Maihar news विलुप्त होती धरोहरों के बीच दावे विकास के :- रमापति गौतम।

Maihar news विलुप्त होती धरोहरों के बीच दावे विकास के :- रमापति गौतम।
मैहर।शहर के वरिष्ठ समाजसेवी जिन्होंने समाज को उन्नति के पथ में ले जाने के लिए अपने जीवनकाल का महत्वपूर्ण समय समाज के लिए आहूत कर दिया। श्री गौतम ने खबर के माध्यम से विधायक मैहर श्रीकांत चतुर्वेदी व कलेक्टर मैहर का ध्यान आकर्षण कराते हुए कहा कि आज हमारे शहर की धरोहरें विलुप्तता की कगार पर पहुचने वाली है। कभी हरनामपुर स्थित रामबाग, गोपाल बाग, शिव मंदिर व जगदीश मंदिर सहित हरनामपुर तालाब हमारी धरोहरों के रूप में विख्यात थी। बुद्धजीवीओ की माने तो यह एक ऐसा स्थान था जहां श्री गुरुनानक देव जी रुके थे इस तालाब में स्नान किया था इसके बाद अग्रिम यात्रा में प्रस्थान किया था। आज ऐसी बहुमूल्य धरोहरें हमारी अनदेखी उपेक्षाओं के कारण संरक्षण संवर्धन न होने के कारण अपने अस्तित्व की लड़ाई से जूझ रही है। शहर के एक ऐसा रमणीय स्थान जहाँ लोग स्वस्थ्य चित्त से प्रभु की आराधना कर सकते है आज अतिक्रमण कारियो नशेड़ियों का अड्डा बन चुका है। यूं तो शहर का ऐसा कोई तालाब नही बचा जो अतिक्रमणकारियों की चपेट में न हो साथ ही गंदगी से लबरेज न हो लेकिन हरनामपुर तालाब रामबाग गोपाल बाग श्री जगन्नाथ मंदिर हमारी विशिष्ट धरोहरों में सुमार है इसके अस्तित्व को बचाया जाना इन्हें सुरक्षित संवर्धित किये जाने की पूर्ण जिम्मेवारी हमारे जनप्रतिनिधि और जिला कलेक्टर की होती है। इसी जगह पर भगवान भोलेनाथ का ऐसा अद्वतीय मंदिर है जिसकी कलाकृति देखने लायक है ऐसी चीजें अब न बनती है और न ही संभव है। रखरखाव के आभाव में इस मंदिर की बाहरी दीवार में बड़े बड़े बृक्ष उगकर इसे नष्ट किये दे रहे है लेकिन इस ओर किसी का ध्यान न जाना शहर के लिए दुर्भाग्य का विषय है। इसके बहुत सारे रखवे में अतिक्रमण को गया अगर स्थानीय प्रशासन सन 1950 के रिकार्ड का अवलोकन करले तो अतिक्रमणकारियों की पोल खुल जाएगी। इसे अगर निष्ठा के साथ सुंदर और सुसज्जित करने का कार्य इसके रकबे को संरक्षित कर किया जाय तो यह आज भी शहर का दर्शनीय स्थल बन सकता है। श्री गौतम ने कहा जरूरत है मजबूत इच्छा शक्ति के साथ कार्य किये जाने की नही तो हमारी आने वाली पीढियां एक दिन जरूर कहेगी कि एक था रामबाग एक था गोपाल बाग। मैहर के माननीय विधायक श्रीकांत चतुर्वेदी व कलेक्टर रानी बाटड से आग्रह है कि इस क्षेत्र के विकास की रूपरेखा तय कर इसका समुचित विकास किया जाय सही मायने में यह धार्मिक नगरी है तभी मानी जायेगी कही जाएगी जब हम ऐसी धरोहरों को बचाने उन्हें संरक्षित संवर्धित करने का कार्य करेंगे तभी हम सीना ठोक के कह पाएंगे कि मेरा मैहर बदल गया।