुत खुश दिखाई दे रही है। जिसका मतलब है कि मोहन यादव बतौर मुख्यमंत्री आम जनता की नब्ज पकड़ने में सफल हुए है जो कि भारतीय राजनीति में सबसे जरूरी है देखा जाए तो सरकार के पास चुनौतियां बहुत हैं और उसे चुनौती की कसौटी पर खडा उतरने के लिए डॉक्टर मोहन यादव आगे बढ़ते जा रहे हैं, तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के कार्यकाल के कुछ फैसलों को भी पलटा है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सभी के काम करने का तरीका अलग होता है। कई बार मरीज के हित के लिए कड़वी दवाई भी देनी पड़ती है और वह किसी काम को टालते नहीं है।

काबिलेगौर बात।

मोहन यादव ने अध्ययन, पठन-पाठन, स्वाध्याय, अध्यात्म, योग के प्रति में कई बार अपनी गहरी रुचि सार्वजनिक मंचों से सांझा की हैं। तलवारबाजी और योग में वह प्रवीण है, जिसका प्रमाण उन्होंने कई बार दिया है, ऐसे करतब करते उनके ढेरों वीडियो सोशल मीडिया वायरल हो चुके हैं, मोहन यादव बतौर मुख्यमंत्री उस राज्य में सरकार चला रहे हैं, जहां पिछले 20 वर्षों से भारतीय जनता पार्टी की सरकार रही है। ऐसे में उनकी पार्टी और प्रदेश की जनता दोनो की ही, बतौर मुख्यमंत्री, उनसे अपेक्षा बहुत बढ़ जाती है। जिसका साफ मतलब है कि उन्हें अपने बचे हुए कार्यकाल में काफी अनूठे, महत्वपूर्ण,अनोखे, जनहित निर्णय लेने होंगे, क्योंकी जनता की अकांछा तो अब और भी परवान चढ़ेगी, साथ ही, विपक्ष को भी नित्य ही साधना पड़ेगा, कुल मिलाकर फिलहाल तो, बतौर मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव सफल रहे है, फिर चाहे वो जनता को बांधे रखना हो, जनसंवाद करना हो, जनकल्याणकारी निर्णय लेने हो बहरहाल देखने वाली बात तो अब यह होगी कि सीएम डॉक्टर मोहन यादव बचे हुए 4 वर्षों के कार्यकाल में किस प्रकार से कार्य करते हैं। आपके साथ-साथ हमारी नजर भी उनके इस कार्यकाल पर जरूर रहेगी, जिसके विषय में हम आपसे बीच-बीच में जरूर चर्चा करते रहेंगे।

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