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विंध्य क्षेत्र में बगावत की आहट से bjp हुई सतर्क वर्तमान विधायकों की टिकट पर नहीं चलेगी कैंची..?

विंध्य क्षेत्र में बगावत की आहट से bjp हुई सतर्क वर्तमान विधायकों की टिकट पर नहीं चलेगी कैंची।

केदारनाथ शुक्ला सीधी जिले और नारायण त्रिपाठी सतना जिले में बिगाड़ सकते हैं भाजपा के जीत का समीकरण।

केदारनाथ शुक्ला और नारायण त्रिपाठी के मुकाबले विंध्य क्षेत्र में मंत्री राजेंद्र शुक्ला संभालेंगे चुनावी मोर्चा।

विराट वसुंधरा
अगले माह मध्य प्रदेश में 2023 के चुनाव होने है राज्य की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने कुछ सीटों पर टिकट विंध्य क्षेत्र में भी दिए जा चुके हैं भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले विंध्य क्षेत्र में 30 विधानसभा सीट है जहां 30 में 26 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के विधायक हैं बीते 2018 के विधानसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र से भाजपा को अप्रत्याशित जीत मिली थी बीते विधानसभा चुनाव में पूरे मध्य प्रदेश में विंध्य क्षेत्र ही ऐसा था जहां सरकार की एंटी इनकंबेंसी का कोई फर्क नहीं पड़ा था और भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की थी यहां तक की रीवा जिले की आठ की आठों विधानसभा सीट पर भाजपा ने जीत हासिल कर इतिहास रच दिया था यह सही है कि कुछ विधानसभा क्षेत्र में जीत का अंतर 5 हजार के अंदर रहा है और कुछ विधायक उम्र दराज हैं बावजूद इसके कम वोटो से जीतने वाले और उम्र दराज हो चुके वर्तमान विधायकों की टिकट कटने की संभावना कम ही नजर आ रही है। रीवा, मऊगंज, सेमरिया, मनगवां और सिरमौर में भाजपा ने बड़ी जीत दर्ज की थी तो वहीं गुढ़, देवतालाब, त्योंथर में जीत का अंतर कुछ कम था त्योंथर और मऊगंज विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान विधायकों की स्थिति ठीक नहीं है और पार्टी के अंदर ही विधायकों का विरोध देखने को मिल रहा है वावजूद इसके टिकट कटने के आसार कम दिखाई दे रहे हैं।

कई नेता मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री पद के दावेदार।

हारी हुई सीटों पर भाजपा ने पहले ही अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं तो वहीं दूसरी लिस्ट में सांसदों को भी टिकट दिया गया है। भाजपा ने सांसदों को टिकट देने का रिस्क इसलिए लिया है कि इस चुनाव में कुछ नया किया जा सके लेकिन भाजपा ने रिस्क वहीं तक उठाए हैं जहां भाजपा को नुकसान न होने पाए देखने और सुनने में आ रहा है कि सतना सांसद गणेश सिंह का प्रचार मध्य प्रदेश के अगले मुख्यमंत्री के रूप में विंध्य क्षेत्र से किया जा रहा है उनके समर्थकों का कहना है कि इस बार सांसद गणेश सिंह को भाजपा ने मुख्यमंत्री बनाने के लिए टिकट दिया है ठीक इसी प्रकार प्रदेश के अन्य सांसदों नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते, प्रहलाद पटेल और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के क्षेत्र में उन्हें भी मुख्यमंत्री के रूप में उनके समर्थक जनता के बीच प्रचार प्रसार शुरू कर दिए हैं स्थानीय स्तर पर अपने नेता को मुख्यमंत्री बनाने के लिए जनता समर्थन करेगी और कई विधानसभा क्षेत्र में इसका असर पड़ेगा यह बीजेपी का मास्टर प्लान है। इस प्लान में बीजेपी कितना सफल होगी यह आने वाला चुनाव परिणाम ही बता पाएगा।

टिकट मिलने से सांसदों की बढ़ी फजीहत।

देखा जाए तो वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में मामा का मैजिक “फिर भाजपा फिर शिवराज” का तिलस्म नहीं चला था और कांग्रेस की सरकार बन गई थी 15 महीने बाद भाजपा ने भले ही कांग्रेस की सरकार गिरा कर अपनी सरकार बना ली हो लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में शिवराज के चेहरे को आगे करके विधानसभा का चुनाव नहीं जीत पाना ही वह कारण है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में अब शिवराज सिंह चौहान को लेकर अटकलें लगाई जा रही है कि अगर सरकार बनती है तो मुख्यमंत्री का चेहरा शिवराज सिंह नहीं होंगे लोगों के इस तर्क में कितनी सच्चाई है यह तो भाजपा संगठन का शीर्ष नेतृत्व ही जाने लेकिन यह भी तय है कि जिन सीटों पर भाजपा के विधायक थे या फिर जिन विधायकों से सांसदों का 36 का आंकड़ा रहा है वहां सांसदों को टिकट देना सबसे बड़ा रिस्क है और वहां पर भाजपा का चुनाव जीतना कठिन चुनौती से कम नहीं है ऐसी सीटों में सीधी, सतना और मैहर विधानसभा को माना जा रहा है जहां स्थानीय लोगों और वर्तमान विधायकों के समर्थकों की नाराजगी का खामियाजा विधानसभा प्रत्याशी बनाए गए सांसदों को भोगना पड़ सकता है।

केदारनाथ और नारायण बिगाड़ेंगे भाजपा का समीकरण।

सीधी जिले में केदारनाथ शुक्ला का अपना खुद का बड़ा सामाजिक और राजनीतिक कद है तो वही सतना जिले में मैहर से विधायक रहे नारायण त्रिपाठी भी परिचय के मोहताज नहीं है ऐसे में इन दोनों दिग्गज नेताओं का भाजपा से टिकट कटना सीधी और मैहर ही नहीं बल्कि सीधी जिले और सतना जिले की सभी विधानसभा क्षेत्र में फर्क डालने वाला है खासकर उन विधानसभा क्षेत्र में जहां कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर होगी वहां इन दोनों दिग्गज नेताओं के समर्थक भाजपा के जीत का समीकरण बिगाड़ सकते हैं सीधी विधायक और मैहर विधायक के टिकट कटने के क्या कारण है ये तो शीर्ष नेतृत्व ही जाने लेकिन भाजपा के लिए यही दो विधायक बड़ी मुसीबत बनकर भाजपा का नुकसान भी करेंगे इसमें कोई दो राय की बात नहीं है विंध्य क्षेत्र में इन दोनों कद्दावर नेताओं का जनता के बीच अपना खुद का भी जनाधार है और ब्राह्मण वर्ग से भी दोनों नेता आते हैं रीवा, सीधी और सतना ब्राह्मण बहुल्य क्षेत्र है दोनों नेताओं के विरोध का असर इस समय दिखाई भी पड़ रहा है ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि विंध्य क्षेत्र में भाजपा की जीत इस बार पहले जैसी आसान नहीं है दोनों कद्दावर नेता भले ही खुद चुनाव न जीत पाए लेकिन भाजपा के वोट बैंक पर बड़ा असर डाल सकते है और इसका परिणाम उनके जिले की दूसरी विधानसभा क्षेत्रों में भी देखने को मिलेगा क्योंकि दोनों नेताओं के सिर्फ उनके विधानसभा क्षेत्र में ही उनके लोग नहीं है बल्कि जिले की सभी विधानसभा क्षेत्र में लगभग 10 से 5 हजार समर्थक है जो भाजपा के खिलाफ जाएंगे ऐसा माना जा रहा है।

वर्तमान विधायकों की अब नहीं कटेंगी टिकट।

सूत्रों की माने तो भारतीय जनता पार्टी ने हारी हुई सीटों पर पहले ही प्रत्याशी उतार दिए हैं वहीं विवाद की स्थिति वाली विधानसभा क्षेत्रों में डैमेज कंट्रोल करने सांसदों को टिकट देकर भाजपा ने अपना दांव खेल दिया है अब विंध्य क्षेत्र के बाकी बचे विधानसभा क्षेत्र में किसी भी विधायक की टिकट कटती नजर नहीं आ रही है और अगर ऐसा होता भी है तो उन सीटों पर जहां के विधायक उम्र दराज हो चुके हैं लेकिन वहां भी उनके परिवार य उनके लोगों को ही टिकट मिलने की संभावना अधिक है जानकारों का मानना है कि रीवा जिले के देवतालाब विधानसभा क्षेत्र के विधायक गिरीश गौतम और गुढ़ विधानसभा क्षेत्र के विधायक नागेंद्र सिंह उम्र दराज हैं वावजूद इसके उनके क्षेत्र में उनकी छवि चुनाव जीतने की है और उनके कद का कोई दूसरा प्रत्याशी भाजपा में नजर नहीं आ रहा है
बीते विधानसभा चुनाव में विंध्य क्षेत्र भाजपा के अभेद्य गढ़ के रूप में उभरा है 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए दो टिकट काटकर भाजपा ने वहां डैमेज कंट्रोल कर लिया है अब भाजपा की जीती हुई सीटों में टिकट वितरण गुजरात फार्मूला पर नहीं चलेगा ऐसे में कायास लगाए जा रहे हैं कि वर्तमान भाजपा विधायकों की टिकट काटना नई मुसीबतों को आमंत्रण देने से कम नहीं होगा जैसा कि मैहर, सतना और सीधी में देखने को मिल रहा है।

विकास पुरुष राजेंद्र शुक्ल विंध्य क्षेत्र में बनाएंगे जीत का समीकरण।

ऐसा माना जा रहा है कि रीवा विधायक मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ही एक ऐसे नेता है जिनकी जीत पक्की मानी जाती रही है रीवा जिले में हुए विकास कार्यों और राजेंद्र शुक्ल के राजनीति करने के तौर तरीके से न सिर्फ जनता परिचित है बल्कि भाजपा शीर्ष नेतृत्व भी उनके कद और प्रभाव को बखूबी जानते हैं ऐसे में यह माना जा रहा है कि विंध्य क्षेत्र में केदारनाथ शुक्ला और नारायण त्रिपाठी के मुकाबले प्रभावशाली व्यक्तित्व रखने वाले राजेंद्र शुक्ल को सामने करके चुनाव लड़ा जाएगा राजेंद्र शुक्ल एक ऐसे नेता है जिनका काम बोलता है विरोधियों को कैसे जवाब देना है और चुनाव कैसे जीतना है यह राजेंद्र शुक्ला बखूबी जानते हैं रीवा जिले की 8 की 8 विधानसभा सीट में भाजपा की विजय उनके राजनीतिक कौशल से ही संभव हो पाई है ऐसा कहा जाता है विंध्य क्षेत्र में विकास पुरुष के नाम से उनकी बड़ी छवि है राजेन्द्र शुक्ल ऐसे नेता हैं कि जिस काम के लिए हाथ डालते हैं वह काम हर हाल में होकर ही रहता है मंत्री ना रहते हुए भी उन्होंने यह साबित किया है कि विकास के कार्य सिर्फ मंत्री रहते ही नहीं विधायक रहते भी किया जा सकता हैं इसी के चलते उन्हें चुनाव से एक महीने पहले मध्य प्रदेश कैबिनेट में मंत्री भी बनाया गया है मंत्री बनने के बाद 1 महीने के अंदर ही राजेंद्र शुक्ल ने जनता के बीच बड़े-बड़े विकास कार्यों की सौगात देकर अपना प्रभाव छोड़ा है ऐसे में यह माना जा रहा है कि अब विंध्य क्षेत्र में भाजपा की चुनावी बागडोर राजेंद्र शुक्ला के हाथों होगी जिससे कि भाजपा के अभेद्य गढ़ विंध्य क्षेत्र में भाजपा फिर से बड़ी जीत दर्ज कर सके।

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