MP police, अब चारित्रिक पतन की ओर कानून के रखवाले भी बड़ा सवाल किस दिशा में जा रहा समाज,,?
अब चारित्रिक पतन की ओर कानून के रखवाले भी बड़ा सवाल किस दिशा में जा रहा समाज,,?
इस समय महिला उत्पीड़न और दुष्कर्म के मामलों की बाढ़ आ चुकी है महिलाओं के साथ ऐसी जघन्य घटनाएं अब आम बात हो चुकी है बेखौफ अपराधियों द्वारा महिलाओं पर किए जाने वाले अत्याचार को लेकर सरकार ने कड़ी से कड़ी सजा देने का कानून भी बनाया है लेकिन कुछ ऐसे भी मामले सामने आते हैं जहां बदले की भावना से महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और दुष्कर्म की शिकायतें पुलिस के पास आती है और पुलिस ऐसी स्थिति में कई बार मुकदमा भी दर्ज कर लेती है इस तरह के आरोपों से आम जनता ही नहीं राजनेता, वकील,पत्रकार और अब कानून के रखवाले भी नहीं बच पा रहे हैं, महिलाओं के साथ दुष्कर्म होना जघन्य अपराध है लेकिन किसी महिला द्वारा जब बदले की भावना से झूठा आरोप लगाकर किसी निर्दोष व्यक्ति की चारित्रिक रूप से हत्या की जाती है तब उस व्यक्ति पर क्या गुजरती होगी यह तो वही जानता है जो भुक्तभोगी होता है चारित्रिक लांछन जैसे झूठे आरोपों में संबंधित व्यक्ति की छवि तब और खराब हो जाती है जब रही सही कसर मीडिया ट्रायल में खबर आ जाती है इस आरोप की बुनियाद उस घटना से जुड़ी है जहां दो वर्ष पूर्व ग्राम टिकुरी की एक निजी पट्टे की आराजी में सरपंच की अगुवाई में सैकड़ो लोगों ने धाबा बोलकर सड़क बना लिया था दोनों पक्षों से उस दौरान विवाद भी हुआ लाठियां भांजी गई थी जिसमें कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे पुलिस ने उस घटना पर दर्जनों लोगों के विरुद्ध गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज कर विवेचना में लिया था 6 माह पहले गढ़ पुलिस ने आरोपियों की धर पकड़ करने के लिए दबिश दी थी जहां आरोपियों ने पुलिस पर हमला कर दिया था जिसके बाद पुलिस अधीक्षक रीवा द्वारा अन्य थाना की पुलिस को गढ़ थाना प्रभारी के नेतृत्व में ग्राम टिकुरी भेजा गया जहां से आधा दर्जन आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
इससे पहले भी पुलिस पर लग चुके हैं आरोप।
बीते दिन रीवा पुलिस अधीक्षक कार्यालय रीवा पहुंची एक महिला ने थाना प्रभारी पर दुष्कर्म का आरोप लगाया है इस घटना को लेकर जो तथ्य सामने आ रहे हैं उसके मुताबिक कथित दुष्कर्म की घटना गांव में होना बताया गया है लेकिन इस घटना के बारे में गांव वालों को उसकी जानकारी नहीं है अब कई महीने बीत जाने के बाद घर वालों को मालूम पड़ा की उनके साथ पुलिस के अधिकारी ने गलत काम किया है और शिकायत लेकर पहुंच गए पुलिस अधीक्षक कार्यालय जबकि नाम न जाहिर करने की शर्त पर स्थानीय लोगों ने बताया कि थाना प्रभारी ने इनके खिलाफ कार्यवाही की थी जिसका बदला लेने के लिए इस तरह से आरोप लगाया जा रहा है हालाकि पुलिस अधिकारी पर ऐसा आरोप पहला नहीं है 3 वर्ष पहले मनगवां में पदस्थ रहे एक थाना प्रभारी पर ऐसा ही आरोप लग चुका था जो न सिर्फ झूठा साबित हुआ बल्कि यह भी सामने आया कि पुलिसिया कार्यवाही से नाराज नशे के सौदागरों द्वारा बदले की भावना से आरोप लगाया था यहां पर भी बीते वर्ष में हुई पुलिसिया कार्रवाई से इन आरोपों को जोड़कर देखा जा रहा है क्योंकि आरोप लगाने वाली महिला एक संपन्न राजनीतिक घराने से है।
लगे आरोपों पर उठ रहे सवाल।
आरोप लगाने वाली महिला का ताल्लुक उस परिवार से है जिसने सैकड़ों लोगों के साथ धाबा बोलकर जमीन हड़पने के साथ ही गांव वालों पर धारदार हथियार से हमला किया था जब उन्हें पुलिस पकड़ने गई तब उन्होंने पुलिस पर भी जानलेवा हमला किया था हालांकि पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने में सफलता हासिल कर ली थी और लगभग आधा दर्जन से अधिक आरोपी जेल भेजे गए थे अब जमानत पर बाहर आए हैं तब थाना प्रभारी पर दुष्कर्म जैसे गंभीर आरोप लगे हैं इस मामले में रीवा पुलिस अधीक्षक ने जांच बैठाई है पुलिस की जांच रिपोर्ट आने से पहले कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी लेकिन सवाल तो यह उठता है कि जब ऐसी घटना घटित हुई थी तब पीड़िता ने कहां से और किस चिकित्सक से उपचार कराया था स्कूली छात्रा है ऐसे में पीड़िता स्कूल भी नहीं गई होगी पीड़िता के घर के आसपास घनी बस्ती है सैकड़ो लोग गांव में रहते हैं घटना के बाद गांव वाले और रिस्तेदारों ने शिकायत क्यों नहीं की जबकि पीड़िता संपन्न राजनीतिक घराने से है हालांकि महिला द्वारा लगाए गए दुष्कर्म के आरोपों के बाद पुलिस अधीक्षक रीवा ने जांच शुरू करवा दी है जांच रिपोर्ट आने तक क्या सही है और क्या ग़लत है नतीजे तक नहीं पहुंचा जा सकता।
थाना प्रभारी की ऐसी रही कार्यशैली।
एक होनहार पुलिस अफसर जिसने गढ़ थाना क्षेत्र में अवैध नशे के विरुद्ध खासकर मेडिकल नशा पर ताबड़तोड़ कार्यवाही की है अफीम और गांजा की खेती पर भी कार्रवाई की है यहां तक कि अपनी जान जोखिम में डालकर हाइवे सड़क पर नशे की बड़ी खेप पकड़ने आधा दर्जन कार सवार नशा माफियाओं पर अपनी जान जोखिम में डालकर अकेले टूट पड़ना थाना प्रभारी की कार्यशैली रही है आरोप लगाने वाली महिला के वारंटी परिजनों को जब थाना प्रभारी पकड़ने गए थे तब भी पुलिस बल पर हमला हुआ था लेकिन थाना प्रभारी ने हिम्मत नहीं हारी और सैकड़ो लोगों के बीच से लगभग आधा दर्जन आरोपियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया था गढ़ थाना क्षेत्र के स्थानीय लोगों का कहना है कि अपराधियों और नशा माफियाओं के लिए थाना प्रभारी गलत हो सकते हैं लेकिन गढ़ थाना क्षेत्र की हजारों जनता के लिए बढ़िया अफसर रहे हैं गांव वाले आज भी उनकी कानून व्यवस्था की सराहना करते नहीं थकते ऐसे में कहा जा सकता है कि अब ऐसे शर्मनाक आरोपों से निर्दोष लोगों को भगवान ही बचाए।
ऐसे आरोपों के प्रचार- प्रसार पर लगनी चाहिए रोक।
अक्सर देखा जाता है कि महिलाओं के साथ होने वाले दुष्कर्म के मामलों में शिकायतें थाना पहुंचते ही मीडिया ट्रायल शुरू हो जाता है कई ऐसे भी मामले होते हैं जहां बदले की नीयति से असरदार लोगों द्वारा ऐसी शिकायतें करवाई जाती है और उसके प्रचार प्रसार के लिए मीडिया का सहारा लिया जाता है झूठे मामलों में दबाव बनाकर पुलिस की मिली भगत से भी कूट रचित एफआईआर दर्ज कर ली जाती है और यह भी देखा जाता है कि आजकल सोशल मीडिया और यूट्यूब का काफी प्रचलन है कभी कभार ऐसा भी होता है कि बार-बार शिकायतें आने और मीडिया में घटना का किए जाने वाले ट्रायल से पुलिस पर दबाव बनता है और पुलिस मामला दर्ज कर देती है इसके बाद संबंधित निर्दोष व्यक्ति भी वर्षों तक अदालत के चक्कर काटता है और अपनी सफाई देते फिरता है अदालत से निर्दोष होने के बाद भी दुष्कर्म जैसे आरोप से हुए चारित्रिक पतन और हनन जीवन पर्यंत उसका पीछा नहीं छोड़ती ऐसे मामलों में जरूरत इस बात की है कि जब तक न्यायालय का फैसला ना आए तब तक दुष्कर्म की खबरें मीडिया से दूर रखी जाएं।
झूठी शिकायतों पर भी होना चाहिए कठोर दंड का प्रावधान।
इस समय महिलाओं द्वारा पुरुषों पर दुष्कर्म का आरोप लगा देना इतना सहज हो गया है कि हर कोई अपने विरोधी पर महिला को आगे करके बदला लेने की नीयत से भी शिकायत करवाता है ऐसी शिकायतों के पीछे कोई ना कोई राजनेता अधिवक्ता पत्रकार या फिर पुलिस वाला भी हो सकता है जिसे कानून और दंड का पूरा ज्ञान होता है अक्सर अशिक्षित लोगों को प्रलोभन देकर या फिर उकसाकर आरोप लगवाए जाते हैं हमारे देश में महिलाओं के साथ बढ़ते अत्याचार को लेकर सरकार जितना सख्त है उसी हिसाब से झूठे आरोप लगाने वालों की भी भरमार है ऐसे में जरुरत इस बात की भी है कि झूठा आरोप साबित होने पर फिर चाहे पुलिस की जांच विवेचना हो य न्यायालय से आरोपी के बारी होने पर झूठी शिकायत और रिपोर्ट दर्ज कराने वाले पर भी कठोर दण्ड का प्रावधान सरकार को करना चाहिए जिससे कि निर्दोष लोगों को ऐसे शर्मनाक झूठे मामलों से बचाया जा सके हालाकि यह भी कहा जाना भी गलत है कि सभी पुलिस वाले चरित्रवान और ईमानदार होते हैं कुछ लोग पुलिस की वर्दी में भी शैतान होते हैं लेकिन यहां प्रथम दृष्टया ही कुछ और मामला नजर आता है।