MP news:क्या हनुमान भक्त कमलनाथ कांग्रेस के लिए बनेंगे संकटमोचक ?
ब्यूरो रिपोर्टOctober 26, 2024Last Updated: October 26, 2024
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MP news:क्या हनुमान भक्त कमलनाथ कांग्रेस के लिए बनेंगे संकटमोचक ?
कमलनाथ की सक्रियता से मध्यप्रदेश कांग्रेस में आई स्फूर्ति
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ से पार्टी आलाकमान राहुल गांधी की मुलाकात के क्या हैं मायने?
देश के उद्योगपति मानते हैं कमलनाथ को अपना मेंटर
क्या कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता के बीच सेतु का काम करेंगे कमलनाथ?
क्या पार्टी हाईकमान कमलनाथ को देंगे केन्द्र में बड़ी जिम्मेदारी?
अपने पांच दशकों का राजनीतिक अनुभव और दक्षता के कारण कमलनाथ अभी भी कांग्रेस पार्टी की ताकत बने हुए हैं। छिन्दवाड़ा को अपना परिवार मानने वाले कमलनाथ ने यहां राजनीति नहीं की अपितु एक पारिवारिक संबंध के जैसे हर रिश्ता निभाया। चाहे खेती, रोजगार, विकास, दिल्ली में छिंदवाड़ावासियों का उच्च श्रेणी का इलाज हर प्रकार की सेवा इस बेटे ने अपने क्षेत्र के लिए की है। आज लोकसभा चुनाव के 05 महीने बाद ही छिंदवाड़ा को अपने बेटे की याद आने लगी है। कमलनाथ हमेशा कहते हैं कि छिंदवाड़ा से उनका राजनीतिक नहीं पारिवारिक रिश्ता है और उसी फ़र्ज़ के नाते वो यह रिश्ता निभा रहे हैं। बल्कि उन्होंने अपनी दूसरी पीढ़ी यानी कि अपने बेटे नकुलनाथ को भी छिंदवाड़ा की सेवा के प्रति समर्पित कर दिया है। लोकसभा चुनाव के चार महीने बाद ही अब सच सामने आने लगा है, जो बड़ी-बड़ी झूठी बातें करके, जयचंदों को प्रलोभन देकर जो सीटें जीती जनता के सामने वह सब झूठी बातें सामने आ रही हैं।
कमलनाथ को सक्रिय राजनीति से दूर रखने से आठ महीने में ही प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को पहुंची बड़ी क्षति, नेता और कार्यकर्ताओं में मनभेद और मतभेद दोनों बढ़ा
अब कमलनाथ दूर करेंगे कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच उपजे मनभेद को
मध्यप्रदेश कांग्रेस के नेताओं के मन में लगातार फैल रहा असंतोष और आपसी मतभेद की सुगबुगाहट पार्टी आलाकमान तक पहुंच गई है। पार्टी मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मिली विधानसभा चुनाव की हार से अभी तक संभली भी नहीं थी कि पार्टी नेताओं के बीच के आपसी मतभेद, ईगो प्रॉब्लम, आये दिन हो रहे झगड़ों की शिकायत लगातार उच्च स्तरीय नेताओं तक पहुंच रही थी। क्या यही कारण है कि पार्टी आलाकमान राहुल गांधी ने स्वयं इन सभी मतभेदों पर विराम लगाने का निर्णय लिया और एक के बाद एक तीनों ही राज्यों के वरिष्ठ नेताओं से बैठक कर पार्टी को नई दिशा देने के लिये कार्य आरंभ करने का विचार किया। इसी क्रम में पिछले दिनों राहुल गांधी पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के दिल्ली स्थित निवास पर मिलने पहुंचे और दोनों के बीच में लगातार दो घंटे तक कई प्रमुख विषयों पर चर्चा हुई। बंद कमरे में राहुल गांधी और कमलनाथ की बैठक से एक तरफ जहां सियासी गलियारा फिर से सक्रिय हो गया है वहीं दूसरी ओर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी तथा उनके समर्थकों में कुछ नाराजगी का माहौल देखने को मिल रहा है। कमलनाथ और राहुल गांधी की यह 42 दिन के भीतर दूसरी मुलाकात है। इससे पहले 03 सितंबर को कमलनाथ ने राहुल गांधी के आवास पर मुलाकात की थी। राजनैतिक विश्लेषकों ने राहुल गांधी से कमलनाथ की इस मुलाकात को सामान्य बताया तो वहीं कुछ विश्लेषकों ने इसे “टाइगर इज़ कमिंग बैक” बताया है। हालांकि अगर कमलनाथ के कार्यों और उनकी कार्यशैली पर नजर डाली जाये तो इसमें कोई दो राय नहीं कि कमलनाथ एक सशक्त लीडरशिप और विज़नरी नेता हैं। उन्होंने अपने प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के कार्यकाल में न सिर्फ पार्टी को गति देने का कार्य किया बल्कि पार्टी नेताओं को आपसी सामंजस्य के साथ आगे बढ़ने और प्रदेश को विकास के पथ पर आगे ले जाने के लिये प्रेरित किया। लेकिन धोखेबाज ज्योतिरादित्य सिंधिया के स्वार्थवश लिये गये एक गलत फैसले ने कमलनाथ को उनके विज़न अनुसार कार्य करने से रोक दिया।
विज़न के साथ कार्य करते हैं कमलनाथ
पार्टी आलाकमान इस बात से अच्छी तरह से परिचित है कि कमलनाथ एक विजन के साथ पार्टी का संचालन करने में सक्षम हैं। बीच में कुछ अपने ही नेताओं के बरगलाये जाने पर पार्टी ने कमलनाथ को सक्रिय रूप से थोड़ा दूर कर दिया था लेकिन इस बीच में पार्टी और नेताओं को विधानसभा और लोकसभा चुनाव में जो क्षति हुई है उससे पार्टी ने अपनी गलती को सुधारने पर विचार किया और क्या एक बार फिर कमलनाथ को प्रमुख जिम्मेदारी देने का निर्णय लिया है। अब देखने वाली बात यह है कि अगर पार्टी मध्यप्रदेश में कमलनाथ को कोई प्रमुख जिम्मेदारी देती है तो फिर बाकी अभी प्रमुख पदों पर आसीन नेताओं को क्या जिम्मेदारी दी जाएगी।
2018 में प्रदेश की राजनीति में हुए थे शिफ्ट
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने वर्ष 2018 में राष्ट्रीय राजनीति से मध्य प्रदेश की ओर रुख किया था। उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था और उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सत्ता हासिल की थी। कांग्रेस सत्ता में महज 15 माह रही, आपसी खींचतान के चलते सत्ता हाथ से खिसक गई और भाजपा की फिर सत्ता में वापसी हो गई। उसके बाद से कमलनाथ का दायरा लगातार सिमटता गया और वर्तमान में उनकी ज्यादा सक्रियता छिंदवाड़ा तक सीमित है। सियासी हलकों में हलचल पैदा कर दी है। साथ ही यह कयास लगाए जाने लगे हैं कि कमलनाथ की राष्ट्रीय राजनीति में एक बार फिर सक्रियता बढ़ेगी और आगामी चुनाव में वह बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।
जीतू पटवारी खेमे में निराशा
राहुल गांधी और कमलनाथ की लंच मीटिंग से मध्यप्रदेश कांग्रेस का जीतू पटवारी खेमा नाराज बताया जा रहा है। जीतू पटवारी के पीसीसी चीफ बनने से पहले ही दोनों नेताओं की अनबन थी। सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि मध्यप्रदेश कांग्रेस के संगठन में नियुक्तियां होनी थी। जो कि अब होल्ड पर रखी जा सकती है। इसमें कमलनाथ का दखल देखने को मिल सकता है। उधर विश्लेषक कह रहे हैं कि कमलनाथ किसी दूसरे राज्य की बांगडोर अपने हाथों में नहीं थामेंगे बल्कि वह मध्यप्रदेश में एक्टिव हो सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार अभी की हालिया मुलाकात ने पूरे समीकरण को ही बदलकर रख दिया है।
उपवास कार्यक्रम में पहुंचकर कार्यकर्ताओं को दिया प्रोत्साहन
राहुल गांधी से मुलाकात के कुछ घंटे बाद ही कमलनाथ राजधानी भोपाल के रोशनपुरा चौराहा पर आयोजित उपवास कार्यक्रम में पहुंचे। यहां उन्होंने कांग्रेस कार्यकताओं को प्रोत्साहित किया और पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं से एकजुट होकर कार्य करने की अपील की। कमलनाथ का यह कदम निश्चित तौर पर प्रदेश में उनके बढ़ते कद और कदम की ओर इशारा करता है। इस धरना प्रदर्शन में उनके साथ पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी मौजूद रहे और दोनों नेताओं ने धरना प्रदर्शन को मजबूती दी। इस दौरान कमलनाथ ने अपने चिर परिचित अंदाज में महिलाओं और बेटियों पर हो रहे अत्याचार पर मोहन सरकार पर जमकर हमला बोला। कमलनाथ ने कहा कि मध्यप्रदेश लड़कियों और महिलाओं के लिए असुरक्षित हो गया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार बलात्कार के मामलों में मध्यप्रदेश तीसरे स्थान पर है। कमलनाथ ने कहा, ‘‘भाजपा सरकार की असंवेदनशीलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष का पद पिछले चार साल से खाली पड़ा है। लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा किसी भी सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। कमलनाथ की राजनैतिक सूझबूझ और समझ की तारीफ़ विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भी करते हैं।
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ब्यूरो रिपोर्टOctober 26, 2024Last Updated: October 26, 2024