Rewa news, विन्ध्य का विलय और नवीन मध्यप्रदेश राज्य की स्थापना” पश्चात भी “उपेक्षित विन्ध्य”
ब्यूरो रिपोर्टNovember 1, 2024Last Updated: November 1, 2024
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Rewa news, विन्ध्य का विलय और नवीन मध्यप्रदेश राज्य की स्थापना” पश्चात भी “उपेक्षित विन्ध्य”
विंध्य प्रदेश का निर्माण 15 अगस्त 1947 को भारत के स्वतंत्र होने के बाद देश में रियासतों का विलय और पुनर्गठन किया गया, 1948 में रीवा और विंध्य क्षेत्र की विभिन्न रियासतों (जैसे रीवा,सतना, सीधी,शहडोल) को मिलाकर एक नए राज्य “विंध्य प्रदेश” का गठन हुआ ! इसका उद्देश्य था इन रियासतों को एक राजनीतिक इकाई में बदलना,इस प्रदेश की राजधानी रीवा बनाई गई !
मध्य प्रदेश का गठन और विंध्य प्रदेश का विलय –
1956 में भारत सरकार ने राज्य पुनर्गठन आयोग की सिफारिशों के अनुसार राज्यों का पुनर्गठन किया !आयोग ने भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन करने की सलाह दी और इसी के आधार पर विभिन्न राज्यों का विलय किया गया ! 1 नवंबर 1956 को “विंध्य प्रदेश” का मध्य प्रदेश में विलय कर दिया गया ! इस प्रक्रिया में विंध्य प्रदेश के अतिरिक्त भोपाल, महाकौशल और मध्य भारत के क्षेत्रों को एकीकृत कर “मध्य प्रदेश” का गठन हुआ !
विंध्य प्रदेश के विलय के बाद मध्य प्रदेश एक बड़ा राज्य बना,जिसमें व्यापक सांस्कृतिक, भाषाई और क्षेत्रीय विविधता थी ! विंध्य क्षेत्र की रीति-रिवाज और संस्कृति मध्य प्रदेश की विरासत का हिस्सा बन गए ! विलय के बाद विन्ध्य की उपेक्षा होती रही और हक मारा जाता रहा, जिस कारण विंध्य को पुनः एक अलग राज्य बनाने की मांग एक लंबे समय से चली आ रही जो अब राजनीतिक और सामाजिक मांग हो गई है, जिसमें विशेष रूप से इस क्षेत्र के विकास,पहचान और संसाधनों के उचित वितरण की बात प्रमुखता से कही जाती है ! विंध्य क्षेत्र मुख्य रूप से रीवा, सतना,सीधी ,शहडोल उमरिया, अनूपपुर, मैहर, मऊगंज, पन्ना और सिंगरौली तथा कटनी का कुछ भाग, खजुराहो और दतिया तक अस्तित्व में था, हमारा/ विंध्यवासियों का मानना है कि इस क्षेत्र का विकास अन्य भागों की अपेक्षा धीमा रहा है और यह मांग इसलिए उठती है कि क्षेत्र को विशेष रूप से ध्यान देकर अधिक संसाधन मिल सकें।
विंध्य के पुनर्गठन के पक्ष में तथ्य –
विंध्य में कोयला,बॉक्साइट,हीरा और चूना पत्थर की प्रचुर उपलब्धता है !यहाँ कई बड़े उद्योग,खनन परियोजनाएँ चल रही हैं,बिजली संयंत्र हाइडल,थर्मल और सौर के स्थापित है ! नदियों,पहाड़ों,प्रपातों, धार्मिक स्थलों का यह क्षेत्र संगम है ! इनसे मिलने वाला राजस्व क्षेत्र के विकास पर सही तरीके से खर्च नहीं हो पाता ! एक अलग राज्य होने से संसाधनों का सही उपयोग और क्षेत्रीय विकास हो सकता है !
विंध्य क्षेत्र का अपनी सांस्कृतिक धरोहर,परंपराओं और भाषा में विशिष्ट है ! एक अलग राज्य का दर्जा मिलने पर यहाँ की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित और प्रोत्साहित किया जा सकता है ! यह क्षेत्र बघेली भाषा और रीति-रिवाजों के लिए जाना जाता है, जिन्हें अलग राज्य के रूप में मान्यता मिलने पर और मजबूती मिल सकती है !
विंध्य क्षेत्र में प्रशासनिक ध्यान का अभाव महसूस होता है, खासकर शिक्षा,स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं के क्षेत्र में ! एक अलग राज्य बनने से स्थानीय प्रशासन द्वारा इन सुविधाओं का विस्तार और सुधार करना आसान हो सकता है !
हम सब का मानना है कि मध्य प्रदेश के अन्य बड़े और अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों की तुलना में उन्हें राजनीतिक प्रतिनिधित्व और निर्णयों में उचित हिस्सा नहीं मिलता !एक अलग राज्य होने से यहाँ की जनसंख्या को अपनी बात रखने का और अधिक अवसर मिल सकता है !
पृथक विन्ध्य की मांग को लेकर कई सामाजिक और राजनीतिक संगठन सक्रिय हैं और समय-समय पर आंदोलनों और रैलियों के माध्यम से अपनी आवाज उठाते हैं ! इस मुद्दे पर अभी तक केंद्र सरकार की ओर से कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन यह एक संवेदनशील और विचारणीय मुद्दा बना हुआ है !
मौजूदा वक्त में जब सरकार और राजनैतिक दलों की उपेक्षा से यह क्षेत्र आहत है और क्षेत्रवासियों को मिलने बाला हक छीना जा रहा है,और सम्मान पर लगातार प्रहार हो रहा है तब विन्ध्य के विलय और मध्यप्रदेश के स्थापना दिवस के मौके पर ‘विन्ध्य के स्वतंत्रता” की लड़ाई का शंखनाद करना होगा ! इतिहास साक्षी है जब जब पृथक राज्यो की मांग उठी है और आंदोलन का आगाज हुआ है तब पृथक राज्य अस्तित्व में आये है और सर्वांगीण विकास की नई इबारत लिखी है !
“पृथक विन्ध्य का नारा है,भावी भविष्य हमारा है”
लेखक – चिंतक विचारक एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता, गिरिजेश कुमार पाण्डेय, रीवा मध्यप्रदेश।
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ब्यूरो रिपोर्टNovember 1, 2024Last Updated: November 1, 2024