MP news, गांव की मिट्टी से प्रशासनिक कुर्सी तक: अवधेश प्रताप सिंह उर्फ शुभम के संघर्ष और सफलता की अद्भुत कहानी।

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MP news, गांव की मिट्टी से प्रशासनिक कुर्सी तक: अवधेश प्रताप सिंह उर्फ शुभम के संघर्ष और सफलता की अद्भुत कहानी।

बेल्जियम की एक कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के पद पर 4 वर्ष सेवाएं देने के बाद तेलंगाना सरकार के वाणिज्य कर विभाग में अधिकारी शुभम सिंह बने अधिकारी।

 

मध्य प्रदेश के सीधी जिले के छोटे से गांव लकोड़ा में जन्मे अवधेश प्रताप सिंह उर्फ शुभम सिंह ने विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी मेहनत, लगन और आत्मविश्वास के बल पर तेलंगाना सरकार के वाणिज्य कर विभाग (कमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट) में अधिकारी के रूप में अपनी जगह बनाई है। यह सफलता न केवल उनके परिवार बल्कि उनके गांव और पूरे प्रदेश के लिए गर्व की बात है। शुभम की कहानी उस जज्बे की मिसाल है, जो बताती है कि सपने पूरे करने के लिए हौसले से बढ़कर कोई हथियार नहीं।

पिता का सपना और शुभम की मेहनत

शुभम के पिता इंद्र बहादुर सिंह, आंध्र प्रदेश के प्राइवेट सेक्टर में नौकरी करते थे। बेहतर अवसरों और अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए उन्होंने अपने परिवार को गांव से आंध्र प्रदेश शिफ्ट कर लिया। जिंदगी बेहतर होने की उम्मीद थी, लेकिन जब शुभम 12वीं कक्षा में थे, तभी उनके पिता का आकस्मिक निधन हो गया।

इस घटना ने पूरे परिवार को गहरे आर्थिक और भावनात्मक संकट में डाल दिया। लेकिन शुभम ने हार नहीं मानी। पिता का सपना उनकी प्रेरणा बन गया। परिवार की जिम्मेदारियां संभालते हुए उन्होंने पढ़ाई जारी रखी। घर चलाने के लिए ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया, लेकिन अपने लक्ष्यों से कभी समझौता नहीं किया।

मां उपमा सिंह का त्याग और गर्व

शुभम की मां उपमा सिंह, जो अपने पति के निधन के बाद भी परिवार की रीढ़ बनीं, आब बेटे की सफलता पर गर्व से भावुक होकर बोली “मेरा बेटा मेरी मेहनत और उसके पिता के सपनों का फल है। हमने बहुत कठिन समय देखा, लेकिन शुभम ने अपनी मेहनत और लगन से हमें हर संघर्ष से बाहर निकाला। मैं हर मां से कहना चाहती हूं कि अपने बच्चों को शिक्षा और संघर्ष का महत्व सिखाएं। बेटा आज जो भी है, वह अपनी मेहनत और हमारी दुआओं की वजह से है।

शुभम का संदेश: मेहनत का कोई विकल्प नहीं

शुभम मानते हैं कि संघर्ष इंसान को परिपक्व बनाता है और मेहनत हर समस्या का समाधान है, जीवन में कितनी भी मुश्किलें आएं, अगर आप अपने सपनों के लिए ईमानदारी से प्रयास करेंगे, तो सफलता जरूर मिलेगी। पिता के जाने के बाद मैं टूट सकता था, लेकिन मैंने उनकी यादों को अपनी ताकत बनाया। आज मैं जो कुछ भी हूं, उसका श्रेय अपनी मां और अपने सपनों को देता हूं*

संघर्ष और सफलता का संदेश।

शुभम सिंह की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो जीवन की कठिनाइयों से घबरा जाते हैं। उन्होंने दिखाया कि संघर्ष चाहे कितना भी बड़ा क्यों न हो, अगर आप में इच्छाशक्ति और मेहनत का जुनून है, तो कोई भी सपना दूर नहीं।

लकोड़ा से तेलंगाना तक: एक प्रेरक यात्रा

आज शुभम सिंह न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे सीधी जिले और मध्य प्रदेश का गौरव हैं। उनकी यह यात्रा उन सभी को प्रेरित करती है, जो छोटे गांवों से बड़े सपने देखते हैं। उनकी कहानी यह संदेश देती है कि परिस्थितियां आपको रोक नहीं सकतीं, अगर आपका इरादा मजबूत है।

“संघर्ष की तपिश में तपकर ही सफलता की चमक मिलती है।” शुभम सिंह ने अपनी सफलता से यह साबित कर दिया है। उनकी यह यात्रा हर युवा के लिए मिसाल है और यह बताती है कि मेहनत और लगन से हर असंभव को संभव बनाया जा सकता है।

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