Sidhi news:शिव की कृपा से धन्य हुआ चपरासी दोनों ने शासन को लगाया डेढ़ लाख का चूना!
सीधी। भारत सरकार ने ग्रामीण मजदूरों को गांव में ही काम दिलाने की नीयत से मनरेगा योजना लागू की लेकिन यह योजना रोजगार सहायकों के लिए दुधारू गाय बन गई जिन्होंने इस योजना में फर्जी नाम दर्शाकर भी शासन को करोड़ों रुपए का चूना लगा दिया।
आदिवासी बाहुल्य विकासखंड क्षेत्र कुसमी का ग्राम पंचायत करैल जहां के रोजगार सहायक सह प्रभारी सचिव शिव प्रसाद यादव ने पंचायत में पदस्थ चपरासी रमाशंकर पानिका पिता शिव प्रसाद निवासी ग्राम चंदरसा पर ऐसी कृपा बरसायी कि एक लोक सेवक को मनरेगा योजना का मजदूर बना डाला और शासन को लगभग डेढ़ लाख रुपए का चूना लगाया। उल्लेखनीय है कि रमाशंकर पनिका ग्राम पंचायत करैल में चपरासी के पद पर पदस्थ हैं जिन्हें शासन द्वारा निर्धारित दर पर प्रति माह का भुगतान किया जा रहा है। रोजगार सहायक शिव प्रसाद यादव ने वर्ष 2017 में रामाशंकर के नाम पर जॉब कार्ड क्रमांक एमपी-15-007-037-009/22- बी बनाया और फिर शुरू हुआ घोटाले का खेल। 23 दिसंबर 2017 से मनरेगा योजना में रमाशंकर को मजदूरी करना बताए जाने लगा और फर्जी जॉब कार्ड भरकर मास्टर रोल का संधारण किया गया तथा वर्ष 2017 में तो केवल 8 दिन लेकिन वर्ष 2018 में 182 दिन , वर्ष 2019 में 77 दिन, वर्ष 2020 में 56 दिन, वर्ष 2021 में 77 दिन, वर्ष 2022 में 140 दिन, वर्ष 2023 में 102 दिन और वर्ष 2024 के 6 जनवरी से लेकर 30 सितंबर तक 146 दिन काम करने की मजदूरी का भुगतान किया गया है।
इस तरह पिछले 7 वर्षों में रमाशंकर को कुल 788 दिन जॉब कार्ड भरकर लगभग 1 लाख 57 हजार रुपए का भुगतान किया जा चुका है। इस भुगतान के बदले में रामशंकर ने शिव प्रसाद को चढ़ावे के रूप में क्या चढ़ाया है और कितना चढ़ाया है यह तो वे दोनों ही जाने मगर फर्जी मास्टर रोल और जॉब कार्ड भरकर शासन को लगभग 1 लाख 57 हजार रुपए का चूना लगाया गया है। इस संबंध में जानने के लिए रमाशंकर से उनके मोबाइल नंबर 911124398 पर संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि वे ग्राम पंचायत करैल में चपरासी के पद पर पदस्थ हैं और शासकीय अवकाश के दिनों को छोड़कर बाकी दिनों में वे सुबह 10:30 बजे से शाम 4:30 बजे तक पंचायत कार्यालय में उपस्थित रहते हैं। मनरेगा में मजदूरी किए जाने के सवाल को लेकर वह थोड़ा असहज हो गए, लेकिन फिर अपने आप को संभालते हुए कहते हैं की छुट्टी के दिनों में वह मनरेगा में मजदूरी कर लेते हैं लेकिन जब उनसे यह सवाल किया जाता है कि छुट्टी के दिनों के अलावा भी मनरेगा में मजदूरी करते हैं तो उनकी बोलती बंद हो जाती है और वह फोन काट देने में ही अपनी भलाई समझते हैं इसके बाद उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया और अपने आका को यह जानकारी देने में मशगूल हो गए कि हमारे खेल का पर्दाफाश हो चुका है और हम दोनों ने मिलकर अब तक जो लूटा है, उसकी पोल खुल चुकी है। मनरेगा के नियमों के मुताबिक किसी भी श्रमिक को एक वित्तीय वर्ष में केवल 100 दिन रोजगार दिए जाने का प्रावधान है लेकिन अगर किसी पर शिव की कृपा हो तो फिर चाहे शासन हो या प्रशासन कलेक्टर हो या जिला पंचायत सीईओ उनके आगे किसी के कोई नियम कायदे कानून नही चलते सब कुछ वही है।
फर्जी जाब कार्ड संधारण और भुगतान के इस तरह के और भी नमूने हैं , जिसमें सबसे रोचक पहलू तो यह है कि शिव प्रसाद ने अपने ट्रैक्टर को भी मजदूर बनाकर उसका भी जॉब कार्ड बना डाला है।