MP news:पितरों को प्रसन्न करने 17 से होगा श्राद्ध व तर्पण।

MP news:पितरों को प्रसन्न करने 17 से होगा श्राद्ध व तर्पण।
सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है। इस दौरान लोग पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे कर्मकांड किए जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि पितृ पक्ष में हमारे पूर्वज पितृलोक से धरती पर आते हैं, इसलिए उनके निमित्त इन कर्मों का विशेष महत्व होता है। ज्योतिषाचार्य पंडित उमेश प्रसाद शास्त्री कमर्जी धकड़ी ने बताया कि इस वर्ष पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा तिथि से होगी, जो श्राद्ध की पूर्णिमा मानी जाएगी। समापन 2 को सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन होगा। पितरों को प्रसन्न करने के लिए ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और साथ ही उन्हें यथा संभव दान भी देना चाहिए। इन दिनों में पितरों के नाम पर किया गया दान पुण्य काफी हितकारी होता है, एक तरफ जहां उनको मुक्ति मिलती है जिनके यह किया जाता है दूसरी तरफ हमारे ऊपर अगर पितृ दोष चल रहा है तो वह भी कट जाता है। इसीलिए इन 15 दिनों में पितरों की शांति के लिए विषेश पूजा अर्चना एवं दान पुण्य के कार्य किए जाते हैं।
श्राद्ध की तिथियां
17 सितंबर मंगलवार पूर्णिमा को पितृपक्ष की शुरुआत होगी। 18 को प्रतिपदा तिथि है। इसी प्रकार 19 को द्वितीया तिथि, 20 को तृतीया तिथि, 21 को चतुर्थी तिथि, 22 को पंचमी तिथि, 23 को षष्ठी और सप्तमी और 24 को अष्टमी तिथि होगी। इसके अलावा 25 को नवमी तिथि, 26 को दशमी, 27 को एकादशी, 29 को द्वादशी, 30 को त्रयोदशी, एक अक्टूबर को चतुर्दशी व दो को सर्व पितृ अमावस्या पड़ेगी।
पितृपक्ष में सूर्य और चंद्र ग्रहण भी
हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह में पितृ पक्ष की शुरुआत होती है। इस वर्ष 17 सितंबर से शुरुआत हो रही है और 18 सितंबर को पितृपक्ष का पहला श्राद्ध है। 2 अक्टूबर को पितृपक्ष का समापन होगा। वहीं पितृ पक्ष के 15 दिन के दौरान 2 ग्रहण भी लग रहा है। जिसमें एक सूर्य ग्रहण तो दूसरा चंद्र ग्रहण पड़ेगा।